CJP की मदद से 97 साल की महिला को नागरिकता संकट से राहत नागरिकता संकट की मार में वकील का सहयोग न मिलने के कारण बासु बेवा के पास कोई उम्मीद नहीं बची थी, लेकिन CJP ने वक़्त रहते सहारा देकर उनकी मुशकिल को आसान किया.

16, Aug 2023 | CJP Team

CJP ने साप्ताहिक दौरे में बंगाल के कूच बेहार ज़िले में जन्मी एक ऐसी बुज़ुर्ग महिला से मुलाक़ात की जिन्हें  ‘संदिग्ध विदेशी’ होने का नोटिस मिला था. 97 वर्षीय बासु बेवा इस समय असम के धुबरी ज़िले के रामतैकुटीर में रहती हैं. FT की ओर से नोटिस मिलने के बाद क़रीब 1 साल उन्होंने गहरे दुख और कश्मकश में गुज़ारे हैं. हालांकि उनका क़ानूनी केस संभालने वाले वकील  ने पहले मोनया बर्मन नामी महिला के केस की सफल पैरवी की थी. बर्मन का देहांत हो चुका है लेकिन इस मामले में क़रीब 90 साल की बर्मन ने CJP की मदद से नागरिकता के हक़ की नायाब जीत दर्ज की थी. 

बासु का मामाला उनसे काफ़ी अलग था. कई माह से वकील की ओर से कोई प्रतिक्रिया न मिलने के कारण वो और उनका परिवार गहरे सदमें में था. कुछ अधिकारियों से मुलाक़ात के बाद उन्हें डिटेंशन कैंप का डर लगातर परेशान कर रहा था. इस भय में बासु को भोजन, नींद और समान्य दिनचर्या में भी ख़ासी दिक़्क़्त का सामना करना पड़ रहा था. बासु और उनका परिवार पहले ही बेहद कम संसाधनों के साथ जीवन ग़ुज़ार रहे थे ऐसे में ये नोटिस उनके लिए भयावह था. नोटिस सौंपने वालों की मौजूदगी भर याद कर वो कांप उठती हैं. CJP को अपनी मां की मुशकिलों से अवगत कराते हुए पुत्र अब्दुल की आंखें भी भर आई थीं. 

हफ्ते दर हफ्ते, हर एक दिन, हमारी संस्था सिटिज़न्स फॉर पीस एण्ड जस्टिस (CJP) की असम टीम जिसमें सामुदायिक वॉलेन्टियर, जिला स्तर के वॉलेन्टियर संगठनकर्ता एवं वकील शामिल हैं, राज्य में नागरिकता से उपजे मानवीय संकट से त्रस्त सैंकड़ों व्यक्तियों व परिवारों को कानूनी सलाह, काउंसिलिंग एवं मुकदमे लड़ने को वकील मुहैया करा रही है। हमारे जमीनी स्तर पर किए काम ने यह सुनिश्चित किया है कि 12,00,000 लोगों ने NRC (2017-2019) की सूची में शामिल होने के लिए फॉर्म भरे व पिछले एक साल में ही हमने 52 लोगों को असम के कुख्यात बंदी शिविरों से छुड़वाया है। हमारी साहसी टीम हर महीने 72-96 परिवारों को कानूनी सलाह की मदद पहुंचा रही है। हमारी जिला स्तर की लीगल टीम महीने दर महीने 25 विदेशी ट्राइब्यूनल मुकदमों पर काम कर रही है। जमीन से जुटाए गए ये आँकड़े ही CJP को गुवाहाटी हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट जैसी संवैधानिक अदालतों में इन लोगों की ओर से हस्तक्षेप करने में सहायता करते हैं। यह कार्य हमारे उद्देश्य में विश्वास रखने वाले आप जैसे नागरिकों की सहायता से ही संभव है। हमारा नारा है- सबके लिए बराबर अधिकार। #HelpCJPHelpAssam. हमें अपना सहियोग दें।

उनके हालात का संज्ञान लेने के बाद CJP ने उनकी मदद करने का फ़ैसला लिया. CJP की असम टीम की तरफ़ से हबीबुल बेपारी (District Volunteer Motivator (DVM) ने उनके मामाले की बागडोर संभाली और उनके परिवार का साथ देने का दिलासा दिया. CJP ने उन्हें हर संभव तरीक़े से सहयोग देने का आश्वासन दिया. CJP के आश्वासन से बासु और उनके परिवार को मदद मिली है और इंसाफ़ हासिल कर सकने की उनकी उम्मीद ने तूल पकड़ा है. 

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नागरिकता संकट के लंबे दौर के बीच इंसाफ़ के लिए CJP के समर्पण ने लोगों को लगातार उम्मीद दी है. कोर्ट की क़ानूनी लड़ाईयों से कुछ आगे बढ़कर CJP की असम टीम ने ऐसे मामलों में मानवीय दुख को क़रीब से समझने का प्रयास किया है. CJP का विश्वास है कि नागरिकता की मार एक इंसान को कई स्तर पर तोड़ती है और इसलिए इस लड़ाई में मदद की दिशा में बहुआयामी योगदान मुहिम का हिस्सा है. अनिश्चितता के दौर में बासु बेवा की कहानी यक़ीनन मानवीय संघर्षों और उम्मीद की मिसाल की तरह है. 

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