तथ्य और आंकड़ों के साथ खिलवाड़ से चलता है कालीचरण महाराज के नफ़रती बयानों का व्यापार कालीचरण महाराज सहित महाराष्ट्र में हेट-स्पीच के ज़रिए कई दक्षिणपंथी ताक़तें जनता में अलगाव पैदा करने की कोशिश कर रही हैं.

06, May 2023 | CJP Team

महाराष्ट्र में राजनीतिक कर्मियों, कथित साधु-संतों और सोशल मीडिया इनफ़्लुएंसर्स द्वारा नफ़रती बयान उगलने का दौर बिना रोक-टोक जारी है. इनमें कालीचरण महाराज का नाम बार-बार उभर कर सामने आया है. 14 दिसम्बर 2022 में उन्होनें अहमदनगर में लव-जिहाद पर ज़हरीले भाषण के साथ महाराष्ट्र में नफ़रत फैलाने का सिलसिला शुरू किया था. 

रायपुर धर्म संसद में महात्मा गांधी पर अपमानजनक टिप्पणी के बाद उनकी देश भर में निंदा हुई थी जिसके नतीजे में उन्हें 95 दिन हवालात की हवा खानी पड़ी थी. उन्होंने कहा था कि ‘ह*** मोहनदास करमचंद गांधी ने भारत को तबाह किया है, उनकी हत्या के लिए मैं नाथूराम गोडसे का आभारी हूं.’  जेल से रिहा होने के बाद कालीचरण का महाराष्ट्र की हिंदू जनता को हिंसा के लिए उकसाने और भड़काने का मिशन पूरे उफ़ान पर है.

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इन सब भाषणों में जिन बातों का है दोहराव है वो हैं लव-जिहाद, आम मुसलमान की आतंकवादी छवि बनाना, मस्जिदों और मदरसों को आतंकवाद के गढ़ के तौर पर प्रचारित करना और लैंगिक अपराधों की नक़ली तफ़्सील पेश कर अवाम में दरार डालना!

कालीचरण के बारे में ध्यान देने की बात ये है कि मध्य प्रदेश के इंदौर और महाराष्ट्र के अकोला में उनके आश्रम चल रहे हैं और वो महाराष्ट्र के अकोला से पार्षद पद के लिए निर्दलीय चुनाव लड़कर हार चुके हैं.

कालीचरण का यह कहना कि मोदी और योगी विष्णु के अवतार हैं और  फिर  उत्तर प्रदेश में योगी की  बुल्डोज़र नीति की सराहना  से उनके राजनीतिक इरादों की झलक मिलती है.

कब क्या कहा:

कालीचरण महाराष्ट्र की आम जनता में धर्म की बुनियाद पर फूट डालने के क्रम में नक़ली आंकड़ों और तथ्यों का सहारा लेते हैं. ‘जय श्री राम’ के नारे को भगवा रंग देते हुए वो अपने हर ग़लत दावे को सही साबित करने की कोशिश में चाक-चौबंद नज़र आते हैं. 

  • 14 दिसंबर, 2022- सबसे पहले महाराष्ट्र के अहमदनगर के जनआक्रोश मोर्चे से भाषण के दौरान ‘जय श्री राम’  के नारों के बीच  कालीचरण ने झूठे आंकड़े पेश करते हुए कहा कि ‘भारत में हर रोज़ 40,000 लव-जिहाद के केस होते हैं.’ उन्होंने कहा कि हिंदुओं को लव जिहाद के ख़िलाफ़ खुलकर आना चाहिए क्योंकि ‘ईसाईयत और इस्लाम कोई धर्म नहीं है.’ हक़ीक़त में इन धर्मों के अनुयायी दुनिया में सबसे ऊपरी पायदान पर आते हैं. भारत में भी अल्पसंख्यकों में इनकी आबादी सबसे आधिक शुमार की जाती है. बाक़ी महाराष्ट्र की 11 करोड़ पार आबादी में लगभग 11 % मुसलमान हैं.

  • 6 फ़रवरी, 2023-  कुछ समय बाद नंदुरबार से  विश्व हिंदू परिषद के मंच से बोलते हुए कालीचरण  ने  कहा कि ‘मुसलमान देश को एक इस्लामी मुल्क बनाने की तैयारी करके बैठे हैं, मस्जिदों में जब छापा पड़ता है तो AK47 और RDX मिलती है’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, ईरान, ईराक़ और अफ़गानिस्तान में बंटने के बाद ‘भारत माता अब आधी भी नहीं बची है.’ हालांकि ये वाक्य ऐतिहासिक रूप से पूरी तरह से ग़लत है.

