असम में तमाम चुनौतियों के बीच, नागरिकों को CJP से उम्मीद नस्लवाद से जूझ रहे वंचित तबक़े के एक पुरूष की नागरिकता साबित कराने में CJP ने सहायता की
06, Nov 2023 | CJP Team
असम में CJP नागरिकता के हक़ के लिए प्रतिबद्ध है, हालांकि असम के नागरिकता संकट के बीच हाशिए पर रह रहे तबक़े की मुश्किलें काफ़ी बढ़ गई हैं. इसी कड़ी में असम में चुनाव आयोग ने एक नई वोटर लिस्ट जारी की है जिससे कि अनेक लोग नाइंसाफ़ी का शिकार हो गए हैं.
CJP की असम टीम इस नई वोटर लिस्ट का गहराई से लगातार अवलोकन कर रही है. संदिग्ध वोटरों की शिनाख़्त और उनकी तफ़सील रखने पर हमारा ख़ास ध्यान है जिससे बाद में उनसे संपर्क करके संवाद किया जा सके. ये क़दम असम में मानवाधिकारों के लिए CJP के ठोस संकल्प को उजागर करता है.
हम लोगों के नाम, उनके माता-पिता के नामों, आयु और अन्य प्रासंगिक विवरणों में भी विसंगितियां तलाश रहे हैं जिससे कि ट्रिब्यूनल में उनके मामले की पैरवी में मदद मिल सके. असम में इंटरनेट और नेटवर्क की तमाम दिक़्क़तों के बावजूद हम वोटर लिस्ट डाउनलोड करने की कोशिश कर रहे हैं जिससे कि संघर्षरत लोगों की मदद की जा सके.
हफ्ते दर हफ्ते, हर एक दिन, हमारी संस्था सिटिज़न्स फॉर पीस एण्ड जस्टिस (CJP) की असम टीम जिसमें सामुदायिक वॉलेन्टियर, जिला स्तर के वॉलेन्टियर संगठनकर्ता एवं वकील शामिल हैं, राज्य में नागरिकता से उपजे मानवीय संकट से त्रस्त सैंकड़ों व्यक्तियों व परिवारों को कानूनी सलाह, काउंसिलिंग एवं मुकदमे लड़ने को वकील मुहैया करा रही है। हमारे जमीनी स्तर पर किए काम ने यह सुनिश्चित किया है कि 12,00,000 लोगों ने NRC (2017-2019) की सूची में शामिल होने के लिए फॉर्म भरे व पिछले एक साल में ही हमने 52 लोगों को असम के कुख्यात बंदी शिविरों से छुड़वाया है। हमारी साहसी टीम हर महीने 72-96 परिवारों को कानूनी सलाह की मदद पहुंचा रही है। हमारी जिला स्तर की लीगल टीम महीने दर महीने 25 विदेशी ट्राइब्यूनल मुकदमों पर काम कर रही है। जमीन से जुटाए गए ये आँकड़े ही CJP को गुवाहाटी हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट जैसी संवैधानिक अदालतों में इन लोगों की ओर से हस्तक्षेप करने में सहायता करते हैं। यह कार्य हमारे उद्देश्य में विश्वास रखने वाले आप जैसे नागरिकों की सहायता से ही संभव है। हमारा नारा है- सबके लिए बराबर अधिकार। #HelpCJPHelpAssam. हमें अपना सहियोग दें।
डिस्ट्रिक्ट वॉलंटरी मोटिवेटर हबीबुल बेपारी और CJP टीम के कम्युनिटी वालंटियर्स भी इन संदिग्ध डी-वोटर्स के लिए लगातार काम कर रहे हैं. जारी नागरिकता संकट के बीच संघर्ष की एक और महत्वपूर्ण कहानी सामने आई है जिसने धुबरी ज़िले के अगोमनी पुलिस स्टेशन में मौजूद झासकल गांव के अशरफुल एस.के. को हमारे सामने खड़ा किया है. अशरफुल जन्म से ही झासकल गांव के निवासी हैं और उनकी पैदाइश और परवरिश झासकल गांव में ही हुई है. उनका प्रारंभिक जीवन परिवार की आर्थिक दशा कमज़ोर होने के कारण शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं से महरूम था. वयस्क होने के बाद उन्होंने परिवार की ज़मीन पर खेती के दौरान कड़ी मेहनत की. अनेक सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों के बावजूद अशरफ़ुल किसी तरह अपने परिवार का पेट पालने और अपनी ज़िम्मेदारियां निभा रहे थे. उन्होंने अपनी बेटी की शादी कर दी जबकि उनका बेटा अभी पढ़ाई कर रहा है. मुख्य दिक़्क़त तब पैदा हुई जब उन्होंने देखा कि उनका नाम 2007 की वोटर लिस्ट में “D” वोटर के तौर पर दर्ज है.
