2023 में ये शिकायतें लेकर NBDSA पहुंचा CJP: भारतीय TV चैनलों द्वारा मूल्यों और दिशानिर्देशों के उल्लंघन पर एक नज़र वर्ष 2023 में टीवी पर घोर नफरती उल्लंघनों पर पैनी नज़र रखते हुए सीजेपी ने न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एण्ड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीडीएसए) के समक्ष आठ शिकायतें दाखिल कीं जिनमें से सात टाइम्स नाउ नवभारत के खिलाफ थीं; एनबीडीएसए से आठ अनुकूल आदेश आए

23, Jan 2024 | CJP Team

निष्पक्षता, तटस्थता और संतुलन की अवधारणा पत्रकारिता के मूल में है। मीडियाकर्मी, खासकर जो टेलिविज़न और वीडियो में हैं और जिनके पास अपने दर्शकों तक पहुँचने उन्हें प्रभावित करने की ताकत है, को महत्वपूर्ण और विवादास्पद मुद्दों पर गैरपक्षपाती ढंग से सोचसमझकर और शांति संयम से रिपोर्ट करना चाहिए। पत्रकारों की प्रभावी राय बनाने में सक्रिय भूमिका होती है इसलिए उन पर यह बड़ी जिम्मेवारी है कि वह सुनिश्चित करें कि वह समावेशी सोच और तार्किकता से निर्देशित होते हों।

खासकर पिछले एक दशक से पत्रकारों और मीडिया चैनलों के एक हिस्से में परेशान करने  वाली यह प्रवृत्ति पनपने लगी है कि मुद्दों के पक्षपाती कवरेज करते हैं जिसके नतीजतन अक्सर भारतीय जनता के कुछ हिस्से लांछनों और अपमानजनक टिप्पणियों का निशाना बनाए जाते है। भारत के धार्मिक अल्पसंख्यक खुद को इस उभरती प्रवृत्ति के केंद्र में पाते हैं। यह भी कम महत्वपूर्ण नहीं है कि इस सबको राजनीतिक स्वीकृति भी प्राप्त है, सत्तारूढ़ गठजोड़ का झुकाव तो प्रत्यक्ष है ही। सिर्फ संस्थान, जिनकी स्थापना लोगों को दुनिया की निष्पक्ष और सच्ची तस्वीर मुहैया करानी थी, अपने प्रयासों में लड़खड़ा रहे हैं, बल्कि वैयक्तिक स्वरूप में पत्रकार और ऐंकर भी इसके दोषी हैं।   

सीजेपी हेट स्पीच के उदाहरणों को खोजने और प्रकाश में लाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि इन विषैले विचारों का प्रचार करने वाले कट्टरपंथियों को बेनकाब किया जा सके और उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जा सके। हेट स्पीच के खिलाफ हमारे अभियान के बारे में अधिक जानने के लिए, कृपया सदस्य बनें। हमारी पहल का समर्थन करने के लिए, कृपया अभी दान करें!

वर्ष 2008 में गठित न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन भारत में विभिन्न समाचार प्रसारकों का एक निजी संगठन है। संगठन की स्थापना समाचार और करंट अफेयर्स चैनलों को प्रभावित करने वाले नैतिक, कार्यसंबंधी, नियामक, तकनीकी और कानूनी मुद्दों से निबटने के लिए बनाया गया था। न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एण्ड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीडीएसए) न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन की बनाई एक स्वतंत्र इकाई है। इसका कार्य प्रसारकों के बारे में शिकायतों का निबटारा करना है। किसी भी न्यूज चैनल के प्रसारण के खिलाफ शिकायत एनबीडीएसए को दी जा सकती है। मीडियाकर्मियों के पक्षपाती रिपोर्टिंग के बढ़ते मामलों से निबटने और जिम्मेदाराना प्रसारण के लिए एनबीडीएसए ने कुछ दिशानिर्देश बनाए हैं।

कोड ऑफ एथिक्स एंड ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स के अनुसार एक समाचार चैनल को रिपोर्टिंग करते समय निम्नलिखित मानदंडों का पालन करना होता है:

रिपोर्टिंग में निष्पक्षता और वस्तुपरकता सुनिश्चित करें

तटस्थता सुनिश्चित करें

अपराध के बारे में रिपोर्टिंग करते समय सुनिश्चित करें कि अपराध और हिंसा का महिमामंडन हो   

महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा अपराध पर रिपोर्टिंग करते समय सावधानी बरतें

सेक्स और नग्नता से बचें

निजता सुनिश्चित करें  

सुनिश्चित करें कि राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़े

अंधविश्वास और जादूटोना का समर्थन या प्रोत्साहन करने से बचें

जिम्मेदाराना स्टिंग ऑपरेशन करें

उपरोक्त में से किसी भी मानदंड का उल्लंघन करने पर, पीड़ित पक्ष/संगठन एनबीए के किसी भी सदस्य या सह सदस्य चैनल के खिलाफ एनबीडीएसए के समक्ष शिकायत कर सकता है। अकेले वर्ष 2023 में सिटीजंस फॉर जस्टिस एण्ड पीस (सीजेपी) ने एनबीडीएसए के समक्ष आठ शिकायतें कीं। इन आठ शिकायतों में से सात टाइम्स नाउ नवभारत के प्रसारित कार्यक्रमों के खिलाफ थीं और एक आज तक के खिलाफ। सीजेपी को इस साल एनबीडीएसए से कई सकारात्मक आदेश भी मिले, जिनमें से अधिकांश पिछले साल दाखिल शिकायतों पर थे।