  • 9 फ़रवरी, 2023- इस क्रम में  उन्होंने बारामती, पुणे में  हिंदू जनगर्जना मोर्चे से कहा कि ‘मुसलमानों का ‘ग़ज़वा-ए-हिंद’ का 800 साल पुराना प्लॉन है, मुसलमान अपने भाई को ही चारा बनाने वाली क़ौम है.’
    कालीचरण ने दावा पेश किया कि इस्लाम कहता है कि ‘काफ़िरों की औरतें लूट का माल हैं और उन्हें मिल बांटकर भोगना चाहिए.’
    ये धर्म को टूल बनाकर महिलाओं के प्रति हिंसा उकसाने का बेहद ख़राब प्रयास है क्योंकि भारत में पहले ही महिलाओं पर हो रहे जुर्मों में इज़ाफ़ा हो रहा है.

  • 24 मार्च, 2023- रोहिंग्या शरणार्थयों की बात दोहराते हुए लातूर के उद्गीर में हिंदू धर्म सभा से बोलते हुए आठवीं पास कथित संत कालीचरण ने दावा पेश किया कि ‘5 करोड़ रोहिंग्या शरणार्थी NRC से बचकर देश में रह रहे हैं.’ जबकि दुनिया में रोहिंग्या शरणार्थयों की कुल संख्या 30 लाख के आसपास है.

  • 5 अप्रैल, 2023- हिंदुत्व की रक्षा के लिए भीड़ को उकसाने के लिए कालीचरण महाराज हमेशा ही ग़ुस्से और नफ़रत से लैस भाषा का इस्तेमाल करते हैं. 5 अप्रैल 2023  को सकल हिंदू समाज की तरफ़ से आयोजित एक उत्सव में उन्होंने कहा कि ‘अहिंसा परम धर्म है लेकिन धर्म की रक्षा के लिए हिंसा ही परम धर्म है’…इसलिए ही सारे देवी देवता हिंसक हैं और देश-धर्म की रक्षा के लिए जो हिंसा होती है उससे पाप नहीं बल्कि पुण्य हासिल होता है.’
    अगर भारतीय नागरिक के नज़रिए से देखा जाए तो हिंसा और ख़ूनख़राबा संविधान और देश की निगाह में अपराध है. वो जिस देश को बचाने की बात कर रहे हैं अल्पसंख्यक, दलित और आदिवासी  भी उसके बराबर नागरिक हैं.

  • 10 अप्रैल, 2023- महाराष्ट्र के नांदेड़ की बिलोली नामी जगह पर भाषण देते 10 अप्रैल को भाषण देते हुए कालीचरण महाराज ने कहा कि ‘गाय खाने वाले और गाय पूजने वाले कभी भाई नहीं हो सकते.’ और  ‘दंगों में शामिल 100 % लोग मुसलमान ही होते हैं.’
    जबकि श्रीकृष्ण कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक़ 1992 के मुंबई दंगों के अलावा 1970 के जलगांव, भिवंडी, महाड़ दंगों में हिंदूत्ववादी ताक़तों का रोल अहम रहा है.

कालीचरण ने इन जगहों पर दिया नफ़रती बयान

नफ़रती बयानबाज़ियों के पीछे क्या कोई राजनीतिक मक़सद?

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और 48 लोकसभा सीटों के साथ महाराष्ट्र हमेशा से राजनीतिक महत्वकांक्षा के निशाने पर रहा है.

महाराष्ट्र के तत्कालीन डांवाडोल राजनीतिक हालात और आने वाले लोकसभा चुनावों को नज़र में रखते हुए राजनीतिक मक़सद रखने वाले बहुत से लोग यहां अपनी राजनीति की दाल गलाने की कोशिश कर रहे हैं.

सिर्फ़ कालीचरण ही नहीं बल्कि  तेलांगना के टी राजा, गुजरात की काजल हिंदुस्तानी और सुदर्शन टीवी के प्रमुख सुरेश चव्हाणके सहित कई लोग  महाराष्ट्र में हिंसा भड़काकर अपनी राजनीति या तरक़्क़ी के स्वार्थ का सिक्का चमकाने की फ़िराक़ में शामिल हैं. अकेले CJP की डायरी में सिर्फ़ महाराष्ट्र  में 14 दिसम्बर 2022 से अबतक नफ़रती भाषणों के ज़रिए आम-जन को भड़काने की  हेट-स्पीच की 33 घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं.

ऐसे में नफ़रती बयानों और मंचों का आपसी  समीकरण भी ग़ौरतलब है.  इन सभी को जनआक्रोश मोर्चा, विश्व हिंदू परिषद, सकल हिंदू समाज, हिंदू धर्म सभा या हिंदू जनगर्जना मोर्चा के बीच से ही किसी एक मंच ने हेट-स्पीच के लिए जगह दी है.

येे सभी दक्षिणपंथी उग्र राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने वाली कट्टर संस्थाएं है, जो देश के अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ बहुसंख्यक आबादी को ढ़ालने और भड़काने के लिए काम करती रही हैं. सियासी ताने-बाने की बुनियाद पर ये संस्थाएं और मंच धर्म को टूल की तरह इस्तेमाल करते हुए चुनावों के वक़्त में मतदान व्यवहार तय करने में ख़ास रोल निभाते हैं.

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