पूरे भारत में नफ़रती भाषण और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं जारी अनेक राज्यों में मुसलमानों और ईसाईयों के ख़िलाफ़ नफ़रती बयानों और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं जारी हैं. ऐसे नफ़रती बयानों के ख़िलाफ़ कोई ठोस कारवाई नहीं की गई है.

08, Sep 2023 | CJP Team

उत्तर प्रदेश से लेकर कर्नाटक तक अनेक क्षेत्रों में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं तेज़ी से फैल रही हैं. ईसाई समुदाय पर बलपूर्वक धर्मांतरण के आरोप और अल्पसंख्यकों पर धमकी के तेज़ी से बढ़ते हादसे अल्पसंख्यक समुदाय के लिए एक चिंताजनक माहौल बना रहे हैं.

मऊ, उत्तरप्रदेश

उत्तर प्रदेश के मऊ ज़िले में घोसी तहसील में एक चुनावी सभा के दौरान सांप्रदायिक उन्माद का आलम देखने लायक़ था. जामिया अमजदिया नामक शिक्षण संस्थान में अध्यापकों और बच्चों के ख़िलाफ़ उत्पीड़न की विचलित करने वाली रिपोर्ट्स सामने आई हैं. इसके साथ ही हॉस्टल में छात्रों के साथ शारीरिक दुर्व्यवहार की घटनाएं भी सामने आई हैं जिनमें बच्चों को बलपूर्वक उनके घर भेज दिया गया. 2 सितंबर को जारी एक वीडियो ने इन दावों का स्पष्ट सबूत पेश किया गया है जिससे क्षेत्र में चिंता का वातावरण बढ़ा है.

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आज़मनगर, कटिहार, बिहार

आज़मनगर, बिहार में ईसाई और हिंदू समुदाय के सदस्यों के बीच एक कथित विवाद सांप्रदायिक दंगे में बदल गया. इस दौरान ईसाई अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ ये आरोप लगाए गए कि वो ग़रीब जनता का जानबूझकर धर्मपरिवर्तन कर रहे हैं. इस घटना के बाद उन दक्षिणपंथी हिंदू समुदायों के बीच नफ़रत और ग़ुस्सा उबल पड़ा जो इन कथित मीशनरियों पर धर्मपरिवर्तन का आरोप लगाते रहे हैं.

कोसी न्यूज़ के लिए काम करने वाली रिपोर्टर सुमन शर्मा ने बयान दिया कि है कि अलग-अलग समुदायों से क़रीब 15 ईसाईयों के एक समूह ने सनातन धर्म के ग़रीब और बेसहारा लोगों का बलपूर्वक, ब्रेनवॉश करके और दबाव के ज़रिए उन्हें ईसाई धर्म में परिवर्तित किया है. उन्होंने आगे कहा कि ये मिशनरियां लोगों पर धर्मपरिवर्तन का दबाव बनाती रही हैं, यहां तक कि कई बार इन्हें पैसे का लालच भी दिया जाता है. हालांकि आगे अधिकारियों ने ये भी कहा कि ये मामला दो लोगों के बीच आपसी लेन-देन तक सीमित होता है.

 

कारवार, कर्नाटक

कारवार, कर्नाटक में ईसाई समुदाय के सदस्यों ने एक मासिक कमेटी गठित की थी जिसे स्थानीय लोगों ने धर्मांतरण के कथित आधारों की बुनियाद पर नष्ट कर दिया. इसके बाद 4 सितंबर को एक वीडियो जारी हुआ जिसमें समुदाय के सदस्यों को धकेलते हुए देखा जा सकता है.

चांदवाड़ सिटी, नासिक, महाराष्ट्र

3 सितंबर, 2023 को, सकल हिंदू समाज ने नासिक के चांदवाड़ सिटी में एक विराट जनसभा आयोजित की जिसमें मुसलमानों के ख़िलाफ़ दक्षिणपंथी समूहों ने नफ़रती बयान दिए. इन वक्ताओं ने कांस्पिरेसी थ्योरी को तूल दिया और जनता को हिंसा के लिए उकसाने की कोशिश की.

एक महिला वक्ता ने कहा कि ‘हरी घास उग आई है, अगर इसे फेंका नहीं गया तो ये आपको आगे बहुत सी समस्याएं देगी.’

इस भड़काऊ भाषण में एंटी-मुस्लिम भाषा और बोल का इस्तेमाल किया गया और एक दक्षिणपंथी वक्ता के द्वारा मुसलमान टीचरों, बस ड्राइवर्स और दुकानदारों का बॉयकाट करने की अपील की गई.

 

कैथल, हरियाणा

कैथल हरियाणा में गौ-रक्षक दल के नेता ने मेवात क्षेत्र में मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत को तूल दिया और गौ-रक्षकों द्वारा हिंसा के प्रयोग को सही ठहराया. मेवात को ‘मिनी पाकिस्तान’ कहकर संबोधित किया और मुसलमान समुदाय को इस इलाक़े में आशंति के लिए ज़िम्मेदार ठहराया. इस घटना ने अगस्त में पिछले महीने में बड़े पैमाने पर हिंसा का सामना भी किया था.

उदयपुर, राजस्थान

उदयपुर, राजस्थान में अल्वर से भाजपा सदस्य महंत बालकनाथ योगी, ने विराट हिंदू संगम इवेंट पर एक नफ़रती बयान दिया. उन्होंने ग़ैरहिंदुओं को धमकी देते हुए कहा कि – ‘जो भी इंसानियत की एकता तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं ‘सनातन उन सारे अधर्मियों का सर काट लेगा.’

बालकनाथ योगी के भाषण ने आतंकवाद और मुसलमानों के गठजोड़ को भारतीय समस्या न बताकर एक वैश्विक मुद्दा क़रार देकर आग में ईंधन का काम किया. द क्विंट के मुताबिक़ इस साल अल्वर के MP को जनवरी में पुलिस अधिकारियों को ‘गुंडा’ कहकर धमकाने की घटना सामने आई है जिसके साथ ही ये कहा गया है कि राजस्थान में BJP 8 महीने में लौट आएगी. राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं.

भारत भर में हिंसा की इन घटनाओं ने सामाजिक ताने-बाने पर नफ़रती बयानों के प्रभाव और क़ानून व व्यवस्था को क़ायम रखने के बारे में ज़रूरी सवाल उठाए हैं. ये घटनाएं कांग्रेस और भाजपा शासित प्रदेशों में तेज़ी में फैल रही हैं. विधानसभा चुनावों को नज़दीक होने के कारण इन घटनाओं में चिंताजनक रूप से तेज़ उछाल आया है. चुनावी जीत के लिए ऐसी घटनाओं का लंबे समय से प्रयोग किया जाता रहा है क्योंकि ये घटनाएं अक्सर धर्म का दुरूपयोग करके सांप्रदायिक तनाव और ध्रुवीकरण को जन्म देती हैं.

सबरंग इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़, सांप्रदायिक नफ़रती बयान देने वाले लोग जिनके ख़िलाफ़ पहले से ही केस दर्ज है, उनके पास चुनाव जीतने की क़रीब 3 गुना ज़्यादा गुंजाइश होती है.

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