यहाँ एक नजर उन शिकायतों और उनके सफल निष्कर्ष पर। कुछ आदेशों के लिए सुनवाई अभी लंबित भी है:

सीजेपी की जीत : पक्ष में एनबीडीएसए से आदेश

सांप्रदायिक नजरिए से विभाजनकारी डिबेट शो के लिए न्यूज18 पर एनबीडीएसए ने 50,000 रुपए का जुर्माना लगाया

आदेश: 27 फरवरी 2023 को एनबीडीएसए ने न्यूज18 पर जनवरी 2022 में सांप्रदायिक नजरिए से विभाजनकारी कार्यक्रम दिखाने के लिए 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया। अपने आदेश में एनबीडीएसए ने कहा कि कार्यक्रम का जोर धार्मिक पुट लिए था। अधिकारियों ने कहा कि चर्चा का विषय कि 20 फीसदी लोग 80 फीसदी हिंदुओं के खिलाफ एकजुट हो रहे थे, अनुचित था। आदेश में कहा गया कि एंकर अमन चोपड़ा ने विभाजनकारी बयान देकर निष्पक्षता की चौखट लांघी थी। एनबीएसडीए ने प्रसारक को निर्देश दिया कि आदेश 6 मार्च की सुबह 8 बजे से सात मार्च की सुबह 8 बजे तक 24 घंटे में हर घंटे में एक बार टिकर पर चलाए। एनबीडीएसए ने टिकर की रिकॉर्डिंग भी मांगी।  

शिकायत:  On 22 जनवरी 2022 को सीजेपी ने एनबीडीएसए को उक्त कार्यक्रम के खिलाफ शिकायत दी थी। शिकायत में बताया गया था कि एंकर ने “80 बनाम 20” का इस्तेमाल कर हिन्दू मतदाताओं को मुस्लिम मतदाताओं के खिलाफ खड़ा करने के लिए किया था और कार्यक्रम में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने वाले सवाल किए थे: हिंदुओं के खिलाफ उत्तर प्रदेश में महागठबंधन तैयार हो रहा है, और जब 80 बनाम 20 की बात की थी योगी आदित्यनाथ ने तो वह सही थी?” शिकायत में यह भी बताया गया था कि एंकर ने कैसे बेशर्मी से मुस्लिम विरोधी बयान दिए थे। सीजेपी ने कहा था कि एक समाचार चैनल पर एक कार्यक्रम का एंकर का विषय तटस्थ और निष्पक्ष होना चाहिए लेकिन चोपड़ा ने कार्यक्रम पर विषय के  गैर सांप्रदायिक होने की भी कोशिश नहीं की।

सांप्रदायिक कार्यक्रम के लिए न्यूज18 पर 25,000 रुपए का जुर्माना

आदेश:  27 फरवरी 2023 को एनबीडीएसए ने न्यूज18 पर चार महीने पहले यानि अक्टूबर 2022 में “देश नहीं झुकने देंगे- अमन चोपड़ा” में निष्पक्ष और संयमी रिपोर्टिंग के दिशानिर्देशों के उल्लंघन को लेकर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया। शो में चर्चा पैनल ने गरबा में हिस्सा लेने वाले मुस्लिमों के खिलाफ गुजरात पुलिस की कार्रवाई पर विवादास्पद ढंग से चर्चा की। एनबीडीएसए ने कार्यक्रम में एंकर द्वारा इस्तेमाल भाषा और एनबीडीएसए के दिशानिर्देशों के लगातार उल्लंघनों पर भी गंभीर आपत्ति जताई। महत्वपूर्ण है कि एनबीडीएसए ने यह भी कहा कि जिस तरह चर्चा का संचालन किया गया, निंदनीय था और एंकर के दिए बयानों में देश की सांप्रदायिक सद्भावना को नुकसान पहुँचाने की आशंका थी।  

शिकायत: 22 अक्टूबर 2022 को सीजेपी ने एनबीडीएसए के समक्ष शिकायत की थी। पैनल के सदस्यों ने सिर्फ धर्म के रूप में इस्लाम के विभिन्न सिद्धांतों पर सवाल उठाए थे बल्कि मुस्लिम समुदाय के वक्ताओं का मज़ाक भी उड़ाया था उन्हें राष्ट्रीय टीवी पर हिन्दू भगवानों की जय-जयकार करने को कहकर।