इस झटके के बाद वो काफ़ी हताश और परेशान थे. इस मुद्दे को सुलझाने के लिए उन्होंने लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सहारा लिया और अपने स्टेटस की पड़ताल करने के लिए उन्होंने फ़ौरन बूथ स्तर के अधिकारी से संपर्क किया हालांकि उनकी गुज़ारिश पर BLO ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. उन्होंने कई बार कोर्ट में भी मामले को सुलझाने का प्रयास किया और इससे बढ़कर उन्होंने अनेक बार व्यक्तिगत तौर पर चुनाव आयोग के ऑफ़िस में भी संपर्क किया. उन्होंने फ़ॉरेनर्स ट्रिब्यूनल से भी संपर्क की कोशिश की जिससे कि उनके ‘D’ स्टेटस की असल तस्वीर सामने आ सके.
एक अशिक्षित किसान होने के बावजूद अशरफ़ुल अपने संकल्प को लेकर अडिग थे. ये सब याद करते हुए भावुक होकर अशरफ़ुल ने CJP को बताया कि वो इस समस्या को सुलझाने के लिए हर मुमकिन तरह से तत्पर थे लेकिन संसाधनों के अभाव के चलते उन्हें ‘D’ वोटर की श्रेणी से मुक्ति नहीं मिल सकी.
उनकी मुश्किलों का कोई अंत नहीं था लेकिन साल 2019 में उनके जीवन में एक नया तूफ़ान खड़ा हो गया जब विवाह के बाद अशरफ़ुल की पुत्री को अपने पति के गांव में अपना नाम रजिस्टर कराने की ज़रूरत महसूस हुई. उस इलाके के BLO ने पिता के संदिग्ध वोटर होने के कारण उन्हें मताधिकार देने से इंकार कर दिया. असहाय और दुखी होकर अशरफ़ुल ने वकीलों से सहयोग की अपील की जिससे उन्हें सहायता प्राप्त हो सके लेकिन वकीलों ने इसके बदले बहुत ज्यादा फ़ीस मांगी और उन्हें किसी भी ओर से मदद का आश्वासन नहीं मिला. बल्कि इसके उलट एक वकील ने उनपर नस्लवादी टिप्पणी भी कर डाली. ये तजुर्बा उनके लिए काफ़ी दुखद था जिसने ‘संदिग्ध वोटर’ होने के इस आरोप के ख़िलाफ़ इस लड़ाई में उनकी सारी उम्मीदें तोड़ दी थीं.
इस समय असम में अनेक लोग अशरफ़ुल की तरह कठिन हालात से गुज़र रहे हैं जहां उचित क़ीमत में क़ानूनी प्रतिनिधित्व और मानवीय नज़रिए की सख़्त ज़रूरत है जिससे कि ऐसे मुद्दों से निपटा जा सके. असम में अशरफ़ुल जैसे लोगों की लड़ाई के अनेक हिस्सों में बंटी हैं जहां वो ग़रीबी, भेदभाव, अशिक्षा, भेदभाव और स्वास्थय समस्याओं से लगातार जूझ रहे हैं.
मार्च, 2021 में CJP ने गुवहाटी हाईकोर्ट में प्रभावी क़ानूनी सहयोग हेतु निर्देश जारी करने के मक़सद से एक याचिका भी दायर की थी. इस याचिका में फ़्रंट ऑफ़िसेज़ में ट्रेनिंग प्राप्त वकीलों के पैनल का इंतज़ाम करने की मांग की गई थी जिससे कि NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स) से बेदख़ल लोगों के मामलों को फ़ारेनर्स ट्रिब्यूनल में सुना जा सके. NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स) की फ़ाइनल लिस्ट 31 अगस्त, 2019 को जारी की गई थी जिसके बाद बेदख़ल नागरिक लगातार कठिन दौर से गुज़र रहे हैं और अपनी नागरिकता साबित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उन्हें उचित क़ानूनी सहायता की भी ज़रूरत है.
इन मायूस नागरिकों के बीच CJP ने अभी तक इंसाफ़ की उम्मीद को ज़िन्दा रखा है. CJP ने क़रीब 50 लोगों को कोर्ट्स में उनकी नागरिकता साबित होने के बाद उनके भारतीय होने को प्रमाणित किया है. हमने रोज़मर्रा के स्तर पर क़ानूनी सहयोग प्रदान करने के अलावा जागरूकता के लिए वर्कशॉप्स भी आयोजित की हैं जिससे कि असम में CJP बेबसी और निराशा को दूर करने में सफलता हासिल कर सके. CJP टीम नागरिकता संकट में फंसे लोगों का लगातार संज्ञान लेकर काग़ज़ात ठीक करवाने में भी उनकी सहयता करती रही है. CJP टीम उन लोगों का भी संज्ञान लेती है जो नागरिकता संकट के बीच संसाधनों की कमी या अशिक्षा के चलते लड़ाई का बीड़ा उठाने में असक्षम हैं.
इंसाफ़ से लिए हर तरह के भेदभाव से लड़ने के लिए हम पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. असम में इस समय वोटर लिस्ट का ड्रॉफ़्ट तैयार करना और डिलीमिटेशन कमीशन एक नई चुनौती है लेकिन CJP हर मुमकिन तरीके से अपने लक्ष्य को समर्पित है. सबसे चुनौती भरे हालात में भी लोकतंत्र और समानता के अधिकार को सुनिश्चित करना हमारी पहली वारीयता है.
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