लव आज़ाद: प्यार करने का ज़ज्बा रखने वालों के खिलाफ नफ़रत के अपराध को ट्रैक करने वाला सीजेपी का मैप एक ऐसा विशेष अभियान जो अंतरधार्मिक और अंतरजातीय जोड़ों पर हो रहे हमलों की घटनाओं पर पैनी निगाह रखेगा

18, Jan 2022 | CJP Team

सीजेपी “लव आज़ाद” नाम से एक ऐसा विशेष मैप ला रही है जो अलग-अलग धर्म और जाति तथा अलग-अलग सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान रखने के बावजूद प्यार करने की हिम्मत करने वाले लोगों के खिलाफ हो रही हिंसा की घटनाओं को ट्रैक करने में मदद करेगा।

भारत का संविधान हमें साफ-साफ बताता है कि हम एक संप्रभु और धर्मनिरपेक्ष राज्य हैं। बावजूद इसके हम देखते हैं कि आए दिन युवा महिलाओं और पुरुषों को और यहाँ तक कि अन्य जेंडरों, विभिन्न लैंगिक पहचान वाले लोगों की निर्मम हत्याएं की जा रही हैं। वह भी महज इसलिए कि उनके बीच के संबंधों को सामाजिक स्वीकृति नहीं है। उल्लेखनीय है कि उनमें से कई हत्याएंऐसी हैं जो किउनके अपने परिवारों द्वारा की जा रही हैं। ऊपर से विडम्बना यह है कि हिंसा की ऐसी शर्मनाक घटनाओं को ‘ऑनर किलिंग’ या ‘सम्मान के लिए हत्या’ बताया जा रहा है। ऐसी बहुत सी घटनाएं सामने आई हैं जिनमे जोड़ों को धमकियां दी गई हैं, उनपर काफी जुल्म ढाए गए हैं तथा कई बार उन्हें अपनी हिफाजत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने को मजबूर किया गया है।

अभी हाल की ही यानीअक्टूबर की तीन तारीख की बात है जब कर्नाटक के बेलगावी जिले के बेसुर और खानपुर के बीच रेलवे लाइन पर 24 वर्षीय नौजवान अरबाज़ आफ़ताब मुल्ला की बुरी तरह क्षत-विक्षत लाश पाई गई। वह सितंबर की 27 तारीख से ही लापता बताया जा रहा था। उसके परिवार के लोगों का आरोप था कि बहुसंख्यक समुदाय की एक महिला के साथ संबंध होने के चलते बदले की करवाई के बतौर उसे मार डाला गया है। बताते हैं कि कुछ माह पहले उक्त महिला के साथ उसके संबंधों की बात उस महिला के घर वालों को मालूम हुई तो एक उग्रवादी हिंदुत्ववादी संगठन श्री राम सेना के सदस्यों ने मुल्ला को चेतावनी दी थी कि वह उस महिला से न मिले। उन्होंने मुल्ला को फोन पर कई बार धमकियां भी दीं। मुल्ला के परिवार वालों का सीधा आरोप है कि इस संगठन के सदस्यों के साथ-साथ उस महिला के परिवार वाले भी इस हत्या में शामिल थे।

‘लव जिहाद’ के नाम पर फैलाए जा रहे भ्रमों के सहारे पुलिस और राज्य से इतर व्यक्तियों, संगठनों और समूहों द्वारा धमकियां देने से लेकर हिंसा की घटनाएं की जा रही हैं। ‘लव जिहाद’ से संबंधित कानून असंवैधानिक, अल्पसंख्यक-विरोधी और महिलाओं से नफ़रत पैदा करनेवाले आस्थाओं को वैध ठहराते हैं और इस तरह उग्रवादियों के नफ़रत से भरे सामुदायिक एजेंडों को आगे बढ़ाने में सहायक होते हैं। सीजेपी इन कानूनों को चुनौती देता है क्योंकि ये व्यस्क लोगों की निजता, आज़ादी और परस्पर सहमति पर आधारित संबंधों के ख़िलाफ़हैं। इसलिए समानता और अपनी पसंद की रक्षा के संघर्ष में सीजेपी की मदद करें! ‘लव ज़ेहाद’ की भर्त्सना और #लव आज़ादअभियान को जारी रखने के लिए सीजेपी का आर्थिक सहयोग करें! कृपया यहाँ दान करें

नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो की क्राइम इन इंडिया (सीआईआई)की 2020 में आई रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल देश भर में ‘ऑनर किलिंग’ की 25 घटनाएं घटी हैं। यह रिपोर्ट यह भी बताती है कि 1,443 ऐसी घटनाएं घटी हैं जिनमें ‘लव अफेयेर्स’ में शामिल जोड़ों को टारगेट किया गया है और 1588 घटनाएं ऐसी हुईं हैं जिनमें ‘अवैध संबंधों’ में लिप्त होने की वजह से जोड़ों पर हमले किए गए हैं। इस तरह के मामलों की चर्चा के क्रम में जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है, वे इस बात के साफ उदाहरण हैं कि परस्पर सहमति से दो वयस्कों के बीच के संबंधों को लेकर कितने गहरे पूर्वाग्रह मौजूद हैं।

प्यार करने के अधिकार के लिए सीजेपी द्वारा किये गए संघर्ष

सीजेपी नेइससे पहले भी “लव ज़ेहाद” जैसे नकली नैरेटिव (आख्यान) के बारे में और भी बड़े पैमाने पर जागरूकता लाने की दिशा में काम किया है।दिसंबर 2020में सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) ने उत्तर प्रदेशगैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेधक अध्यादेश, 2020 और उत्तराखंड धर्म की स्वतंत्रता कानून,2018 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय मेंएक रिट याचिकादाखिल की थी। जनवरी में मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े की अध्यक्षता में गठित जस्टिस बी. रामासुब्रमनियन और ए एस बोपन्ना की तीन सदस्यीय पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की तथा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों को नोटिस भेजा। फिर फरवरी में सीजेपी ने उच्चतम न्यायालय में ही एक और आवेदन दिया जिसमें इसके द्वारा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बनेधर्मांतरण-विरोधी कानूनों को चुनौती देने वाली मूलरिट याचिका में संशोधन करने की मांग की गई थी और जिसमें यह भी अनुरोध किया गया था कि मध्य प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता अध्यादेश, 2020 और हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता कानून, 2019 में संशोधन करने की उसकी मांग को भी उसमें शामिलकर लिया जाए। फरवरी, 2017 में इस संशोधन की इजाज़त दे दी गई। इन चारों कानूनों को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि ये भेदभावपूर्ण औरमहिला-विरोधी हैं। साथ ही ये अंतरधार्मिक और एक-दूसरे से इतर आस्था रखने वाले लोगों के बीच के संबंधों को आपराधिक ठहराने के जरिए नागरिकों के निजता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। हमने 13 फरवरी, 2021 को सोशल मीडिया पर इन्स्टाग्राम लाइव जैसी दिनभर चलने वाली एक एक्टिविटी भी चलाई जिसका समापन सभी अलग-अलग जेंडरों और लैंगिक पहचान के वयस्कों के बीच परस्पर सहमति के आधार पर विकसित प्यार करने के अधिकार का जश्न मनाने के लिए आयोजित एक वेबिनार के रूप में हुआ।

लव आज़ाद मैप

अब संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने और उनकी हिफाज़त करने की अपनी प्रतिबद्धता को जारी रखते हुए सीजेपी लव आज़ाद नामक एक ऐसा मैप ला रही है जो प्यार के खिलाफ ऐसे हेट क्राइमों (नफ़रत भरे अपराधों) को ट्रैक करेगा। इस मैप में अलग-अलग हेट क्राइम (नफ़रत भरे अपराधों) को दर्शाने के लिए अलग-अलग रंगों का इस्तेमाल किया गया है, मसलन मैप मेंआपको“ऑनर किलिंग्स” के लिए काले,”लव ज़ेहाद” के लिए बैंगनी, समाज में नफ़रत फ़ैलाने के लिए नारंगी और मॉब हिंसा के लिए लाल रंग दिखेंगे।

मैप यहां देखा जा सकता है:

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