▪▪तीस्ता सेतलवाड को निशाना बनाते भद्दे टिकर हटाने का आदेश  

आदेश: 27 मार्च 2023 को एनबीडीएसए ने टाइम्स नाउ को निर्देश दिया कि तीस्ता सेतलवाड की गिरफ़्तारी पर तीन चर्चा कार्यक्रमों के वीडियो संपादित करने और टिकर “मोदी बेटर अरेस्टेड” (मोदी विरोधी गिरफ्तार), “लुटियंस “फिक्स मोदी” प्लॉट नेल्ड” (लुटियन्स की ‘मोदी को सबक सिखाओ’ साजिश विफल) सात दिनों के भीतर हटाने के निर्देश दिया। एनबीडीएसए ने अपने आदेश में कहा कि कार्यक्रम के कुछ हिस्सों में जहां सुप्रीम कोर्ट के जकिया अहसान जाफरी विरुद्ध गुजरात एवं अन्य 2022 एससीसी ऑनलाइन एससी773 मामले में निर्णय पर चर्चा की गई थी, कार्यक्रम में इस्तेमाल टिकर तो आवश्यक थे, न इनका कोई संदर्भ था और ही यह सुरुचिपूर्ण थे।” एनबीडीएसए ने जोर देकर कहा कि “सम्बद्ध कार्यक्रम में चलाए कुछ टिकरों से वह असहमति दर्शाते हैं।” चैनल को ऐसे टिकर भविष्य में चलाने का निर्देश भी दिया गया।

शिकायत: 25, 27 और 28 जून 2022 को तीस्ता सेतलवाड की गिरफ़्तारी के बाद टाइम्स नाउ ने तीन कार्यक्रम किए जिनका उद्देश्य सेतलवाड को भरोसे और करुणा के लिए अपात्र दर्शाना था। चैनल ने उनकी गिरफ़्तारी और उन पर लगाए आरोपों को लेकर उनके मानवीय  कार्य पर उँगलियाँ उठाने और मानवाधिकार रक्षक के रूप में उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाने का कार्य किया।

कार्यक्रम के दौरान चलाए गए टिकरों में निम्नलिखित शामिल थे:

मोदी बेटर अरेस्टेड (मोदी विरोधी गिरफ्तार)

लुटियन्स ‘फिक्स मोदी’ प्लॉट नेल्ड (लुटियंस की ‘मोदी’ को सबक सिखाओ’ साजिश विफल)

एससी नेल ‘फिक्स मोदी’ प्लॉट” (सुप्रीम कोर्ट ने ‘मोदी को सबक सिखाओ’ साजिश विफल की)

तीस्तायूपीए 1.4 करोड़ इरेग्युलर हैन्डशेक” (तीस्ता कायूपीए से 1.4 करोड़ का अनियमित लेनदेन)

पद्म, पोस्ट एण्ड पैसा (पद्म, पद और पैसा)

मोदी फिक्सर वाज़ फ़ेवर्ड (मोदी विरोधी को लाभ पहुंचाया गया

रिवार्ड फॉर ‘रुइन मोदी’ प्लॉट? (मोदी को बर्बाद करने के लिए इनाम)

तीन कार्यक्रमों के बदनाम करने वाले आशय के खिलाफ एक शिकायत 1 जुलाई 2022 को एनबीडीएसए के समक्ष की गई। शिकायत में कहा गया कि विभिन्न कार्यक्रमों के होस्ट क्रमश: नाविका कुमार, राहुल शिवशंकर और पूनम बुदरे का रवैया पक्षपाती रहा और समूचे कार्यक्रम के दौरान  सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी प्रवक्ताओं के पक्ष में रहा। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि जो पैनलिस्ट सेतलवाड के पक्ष में बोलना चाह रहे थे, उन्हें लगातार होस्ट बारबार बीच में रोक रहे थे और जो सेतलवाड के खिलाफ बोल रहे थे, उन्हें पूरा समय दिया जा रहा था।    

▪▪एनबीडीएसए ने टाइम्स नाउ नवभारत के “मदरसा जिहाद” कार्यक्रम हटाने का निर्देश दिया

आदेश: 27 जून को एनबीडीएसए ने आदेश जारी कर टाइम्स नाउ नवभारत को भड़काऊ और हिंसा उकसाने वाला कार्यक्रम जो नवंबर 2022 में प्रसारित किया गया था, हटाने का निर्देश दिया। सीजेपी ने कार्यक्रम के खिलाफ शिकायत की थी। संस्था ने चैनल को भविष्य में सावधानी बरतने की भी चेतावनी दी। आदेश में कहा गया कि चैनल ने नस्लीय और धार्मिक सद्भावना से संबंधित खबरों की कवरेज से संबंधित विशिष्ट दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया था, जिनके अनुसार रिपोर्टिंग के समय नस्लीय और धार्मिक रूढ़िबद्धता से बचना चाहिए। आदेश में यह भी कहा गया कि कुछ मदरसों में अनियमितताओं पर उत्तर प्रदेश सर्वेक्षण के नतीजों को गुमराह करने वाला झुकाव दिया गया था, जिसने प्रसारण मानदंडों की मूल्यों की संहिता का उल्लंघन किया था।

