उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में नफ़रती बयानों का तेज़ी से प्रसार मुख्यमंत्री से लेकर विहिप, बजरंग दल और संघ परिवार के आयोजनों में नफ़रती बयानों के ज़रिए भारत का ध्रुवीकरण करने की कोशिश पूरे उफान पर है.

12, Oct 2023 | CJP Team

भारत में नफ़रती बयानों का सिलसिला लगातार जारी है. उत्तराखंड से लेकर कर्नाटक तक नफ़रती बयानों को जनता के विचारों का ध्रुवीकरण करने के लिए संगठित किया जा रहा है. सबरंग इंडिया ने इस हफ़्ते उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में नफ़रती बयानों को ट्रैक करने की कोशिश की है.

उत्तराखंड

6 अक्टूबर, 2023 को सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का एक वीडियो तेज़ी से वायरल हो हुआ था. इस वीडियो में वे हरिद्वार में बजरंग दल द्वारा आयोजित एक जनसभा में जनता को संबोधित करते हुए नफ़रती बयान दे रहे हैं और दक्षिणपंथी धड़े व साज़िशों को हवा दे रहे हैं. इसके बाद मुख्यमंत्री ने मुसलमान विरोधी हवा को तूल देते हुए बड़े गर्व को साथ सैकड़ों दरगाहों को तोड़ने का दावा भी किया. उन्होंने कहा कि क़्रब बनाने की परंपरा दरअसल ज़मीन हड़पने का एक माध्यम है. भीड़ को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि

सीजेपी हेट स्पीच के उदाहरणों को खोजने और प्रकाश में लाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि इन विषैले विचारों का प्रचार करने वाले कट्टरपंथियों को बेनकाब किया जा सके और उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जा सके। हेट स्पीच के खिलाफ हमारे अभियान के बारे में अधिक जानने के लिए, कृपया सदस्य बनें। हमारी पहल का समर्थन करने के लिए, कृपया अभी दान करें!

ये एक ऐसी धरती है जहां लोग भूमि को सलाम करने आते हैं. इसलिए इसका मूलस्वरूप बरक़रार रखने के लिए हमने मज़ार जिहादऔर ज़मीन हड़पने के खिलाफ़ कारवाई शुरू की है. वहां 5 से अधिक मज़ारें थीं. हमने 3300 सरकारी ज़मीन को आज़ाद किया है.

इसके बाद मुख्यमंत्री ने लव जिहादके नाम पर धर्मपरिवर्तन के ख़िलाफ़ भी कठोर क़ानून लाने की बात कही. उन्होंने कहा कि ये पैमाने अबोध लोगों का जबरन धर्मपरिवर्तन रोकने के लिए ज़रूरी हैंऔर उत्तराखंड ने अब ऐसी घटनाओं के ख़िलाफ़ देश का सबसे कठोर क़ानूनअपना लिया है.

ये उत्तराखंड में अपनी तरह का अकेला नफ़रती बयान नहीं था. इससे पहले इस हफ़्ते खातिमा में विहिप नेता उद्धम सिंह नागर ने भी मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा की खुली वकालत की. मुसलमान समुदाय के ख़िलाफ़ जनता को ललकारते हुए नेता ने कहा कि

आने वाली पीढ़ियां हमसे पूछेंगी कि जब इस देव भूमि पर राक्षस, लव-जिहादी और लैंड जिहादी क़ब्ज़ा कर रहे थे तो हम क्या कर रहे थे.

हमें उनसे कहना होगा कि हमने अपने पूर्वजों से हासिल इस देवभूमि को सुरक्षित रखा है. अगर आने वाली पीढ़ियां हमसे जबरन धर्म परिवर्तन कराने वाले इन लव-जिहादियों के बारे में सवाल करती हैं तो हमें इन सवालों का जवाब देने के लिए तैयार रहना होगा. हमें ये कहने लायक होना चाहिए कि हम गाय का गोश्त खाने वाले उन लोगों को बाहर निकालने के लिए संघर्षरत थे जिन्होंने हमारे भाईयों और बहनों का धर्म-परिवर्तन कराया है.

इसी तरह 5 अक्टूबर को देहरादून में भी एक हिंदुत्ववादी नेता ने विहिप-बजरंग दल आयोजन में जनता को हिंसा के लिए भड़काने की कोशिश की.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और अतिवादी नेताओं के अनेक बयान आज नफ़रती बयानों के ऐसे संगठित आयोजनों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग करते हैं जिससे देश के लिए ख़तरा पैदा हो सकता है.

उत्तरप्रदेश

5 अक्टूबर 2023 को कथित तौर पर राष्ट्रीय बजरंग दल के नेता अर्पित गुप्ता ने मुसलमानों को निशाना बनाते हुए नफ़रती बयान दिया और हिंदुओं से नाथूराम गोडसे का रास्ता अपनाने को कहा. इस भाषण के दौरान गुप्ता ने अनेक चिंताजनक बयान दिए. सबसे पहले उन्होंने गांधीजी का मज़ाक उड़ाते हुए कहा

क्या आप गांधी को याद करते हैं? क्या सभी गांधी को याद करते हैं? एक गाल पर थप्पड़ मिले तो दूसरा पेश करो! बूढ़ा आदमी!

