उत्तरकाशी में मुलसमानों के पलायन को लेकर जांच प्रक्रिया पर SP ने रिपोर्ट जारी की CJP ने NCM के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करके उत्तराखंड में मुसलमानों के हालात का संज्ञान लिया था, जिसके बाद पुलिस ने अगली घटनाओं और कार्रवाई पर विस्तृत रिपोर्ट पेश की है.

13, Sep 2023 | CJP Team

1 सितंबर को उत्तरकाशी के ज़िलाधिकारी ने सिटीज़न्स फ़ॉर जस्टिस एंड पीस (CJP) की 16 जून, 2023 की शिकायत पर हुई कार्रवाई पर एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी है। CJP ने यह रिपोर्ट राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM) को भेजी थी. ये शिकायत स्थानीय हिंदुत्ववादी समूहों द्वारा स्थानीय मुसलमानों के सामाजिक-आर्थिक बॉयकाट और अल्पसंख्यकों के जबरन पलायन की मांग के ख़िलाफ़ जारी की गई थी.  

इस शिकायत में देवभूमि रक्षा अभियान नामक एक हिंदुत्ववादी संगठन को केंद्र में रखा था जिसके द्वारा पोस्टर्स बांटकर धमकियों के ज़रिए मुसलमानों को उनके घरों से पलायन करने पर मजबूर किया गया. इस संगठन का स्थानीय नेता जैसे स्वामी दर्शन भारती और राकेश उत्तराखंडी ने भी साथ दिया जिन्होंने समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रती बयान के ज़रिए मुसलमानों के जबरन बहिष्कार के लिए जनता को ललकारा.

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इस शिकायत में पलायन, नफ़रती बयान, हिंसा की धमकी, बॉयकाट और गाली के ज़रिए सांप्रदायिक एकता की बिगड़ती तस्वीर का विश्लेषण किया गया है जिसके तहत क्रिमिनल लॉ और संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन हुआ. दर्ज शिकायत पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM) के निर्देशों के मुताबिक़ उत्तरकाशी के SP (superintendent of police) की कार्रवाई पर एक रिपोर्ट पेश की गई है.

इस उत्तर में पुलिस ने शुरूआत से मामले का ब्यौरा पेश किया है. पुलिस ने बताया कि सबसे पहले इस मामले की शुरूआत एक नाबालिग़ लड़की के पिता द्वारा पुरोला पुलिस स्टेशन में केस दायर करने से हुई था. इस शिकायत में ये दावा पेश किया गया था कि उवैद ख़ान और जितेंद्र सैनी नामक दो युवाओं ने शादी करने के नाम पर उनकी बेटी का अपहरण कर लिया था.

26 मई, 2023 को एक FIR दर्ज की गई थी. पुलिस ने इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 363, 366A और POCSO एक्ट के सेक्शन 16\17 के तहत उवैद ख़ान और जितेंद्र सैनी पर कारवाई की थी. इन आरोपियों को कोर्ट के सामने भी पेश किया था और फिर इन्हें न्यायिक हिरासत में ले लिया गया था. 10 जून को, जांच पूरी होने के बाद एक चार्जशीट फ़ाइल कर ली गई थी.

सांप्रदायिक भेदभाव- इस रिपोर्ट में आगे कहा गया कि – ‘’क्योंकि ये मामला दो धर्मों से संबंधित था इसलिए स्थानीय लोगों/हिंदुत्व संगठनों ने काफ़ी तीक्ष्ण प्रतिक्रिया दी और पुरोला इलाक़े में रैली करके धर्म विशेष के लोगों का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया.’’

ग़ौर करने की बात है कि NCM में दर्ज CJP की शिकायत के मुताबिक़ ये रैली को 29 मई, 2023 को आयोजित की गई थी. इसी दिन पुलिस कार्रवाई की जारी रिपोर्ट में कहा गया कि- ‘’बडकोट एरिया ऑफ़िसर और बडकोट ट्रैफ़िक एरिया ऑफ़िसर की अगुवाई में एक पुलिस PAC फ़ोर्स तैनात करके एक समुदाय विशेष की सुरक्षा को सुनिश्चित किया गया और लॉ एंड आर्डर दुरस्त करने के लिए एक फ़्लैग मार्च भी किया गया.’’

CJP की ये शिकायत जाने-माने मीडिया संस्थानों की रिपोर्ट्स पर आधारित है जिनके मुताबिक़ इस रैली ने हिंसक रूप अख़्तियार कर लिया था. इलाक़े में अल्पसंखयक समुदाय के घर और दुकानों में भीड़जनित हिंसा ने विकराल शक्ल धारण कर ली थी. सत्ताधारी दल के डिस्ट्रक्ट जनरल सेक्रेटरी प्रकाश कुमार डबराल ने अल्पसंख्यक विरोधी बयान जारी करते हुए कहा कि –

‘’हम उन्हें यहां व्यापार नहीं करने देंगे और उन्हें दुकानें नहीं खोलने देंगे. फिर वो ख़ुद ही ये जगह छोड़ देंगे.’’

उत्तराखंड पुलिस के ATR ने कहा कि 29 मई, 2023 की घटना को लेकर पुरोला पुलिस स्टेशन में 15 जून को IPC के सेक्शन 147/149/427 के तहत क़रीब 100-150 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया था. हालांकि मामले की जांच अभी जारी है.