शिकायत:  5 दिसम्बर 2022 को सीजेपी ने एनबीडीएसए को शिकायत भेजी थी जो टाइम्स नाउ नवभारत के एक चर्चा सत्र को लेकर थी जिसमें यह गलत घोषणा की गई थी कि उत्तर प्रदेश के बहराइच में “मदरसा जिहाद” जैसा कुछ चल रहा है। शिकायतकर्ता के अनुसार “मदरसा जिहाद” और “एम फैक्टर” जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर चैनल ने सांप्रदायिक तनाव नफरत फैलाने की कोशिश की थी, जो एक चैनल को नहीं करना चाहिए। शिकायत में यह भी कहा गया कि “जिहाद” शब्द का इस्तेमाल चैनल के सांप्रदायिक आख्यान के अनुकूल ही था।  

▪▪गरबा में मुस्लिम युवाओं की हिस्सेदारी पर दुष्प्रचार फैलाने वाले आज तक के कार्यक्रम को हटाने का निर्देश

आदेश:  3 नवंबर को एनबीडीएसए के एक आदेश में एक कार्यक्रम, जिसमें यह दर्शाने की कोशिश की गई थी कि गरबा पंडालों में प्रवेश करने वाले सभी मुस्लिम युवाओं के इरादे “संदिग्ध” थे और “बुरे” थे, में सामान्यीकरण पर कड़ी आपत्ति की गई। कार्यक्रम का प्रसारण अक्टूबर 2022 में गरबा के दौरान किया गया था। एंकर ने, सांप्रदायिक प्रतिभागियों के जरिए, यह दर्शाने की कोशिश की कि “सभी (ऐसे मुस्लिम), जिन्होंने गरबा में हिस्सा लेने की कोशिश की, देश विरोधी थे और उनका त्योहारों में कोई विश्वास नहीं है।” एनबीडीएसए ने कहा कि ऐसे बेबुनियाद बयान बिना किसी अध्ययन या विश्लेषण के दिए गए थे। यह भी कहा गया कि घटनाओं का सामान्यीकरण करने से, चैनल ने सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जो दिशानिर्देशों का उल्लंघन है। एनबीडीएसए ने यह भी कहा कि ऐसा कार्यक्रम प्रसारित कर अपराधों, दंगों, अफवाहों आदि के समाचार देने में सांप्रदायिक रंग देने से बचने के दिशानिर्देशों का भी चैनल ने उल्लंघन किया। इन उल्लंघनों के कारण, एनबीडीएसए ने चैनल को उक्त कार्यक्रम का वीडियो अपने चैनल और/अथवा यूट्यूब से सभी हाइपर लिंक समेत हटाने का आदेश दिया और आदेश के सात दिनों के भीतर इसकी पुष्टि लिखित में एनबीडीएसए को देने को कहा।

शिकायत:  20 अक्टूबर 2022 को सीजेपी ने एनबीडीएसए के समक्ष आज तक के ‘ब्लैक एण्ड व्हाइट’ कार्यक्रम के खिलाफ सांप्रदायिक विभाजन को हवा देने को लेकर शिकायत की। शिकायत में सीजेपी ने कार्यक्रम के दौरान बोले गए और स्क्रीन पर दिखाए गए शब्दों के चयन और तेवर पर आपत्ति की। शिकायत के अनुसार होस्ट सुधीर चौधरी के कुछ बयान इतने निंदनीय थे कि उनकी सांप्रदायिक सोच स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी और देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को नष्ट होने का खतरा लिए थी। बताया गया कि सुधीर चौधरी की टिप्पणियाँ आपत्तिजनक और सांप्रदायिक थीं, जो पत्रकारिता के मूल्यों और स्व नियमन के सिद्धांतों के साथ एनबीडीएसए की संहिता के भी खिलाफ जाती हैं।

▪▪एनबीडीएसए ने अवैध अतिक्रमण के मुद्दे पर आज तक से “मज़ार जिहाद” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने का आदेश दिया  

आदेश:  3 नवंबर को, एक आदेश में एनबीडीएसए ने कहा कि अवैध अतिक्रमण के मुद्दे पर रिपोर्टिंग करते हुए एंकर को ‘मज़ार जिहाद’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए क्योंकि इससे चैनल के उठाए गए अन्यथा एक वैध मुद्दे को बिल्कुल अलग आयाम दे दिया। एनबीडीएसए ने प्रसारक को कहा कि ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करें और भविष्य में सावधानी बरतें। कार्यक्रम अप्रैल में प्रसारित किया गया था।

शिकायत: 20 अप्रैल 2023 को सीजेपी ने एनबीडीएसए के पास आज तक पर 6 अप्रैल को प्रसारित और सुधीर चौधरी के होस्ट किए कार्यक्रम के संबंध में शिकायत दी। अपने कार्यक्रम ‘ब्लैक एण्ड व्हाइट’ में चौधरी ने उत्तराखंड में सरकारी जमीन, खासकर वन जमीन पर अवैध मज़ारों के मुद्दे पर बात की। शो में एक ‘जमीनी रिपोर्ट’ भी दिखाई गई। उक्त रिपोर्ट के आधार पर सुधीर ने दावा किया कि जब यह मजारें बुलडोजर से तोड़ी गईं और जाँची गईं तो देखा गया कि इनमें कोई मानव अवशेष नहीं थे। हालांकि, इसमें कोई आधिकारिक स्रोत नहीं था। सीजेपी ने अपनी शिकायत में कहा कि होस्ट और चैनल ने अपने तथ्यों की सही पड़ताल करने में चूक गए और मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया और अपमानजनक लहजे में बात की। शिकायत में कहा गया कि सुधीर के दावे वन विभाग की एक आधिकारिक रिपोर्ट में खारिज किए गए जिन्होंने कहा कि वन क्षेत्रों में अवैध मज़ारों से ज्यादा अवैध मंदिर हैं। इससे कार्यक्रम का पूरा आधार ही खिसक जाता है।  

