उत्तराखंड में मुसलमान व्यापारियों के पलायन के ख़िलाफ़ CJP ने NCM से गुहार लगाई शिकायत में घटनाओं के ब्यौरे के साथ आगामी ख़तरों पर कारवाई की अपील

24, Jun 2023 | CJP Team

उत्तराखंड में जारी धार्मिक हिंसा के माहौल और व्यापारियों के पलायन पर चिंता जताते हुए CJP ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग [NCM] का रुख किया है. CJP ने शिकायत के जरिए उत्तराखंड के उत्तरकाशी में जारी हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच आपसी झड़प की ओर ध्यान खींचा है। क्योंकि हिंदुत्ववादी तत्व लगातार मुसलिम समुदाय के लोगों, उनके घर और दुकानों को निशाना बना रहे हैं.

इस रिपोर्ट में CJP ने अनेक घटनाओं का ज़िक्र किया है जिसके चलते बड़े पैमाने पर मुसलमान समुदाय के लोग इलाक़ा को छोड़ने पर मजबूर हुए हैं. ‘देव भूमि रक्षा अभियान’ की ज़मीन और पलायन की मांग 27 मई के बाद शुरू हुई थी जब पुरोला, उत्तरकाशी में उबैद ख़ान और जितेंद्र कुमार नामक युवकों ने एक नाबालिग़ हिंदू लड़की का अपहरण कर लिया था. इस घटना को सांप्रदायिक रंग देते हुए जवाब में कई दक्षिणपंथी संगठनों ने एकजुट होकर मुसलमान समुदाय के ख़िलाफ़ भारी जुलूस निकाला और स्थानीय व्यापारियों को दुकान ख़ाली करने की धमकी दी. प्रचार, भड़कीले नारों और पैंफ़लेट के ज़रिए यह नफ़रती अभियान जल्द ही नज़दीकी ज़िलों में आग की तरह फैल गया. 

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2011 की जनगणना के अनुसार उत्तरकाशी में सिर्फ़ 1 प्रतिशत आबादी के साथ मुसलमान एक अति अल्पसंख्यक समुदाय है. इतनी कम आबादी के सामने बहुसंख्यक हिंदू आबादी का सामाजिक डर बिल्कुल बेमानी है, लेकिन दक्षिणपंथी नफ़रत की आग में वो अनेक बस्तियों से बेदख़ल किए जा रहे हैं. नफ़रती समूहों ने इस सिलसिले में न सिर्फ़ हिंदुओं से दुकानों के बहिष्कार की मांग की है बल्कि मुसलमान व्यापारियों को दुकान ख़ाली करने की खुली धमकी भी दी है. अतिवादी तत्वों ने बंद दुकानों के दरवाज़ों पर धमकी भरे पोस्टर भी लगाए हैं. जैसे एक दुकान पर पोस्टर पर लिखा है – 

‘लव जिहादियों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 15 जून, 2023 को होने वाली महापंचायत होने से पूर्व अपनी दुकानें ख़ाली कर लें. यदि तुम्हारे द्वारा ऐसा नहीं किया जाता तो ये वक़्त पर निर्भर करेगा.’

इस हिंसक धमकी से आतंकित होकर अनेक मुसलमान व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं.  

अमर उजाला अख़बार की 6 जून की रिपोर्ट के मुताबिक, बस्ती में 9 मकान मालिकों के घरों को स्थानीय मुसलमान व्यापारी किरायेदारों ने ख़ाली किया है, संगठन ने मकान मालिकों से इस घटना की क़ानूनी तौर पर ज़िम्मेदारी लेने की मांग की है. 

इसी सिलसिले में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने जौनपुर के तहसीलदार को रिपोर्ट करते हुए कहा कि ‘एक ख़ास समुदाय के आईसक्रीम विक्रेता, कूड़ा बटोरने वाले आदि अलग अलग गांवों में घूमते हैं. इनके कारण हमारा अन्न, बेटियां और सम्मान ख़तरे में है. इस वजह से बस्ती के निवासियों ने 10 दिनों का वक़्त देकर इनसे जौनपुर इलाक़े से पलायन की मांग की है.’ 

CJP की इस शिकायत में राधा सेमवाल धोनी का भी ज़िक्र है जो इन दिनों राज्य में सांप्रदायिक हिंसा की आग सुलगाने में सक्रिय हैं. सूचना के अनुसार वो मुसलमान पुरूषों की शिनाख़्त के बाद आईडी, आधार कार्ड और व्यक्तिगत सूचनाओं की मांग रखकर उन्हें जानबूझकर तंग करती हैं. राधा सेमवाल धोनी ने ख़ुद अपना वीडियो जारी किया है जिसमें वो पुलिस को सूचित करने की धमकी के साथ मुसलमान युवकों के काग़ज़ात वापस करने से इंकार कर रही हैं. 

CJP ने ऐसी घटनाओं के ख़िलाफ़ लगातार मुखरता का परिचय दिया हैं. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में दर्ज शिकायत के अनुसार – ‘ये मांगें संविधान की प्रस्तावना में निहित लोकतंत्र की आत्मा के ख़िलाफ़ हैं. ये नफ़रती बयान लगातार व्यक्तिगत तौर पर लोगों के आत्मसम्मान पर हमला कर रहे हैं. ये धमकी सिर्फ़ रोज़ीरोटी के ख़िलाफ़ नहीं बल्कि, धार्मिक पहचान पर आधारित मुसलमान क़ौम के जीवन पर भी हमला है. इससे मुसलमानों को दोयम दर्जे की नागरिकता तक सीमित कर देना है और उन्हें आधिकारिक और सामान्य रूप में कम आंकना है. जैसा कि ज़मीनी हालात दर्शाते हैं, मुसलमानों को कम आंकना बंद नहीं हुआ है बल्कि उनके वजूद, संपत्ति और मौलिक अधिकारों के ख़िलाफ़ लक्षित हिंसा को बढ़ावा मिला है. उन्हें भौगोलिक तस्वीर से खदेड़ने के इरादे से धार्मिक समूहों उन्हें हिंसक रूप से निशाना बना रहे हैं, इसमें नरसंहार की आहट है. यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है क्योंकि इस कैंपेन के मुखिया नेता पहले भी हरिद्वार धर्म संसद 2022 में दिए बयानों के ज़रिए मुसलमान समुदाय के सामूहिक नरसंहार के उद्घोष में शामिल रहे हैं.  

पूरी शिकायत यहां पढ़ी जा सकती है-

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