अल्पसंख्यक विरोधी प्रदर्शन-  

मुसलमानों के घरों को ‘x’ के निशान के साथ चिन्हित करने के अलावा इस लक्षित हिंसा के तहत बड़े पैमाने पर हिंसा और नफ़रत का प्रसार हुआ. पुलिस ने कहा कि – ‘’कुछ अज्ञात लोगों\असमाजिक तत्वों ने मुसलमान समुदाय की दुकानों के शटर पर पोस्टर चिपका दिए हैं.’’

ATR के अनुसार ये पोस्टर्स अज्ञात अपराधियों के द्वारा लगाए गए थे जिसमें कहा गया था कि– ‘’लव जिहादियों को बताया जा रहा है कि वो 15 जून को महापंचायत से पहले इन दुकानों को ख़ाली कर दें. अगर वो इसका अनुसरण नहीं करते हैं तो समय पर उन्हें देवभूमि रक्षा अभियान के तहत निपटाया जाएगा.’’ इसके बाद IPC के सेक्शन 153A/505/(1)(G)/506 के तहत अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया गया और अब  ATR के मुताबिक़ इसपर जांच अभी जारी है.  

महापंचायत- दक्षिणपंथी हिंदू समुदायों ने लव-जिहाद की कथित घटनाओं के ख़िलाफ़ 15 जून को एक महापंचायत का आयोजन किया था. पुलिस ATR ने बयान दिया कि –

‘’15 जून, 2023 को पुरोला में प्रस्तावित महापंचायत के कारण इस हालात की संजीदगी, क़ानून और व्यवस्था और सांप्रदायिक सद्भाव को बरक़रार रखने के लिए और अपने अधीन कार्यरत अधिकारियों को रोज़ाना की दर पर सूचित रखने, निर्देश देने और 15 जून, 2023 के दिन सचेत रखने के लिए ज़रूरी पुलिस फ़ोर्स तैनात की गई थी.

शांति और क़ानून व व्यवस्था के मद्देनज़र पुरोला के डिप्टी कलेक्टर ने पुरोला पुलिस स्टेशन एरिया में 14 जून, 2023 से 19 जून, 2023 तक सेक्शन 144 लागू किया और इसे अनेक माध्यमों के ज़रिए सार्वजनिक भी किया. 15 जून, 2023 को पुरोला पुलिस स्टेशन में पर्याप्त संख्या में PAC फ़ोर्स तैनात की गईं जिससे कि क़ानून और व्यवस्था को क़ायम रखा जा सके और एक धर्म विशेष के लोगों को प्रस्तावित महापंचायत और अनेक संगठनों के प्रकोप से बचाया जा सके. ज़िला प्रशासन, पुलिस और प्रस्तावित महापंचायत की जद्दोजेहद के कारण महापंचायत को आयोजन से रोक लिया गया और पुरोला क़स्बा बाज़ार में  शांति को क़ायम रखा जा सका.’’

इसके साथ ही इस बात पर ध्यान देना ज़रूरी है 13 जून और 14 जून के बीच APCR(Association for the Protection of Civil Rights) ने सुप्रीम कोर्ट से इंटरवेंशन की गुज़ारिश करते हुए महापंचायत को रोकने के लिए याचिका दायर की थी. 14 जून की सुबह तक पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी के प्रमुख शिक्षाविद् अपूर्वानंद, चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया D.Y. चंद्रचूड़ के नाम 2 लेटर पिटीशन भेज चुके थे. ग़ौरतलब है सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को रद्द कर दिया लेकिन याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट या किसी अन्य अधिकृत संस्था तक जाने की इजाज़त दे दी. 14 जून को 11:30 a.m. तक पुरोला में धारा 144 लागू होने और प्रस्तावित, विवादित महापंचायत रद्द होने की ख़बर सार्वजनिक हो चुकी थी.

इसके बाद 15 जून को उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी ने महापंचायत के ख़िलाफ़ APCR याचिका को सुना और कहा कि क़ानून और व्यवस्था को क़ायम रखना राज्य सरकार का कर्तव्य है और शांति अभी क़ायम है और राज्य में किसी भी व्यक्ति के जीवन और संपत्ति का कोई नुक़सान नहीं हुआ है. कोर्ट ने सारे कर्ताओं (राज्य और पुलिस) को संवैधानिक क्रिया के लिए माफ़िक़ क़दम उठाने, क़ानून और व्यवस्था को क़ायम रखने और सभी के जीवन की हिफ़ाज़त करने का निर्देश भी दिया है.

अंत में पुलिस ATR ने कहा कि 17 जून से पुरोला क़स्बा बाज़ार में अल्पसंख्यक धर्म के लोगों की सारी दुकानें शांति के साथ खुल गई हैं. इसके साथ ही धर्म विशेष के लोगों की सुरक्षा, सांप्रदायिक सद्भाव और क़ानून और व्यवस्था क़ायम रखने के लिए पुलिस भी तैनात कर दी गई है. इस रिपोर्ट में आगे कहा गया कि-

‘इस समय पुरोला में शांति का माहौल है और स्थानीय पुलिस लगातार असमाजिक तत्वों को निर्देशित करती है. इस मामले से जुड़े केसेज़ में जांचकर्ताओं ने क़ानूनी कारवाई के लिए ज़रूरी निर्देश दिया है.’

पुलिस का पूरा जवाब यहां पढ़ा जा सकता है.-

 

NCM में दर्ज शिकायत यहां पढ़ी जा सकती है.

 

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