▪▪एनबीडीएसए ने टाइम्स नाउ भारत से दो कार्यक्रम हटाने को कहा

आदेश:  3 नवंबर को सीजेपी को एनबीडीएसए से एक और सकारात्मक आदेश मिला जिसमें टाइम्स नाउ नवभारत चैनल को प्रसारण के मानदंडों के मूल्यों की संहिता और  नस्लीय और धार्मिक सद्भावना के संदर्भ में कवरेज के दिशानिर्देशों के उल्लंघन का दोषी पाया गया। एनबीडीएसए ने कहा कि बेदखली के मुद्दे पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश के मामले में मुद्दे को सांप्रदायिक रंग दिया था। एनबीडीएसए ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को “जिहादी गिरोह” का हिस्सा दर्शा कर और अवैध निर्माणों को “जमीन जिहाद” करार देकर, चैनल ने धर्म के आधार पर समुदायों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल पूर्वाग्रहों और रूढ़ अवधारणाओं को दोहराया। इसके अलावा संस्था ने कहा कि ‘जिहादी’ शब्द का इस्तेमाल संदर्भ से इतर जाकर इस्तेमाल किया गया और पृष्ठभूमि में चल रहे टिकरों ने प्रसारक के आख्यान को ही बल देने का प्रयास किया। उल्लंघनों के लिए एनबीडीएसए ने चैनल को भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति करने का निर्देश दिया और अपने चैनल से उक्त कार्यक्रम का वीडियो हटाने का निर्देश दिया।  

शिकायत: 30 जनवरी 2023 को सीजेपी ने एनबीडीएसए के समक्ष टाइम्स नाउ नवभारत के 2 जनवरी 2023 को प्रसारित सांप्रदायिक विभाजनकारी कार्यक्रम  “देवभूमि उत्तराखंड में ‘जमीन जिहाद’ पर बुलडोजर एक्शन की बारी” के खिलाफ शिकायत दी। कार्यक्रम उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर आधारित था, जिसमें अदालत ने 4000 परिवारों के घर खाली कराने के लिए बलप्रयोग की अनुमति दी थी। रेलवे का दावा था कि यह घर उनकी जमीन पर बने हुए हैं। शिकायत के जरिए सीजेपी ने एंकर की ध्रुवीकरण वाली टिप्पणियों को रेखांकित किया जो मुस्लिम समुदाय को शत्रु के रूप में प्रस्तुत करने के अति दक्षिणपंथी दुष्प्रचार की लाइन पर चलते हुए की गई थीं। शिकायत ने एंकर के इस्तेमाल ‘जमीन जिहाद’, मज़ार जिहाद’, ‘जिहादी गैंग’ और ‘धामी सरकार का बुलडोजर एक्शन” जैसे  अपमानजनक और उकसाऊ शब्दों पर आपत्ति जताई थी जो मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने और उन्हें बदनाम करने के उद्देश्य से बोले गए थे।

▪▪एनबीडीएसए ने टाइम्स नाउ नवभारत के राम मंदिर पर विवादास्पद डिबेट शो  हटाने का आदेश दिया

आदेश:  अपने आदेश के जरिए, एनबीडीएसए ने कहा कि चैनल पर कार्यक्रम में संचालित चर्चा सुरुचिपूर्ण नहीं थी और चर्चाओं समेत कार्यक्रम संचालन के लिए एंकरों के लिए दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया था। यह कहते हुए कि संस्था प्रसारक के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का अतिक्रमण नहीं कर सकती लेकिन प्रसारक को भी अपनी आजादी के अधिकार का इस्तेमाल एनबीडीएसए के दिशानिर्देशों, मानदंडों, संहिता और सुझावों का पालन करते हुए करना चाहिए। एनबीडीएसए ने चैनल को ऐसी चर्चाओं के प्रसारण को लेकर चेतावनी दी और चर्चाओं के लिए पैनलिस्ट चुनने में भी सावधानी बरतने को कहा। एनबीडीएसए ने चैनल को उनके द्वारा स्थापित दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करने को भी कहा। इसके अलावा चैनल को उक्त शो का वीडियो चैनल और/अथवा यूट्यूब से हटाने का भी निर्देश दिया।