भगवा की रक्षा के लिए, हिंदुत्व की पवित्रता के लिए और हिंदुओं की रक्षा के लिए तुम्हें किसी को मारना होगा, क़ानूनी नतीजे झेलने होंगे और अपना घर छोड़ना होगा. तैयार रहो! यही एक योद्धा होने का अर्थ है. करो या मरो.

गुप्ता ने हिंसा भड़काने के एवज़ अनेक नफ़रती बयान दिए-

हम हिंदुओं के लिए हिंदुस्तान चाहते हैं. ये ख्वाजा का हिंदुस्तान नहीं है. अगर वो जय श्री रामका उद्घोष नहीं करते हैं. आज देश के 9 राज्यों में हिंदू आबादी घट गई है. जम्मू और कश्मीर हिंदुओं से खाली है. और जब मैं कहता हूं, हिंदू!.. तो इसका अर्थ है सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और हिंदू.

इसी तरह सिक्किम, मिजोरम, मेघालय और त्रिपुरा में भी हिंदू नहीं हैं. वो पश्चिम बंगाल में घुसपैठ और हत्याएं कर रहे हैं और केरल में इस्लामिक देश बनाने की बात कर रहे हैं.

उत्तर प्रदेश के संडीला, हरदोई में भी एक ऐसी ही घटना सामने आई जहां एक दक्षिणपंथी नेता ने भड़काऊ बयान दिया. इस दौरान नेता ने हिंसा भड़काने की कोशिश की और राजस्थान में मौजूद सूफियों की अजमेर दरगाह पर क़ब्ज़ा करने की धमकी दी.

इस भाषण के दौरान नेता ने जय श्री राम का उद्घोष करते हुए कहा कि

अगर आप रहीम बन जाते हैं तो वो कृष्णा कन्हैया को पुकारेंगें और भजन गाएंगे. लेकिन मोहम्म्द की औलादों! यहां तुम यमुना में डुबा दिए जाओगे.

अक्टूबर 7, 2023 की घटना में नेता ने ये भी कहा कि

 ‘ये देश बाबर, गौरी या गज़नी का नहीं है, ये हिंदुओं का है.

अदालत और सरकार ने अब तक इन नफ़रती बयानों पर काबू करने के लिए क्या किया है? चलिए इसका आकलन करते हैं.

हाल ही में अप्रैल, 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की संजीदगी का संज्ञान लेते हुए राज्यों से नफरती बयान पर फौरन FIR रजिस्टर करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि राज्यों को FIR दर्ज करने के लिए शिकायत दर्ज होने का इंतज़ार नहीं करना चाहिए. इससे पहले जनवरी, 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने नफ़रती बयानों पर कार्रवाई के मामले में सरकार के रवैये पर टिप्पणी की थी.

हालांकि वाशिंगटन आधारित संगठन हिंदुत्व वॉच ने भारत में अल्पसंख्यकों पर हमले के बारे में चिंताजनक रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक़ 2023 के शुरूआती हिस्से में नफ़रती बयान की ऐसी 255 घटनाएं दर्ज की गईं जिसमें सीधे तौर पर मुसलमानों को निशाना बनाया गया था.

इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि ऐसी क़रीब 70 प्रतिशत घटनाएं उन राज्यों में हुई जहां 2023 से 2024 के बीच चुनाव होने वाले हैं. महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में नफ़रती बयानों की सबसे अधिक घटनाएं सामने आई हैं. सिर्फ़ अकेले महाराष्ट्र में ये आंकड़ा 29% है.

इस रिपोर्ट के मुताबिक़ इन नफ़रती बयानों में कांस्पिरेसी थ्योरी को तूल दिया गया है जिसके तहत हिंदुओं को हिंसा के लिए भड़काने के अलावा मुसलमानों के सामाजिक- आर्थिक बहिष्कार की बात की गई है. इस रिपोर्ट के अनुसार ऐसी क़रीब 80 प्रतिशत घटनाएं भाजपा शासित राज्यों में हुई हैं. पार्टी 2023 के अंत में विधानसभा चुनावों और 2024 में जनरल इलेक्शन्स में जीत हासिल करने के लिए ढृढप्रतिज्ञ है. इसी तरह एसोसिएशन फॉर डेमोक्रिटिक रिफ़ार्म्स (ADR) के अनुसार क़रीब 4768 मौजूदा सांसदों और विधायकों पर नफ़रती बयान के मामले दर्ज हैं. भाजपा में ऐसे मामलों का आंकड़ा सबसे अधिक है. ये आंकड़े गंभीर रूप से चिंताजनक हैं. इससे ये सवाल पैदा होता है कि क्या नफ़रती बयान देने वालों के हाथों में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की बागडोर होनी चाहिए 

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