शिकायत: 24 जनवरी 2023 को सीजेपी ने एनबीडीएसए को टाइम्स नाउ नवभारत के खिलाफ उनके 20 दिसम्बर 2022 को प्रसारित डिबेट शो को लेकर एक शिकायत दी। सीजेपी की शिकायत के अनुसार चैनल ने ढीठता से एक सांप्रदायिक बयान लिया और उसे चर्चा का केन्द्रबिन्दु बनाया। और विभाजनकारी बयान के दुष्प्रभाव को और बढ़ाते हुए ऐसे वक्ताओं को बुलाया जिनके विचार कट्टर थे और उन्हें एक दूसरे को गालियां देने और एक दूसरे पर शारीरिक हमले करने दिए। शिकायत में आरोप लगाया गया कि कार्यक्रम का उद्देश्य पहले फ्रेम से सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने, मुस्लिमविरोधी भावनाएं उकसाने और एक मुस्लिम व्यक्ति के बयानों के आधार पर पूरे मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने का था। शिकायत ने होस्ट की तरफ से इस्तेमाल समस्याग्रस्त टिकरों जैसे “हिंदुस्तान में गजवाहिन्द का प्लान?” और “राम मंदिर तोड़ने को उकसाएंगे?” की तरफ भी ध्यान दिलाया।

एनबीडीएसए के समक्ष लंबित शिकायतें:

एनबीडीएसए के समक्ष शिकायत देने की प्रक्रिया कड़ी और समयसीमा से बंधी है। एनबीडीएसए के समक्ष शिकायत दाखिल करने से पहले शिकायतकर्ता को पहले संबंधित चैनल से औपचारिक शिकायत कार्यक्रम के प्रसारण के सात दिन के भीतर करनी होती है।  

यदि, सात दिनों के अंदर संबंधित चैनल से प्रतिसाद नहीं मिला तो शिकायतकर्ता 14 दिनों के भीतर शिकायत एनबीडीएसए को बढ़ा सकता है। यदि, दूसरी तरफ, प्रसारक ने शिकायत पर तय समय में जवाब दे दिया और शिकायतकर्ता उसके जवाब से संतुष्ट नहीं है, तब शिकायत जवाब मिलने के 14 दिनों के भीतर एनबीडीएसए को दी जा सकती है।

शिकायत भेजे जाने के बाद, एनबीडीएसए शिकायत पर विचार करता है और निर्णय लेता है कि क्या दोनों पक्षों को सुनवाई के लिए बुलाया जाना चाहिए। यदि एनबीडीएसए सुनवाई का निर्णय लेता है तो दोनों पक्षों  शिकायतकर्ता और प्रतिवादी को संस्था की बताई तारीख तक लिखित में अपना पक्ष रखना होता है।  

सीजेपी के एनबीडीएसए को भेजी आठ में से तीन 2023 में ही निर्णीत हो गईं। पाँच शिकायतें अभी तक आयोग के पास लंबित हैं। इन पाँच में से चार के लिए लिखित पक्ष दिसम्बर तक प्रस्तुत किया जाना है जिसके बाद सुनवाई होगी।   

उत्तर प्रदेश में अवैध मदरसों पर कार्यक्रम के खिलाफ शिकायत  

29 जून को सीजेपी ने एनबीडीएसए को टाइम्स नाउ नवभारत के खिलाफ उनके शो, जिसका शीर्षक “राष्ट्रवाद : मदरसों पर नकेल, नहीं चलेगा विदेशी फन्डिंग का खेल” था, में बेबुनियाद दावे करने को लेकर शिकायत दी। कार्यक्रम उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य में मदरसों पर सर्वेक्षण और पिछले साल के डाटा पर आधारित था, जिसमें आरोप है कि 8841 मदरसे गैरकानूनी थे और सरकार 4000 मदरसों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। कार्यक्रम के दौरान एंकर ने पूछा कि मुस्लिम मदरसों में पढ़ने जाते ही क्यों हैं। एंकर ने भारतनेपाल सीमा पर मदरसों की बढ़ती संख्या पर सवाल उठाया और उनकी वैधता पर संदेह व्यक्त किया। समूची चर्चा में चैनल इस विचार पर जोर दे रहा था कि सभी मदरसे अवैधताओं के केंद्र हैं। चर्चा की प्रस्तुति में बार बार मदरसा के छात्र नमाज़ पढ़ते दिखाए गए। शिकायतकर्ता ने ध्यान दिलाया कि कार्यक्रम का उद्देश्य निश्चित रूप से यह दर्शाना था कि मदरसों को संदिग्ध विदेशी फन्डिंग होती है और वह सीमा पर स्थापित किए जाते हैं और बच्चों का वहाँ ब्रेनवाश किया  जाता है और उन्हें आतंकवादी बनने का प्रशिक्षण दिया जाता है। एंनबीडीएसए ने शिकायत का संज्ञान दिया और लिखित पक्ष रखने को कहा। सुनवाई की तारीख अभी मिलनी बाकी है।

▪▪समस्याग्रस्त सामग्री को लेकर ‘ऑपरेशन मज़ार’ कार्यक्रम के खिलाफ शिकायत  

29 जून को सीजेपी ने टाइम्स नाउ नवभारत के कार्यक्रम “धामी सरकार का ‘ऑपरेशन मज़ार’, ‘गजवाहिन्द की साजिश के किससे जुड़े तार’ कार्यक्रमों के खिलाफ शिकायत की। कार्यक्रमों के दौरान, रिपोर्टर “मज़ार जिहाद” और “जमीन जिहाद” जैसे शब्दों के इस्तेमाल से  दरगाहों/मज़ारों और मुस्लिमों की उत्तराखंड में और विशेषकर “देव भूमि हरिद्वार” में बढ़ती आबादी के बीच लिंक गढ़ने की कोशिश करता है। कार्यक्रम कथित रूप से एक सरकारी रिपोर्ट पर आधारित है, लेकिन इसके बावजूद तथ्यों पर आधारित नहीं है। आबादी के एक पिछड़े हिस्से को निशाना बनाता है। एनबीडीएसए ने शिकायत का संज्ञान लिया है और लिखित पक्ष रखने को कहा है। सुनवाई की तारीख अभी मिलनी बाकी है।

▪▪विभाजनकारी विषय पर चर्चा कार्यक्रम के खिलाफ शिकायत

टाइम्स नाउ नवभारत का कार्यक्रम हसन मदनी के बयान पर आधारित था जिसमें उन्होंने कहा था कि जो भी हिन्दू राष्ट्र की बात करता है, वह गद्दार है। 29 जून को सीजेपी ने एनबीडीएसए को शिकायत की जिसमें इस पर जोर दिया गया कि कार्यक्रम शुरू से आखिर तक विभाजनकारी विषय पर था जो सांप्रदायिक विभाजन (दो समुदायों के बीच)  को बढ़ावा देता है और अपना उद्देश्य छिपाने की कोशिश भी नहीं करता जो निष्पक्ष और तटस्थ पत्रकारिता के सिद्धांतों के खिलाफ है। शिकायत में कहा गया कि कार्यक्रम की सांप्रदायिक और पक्षपाती प्रकृति सिर्फ इसके प्रतिभागियों के चयन और सामग्री में बल्कि दुर्भाग्य से  कार्यक्रम के मेजबान में भी दर्शनीय थी, सांप्रदायिक दोषारोपण में सक्रिय रूप से शामिल होते हुए, एक धार्मिक (हिन्दू) राष्ट्र की स्थापना को सही ठहराते हुए और यहाँ तक कि यह कहते हुए कि भारत हमेशा एक हिन्दू राष्ट्र रहा है। एनबीडीएसए ने शिकायत का संज्ञान लिया है और लिखित पक्ष देने को कहा है। सुनवाई की तारीख अभी मिलनी बाकी है।

▪▪ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण पर डिबेट शो के खिलाफ शिकायत:

16 अगस्त को सीजेपी ने एनबीडीएसए के पास टाइम्स नाउ नवभारत के 24 जुलाई 2023  को प्रसारित विवादास्पद और सांप्रदायिक विभाजनकारी डिबेट शो “राष्ट्रवाद ज्ञानवापी सर्वे के बाद ‘ज्ञानवापी आंदोलन’ होगा?” के खिलाफ शिकायत की। कार्यक्रम ज्ञानवापी मस्जिद में किए जा रहे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की तरफ से किए जा रहे सर्वे को अंतरिम राहत देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आधारित था। एक तो होस्ट राकेश पांडे ने ऐसा विषय उठाया था जो न्यायाधीन था, उस पर उन्होंने जानबूझकर मामले के एकतरफा तथ्य प्रस्तुत किए। शिकायत में कहा गया कि डिबेट शो एक समाचार कार्यक्रम से ज्यादा होस्ट के हिन्दू मुद्दे के अपने पक्ष को प्रचारित करने वाला अथवा धार्मिक/संप्रदायवादी चर्चा कार्यक्रम अधिक लग रहा था। इसके अलावा, शिकायतकर्ता के अनुसार कार्यक्रम के विषय विभाजनकारी सोच को बढ़ावा देने वाले, सांप्रदायिक विभाजन को उकसाने वाले थे और इस उद्देश्य को ढंकने की कोशिश तक नहीं की गई। ऐसी पत्रकारिता या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कवरेज निष्पक्ष और तटस्थ पत्रकारिता के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है। एनबीडीएसए ने शिकायत का संज्ञान लिया है और लिखित पक्ष प्रस्तुत करने को कहा है। सुनवाई की तारीख अभी नहीं बताई गई।

▪▪इस्राइलहमास संघर्ष कवरेज वाले दो डिबेट शो के खिलाफ शिकायत:

10 नवंबर को एनबीडीएसए को टाइम्स नाउ नवभारत के 16 अक्टूबर के दो कार्यक्रमों के खिलाफ शिकायत दी गई। इन डिबेट शो के शीर्षक थे “मोदी के खिलाफ क्यों खड़े ‘हमास’ के साथ? / इस्राइलहमास संघर्ष / ओवैसी / एसटी हसन” और “राष्ट्रवाद : हिंदुस्तान में ‘हमास थिंक टैंक’ कौन बना रहा है? / इस्राइलफ़लस्तीन संकट / ओवैसी”। सीजेपी ने 23 अक्टूबर को चैनल को शिकायत भेजी जिस पर उन्होंने निर्धारित समय में जवाब नहीं दिया। इस संयुक्त शिकायत में बताया गया कि दो शो ने हमास और इस्राइल के बीच संघर्ष के विषय को कवर किया था और उसे सांप्रदायिक रंग दिया था। शिकायत के अनुसार दोनों कार्यक्रम के जरिए संघर्ष के एक पहलू के साथ दर्शकों को प्रभावित करने की कोशिश की गई और फ़लस्तीन के जीवन, स्वतंत्रता और कब्जे से आजादी के मुद्दे का समर्थन करने वाले पक्ष को “मुस्लिम मुद्दा” साबित करने की कोशिश की गई। दोनों कार्यक्रमों ने एकपक्षीय विचार को स्थापित करने की कोशिश की कि फ़लस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन करने वाले मुस्लिम, विपक्षी नेता और वाम संगठनों के छात्र हमास की भी गैरकानूनी गतिविधियों का समर्थन कर रहे थे। शिकायतकर्ता ने यह भी कहा कि दोनों एंकर राकेश पांडे और नैना यादव ने चर्चा का संचालन इस तरह पक्षपाती तरीके से किया कि भारतीय मुस्लिम “धार्मिक कनेक्शन” के कारण हमास के प्रति सहानुभूति दर्शाने वाले दिखाए गए।

गैर पक्षपाती रिपोर्टिंग, निष्पक्षता और वस्तुपरकता के लिए लड़ाई

सामाजिक सद्भावना और लोकतंत्र खतरे में पड़ते हैं जब वैयक्तिक पूर्वाग्रह, भ्रामक गलत  जानकारी और पक्षपात निर्धारित करते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कैसे “सूचना” प्रस्तुत की जाती है। घटनाओं और विचारों की तोड़मरोड़ जो तमाम तथ्यों का प्रस्तुतीकरण नहीं होती, हताश आबादी के बारे में गलत जानकारी और रूढ़बद्धता फैलाती है, से मीडिया में जनता का विश्वास कमजोर होता है। मीडिया पर एक बड़ी जिम्मेवारी है आबादी के सभी वर्गों की आवाज और प्रतिनिधित्व (मुद्दों और समाचारों के जरिए) को बढ़ाने की। पिछले लगभग एक दशक से व्यथित करने वाला ऐसा हानिकारक मीडिया सामने आया है जो कुछ छोटी संख्या में अखबारों और टीवी चैनलों को छोड़कर सांप्रदायिक है।

उपरोक्त शिकायतों के विवरण और सीजेपी को उसके पक्ष में मिले आदेशों से मीडिया संस्थाओं के पक्षपाती और सांप्रदायिक रिपोर्टिंग के पैटर्न का अनुमान लगाया जा सकता है। अधिकांश आदेशों में एनबीडीएसए ने पाया कि प्रसारक उनके द्वारा स्थापित मानदंडों का उल्लंघन करते हैं और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बदनामी और नफरत फैला रहे हैं। जिन कार्यक्रमों के खिलाफ शिकायत की गई है उनमें धार्मिक पुट, अपमानजनक और मुस्लिम विरोधी भाषा का इस्तेमाल, निराधार और बेबुनियाद बयान देना और हिंदुओं को मुस्लिमों के खिलाफ खड़े करने की कोशिशों जैसा समान सूत्र दिखता है।  

नफरत पर नजर रखने और नफरत हटाओ अभियान के प्रति समर्पित सीजेपी गहन  निगरानी रखकर सुनिश्चित करती है कि लोग इन गतिविधियों को समझें। हमारा नफरत का नक्शा, हेट बस्टर्स इस प्रयास का मुख्य हिस्सा हैं। सिर्फ दस्तावेजीकरण से संतुष्ट होकर सीजेपी टीम, जब भी हाशिये पर की आबादियों को निशाना बनाते हुए अपमानजनक और खलनायकीकरण करने वाले भाषणों की घटनाएं होती हैं, घटनाओं को रिपोर्ट करती है और सम्बद्ध अधिकारियों के पास चाहे वह एनबीडीएसए हो या जिला/राज्य पुलिस अधिकारी  शिकायत करती है। सीजेपी के मिशन के  चार स्तंभों में से एक अभिव्यक्ति की आजादी सुनिश्चित करना है जिसमें प्रेस और स्वतंत्र रिपोर्टिंग की आजादी और सटीकता, निष्पक्षता, तटस्थता, निजता आदि के सिद्धांतों का पालन शामिल है। ईमानदार और तथ्यआधारित पत्रकारिता समेत लोकतान्त्रिक स्वतंत्रताओं के लिए बुनियादी आकांक्षा ही सभी के लिए समानता और किसीके प्रति भेदभाव नहीं सुनिश्चित करने की कुंजी है। 

और पढ़ें –

CJP writes to Times Now Navbharat for giving Israel-Hamas conflict a communal colour

CJP Impact! NBDSA warns News18 India against running communal narrative, fines Rs. 50,000

CJP Impact! NBDSA imposes cost on News18 India for two shows for airing hateful, inflammatory content

CJP Impact: NCM’s prompt action against ‘Miya Muslim’ remark; seeks report from Assam DGP

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Go to Top
Nafrat Ka Naqsha 2023