नफ़रत के ख़िलाफ़ CJP की एक और जीत: टाइम्स नॉउ नवभारत के 2 प्रोग्रामों पर NBDSA ने रोक लगाई! CJP ने अल्पसंख्यक विरोधी विषय वस्तु, अपमानजनक भाषा और तय मानकों के उल्लंघन को लेकर शिकायत दायर की थी जिसके बाद NBDSA ने ये निर्णायक कारवाई की है.
10, Nov 2023 | CJP team
3 नवंबर को सिटीज़न्स फॉर जस्टिस एंड पीस (CJP) ने न्यूज़ ब्रॉडकॉस्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स ऑथरिटी (NBDSA) में टाइम्स नॉउ नवभारत के दो प्रोग्राम्स के ख़िलाफ़ शिकायत के बाद एक साथ दो जीत दर्ज की हैं. इन दो शिकायतों की प्रतिक्रिया में NBDSA ने ब्रॉडकास्टर को इन दो वीडियोज़ को हटाने का आदेश दिया है और प्रसारकों से मीडिया के लिए तय गाइडलाइन्स का पालन करने को कहा है.
CJP ने इन दोनों शिकायतों में बताया है कि कैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ इन दो क्रायक्रमों में हिंसा और नफ़रत को तूल दी गई. पहले कार्यक्रम में प्रतिरोध कर रहे मुसलमानों को ‘जिहादी गैंग’ का बताया गया और ये संदेश देने की कोशिश की गई की वो ‘ज़मीन जिहाद’ में संलिप्त हैं जबकि एक अन्य कार्यक्रम में होस्ट ने मुसलमानों पर अपने तबक़े को भड़काकर राममंदिर तोड़ने का आरोप लगाया.
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पहली शिकायत – उत्तराखंड़ में मुसलमानों को बेदख़ल करने पर
30 जनवरी को CJP ने NBDSA में टाइम्स नॉउ नवभारत के कार्यक्रम “देवभूमि Uttarakhand में ‘जमीन जिहाद’ पर बुलडोजर एक्शन की बारी!” के ख़िलाफ़ शिकायत दायर की. ये कार्यक्रम 2 जनवरी, 2023 को प्रसारित किया गया था जो कि उत्तराखंड हाइकोर्ट के निर्णय पर आधारित था. इस कार्यक्रम में कोर्ट ने 4,000 परिवारों को रेलेवे की ज़मीन से हटाने के लिए फ़ोर्स का इस्तेमाल करने की इजाज़त दे दी थी.
इस शिकायत में CJP ने एंकर के पक्षपातपूर्ण रवैय्ये का संज्ञान लिया है जिसमें उन्होंने मुसलमानों की आपराधिक छवि गढ़कर जनता के विचारों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश की गई थी. इस शिकायत में एंकर द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्दों जैसे ‘ज़मीन जिहाद’, ‘मज़ार जिहाद’, ‘जिहादी गैंग’ आदि का उल्लेख किया गया था और साथ ही ‘धामी सरकार का बुल्डोज़र एक्शन’ जैसे फ़्रेज़ का भी इस्तेमाल किया था जिससे मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा और नफ़रत को बढ़ावा मिल सके. इस शिकायत में एकतरफ़ा रिपोर्ट के ज़रिए दर्शकों के दिमाग़ में संदेह पैदा करने और मुसलमानों की एक ग़लत छवि गढ़ने की कोशिश की गई थी और मुसलमानों की हर क्रिया- प्रतिक्रिया को ‘जिहाद’ के दायरे में रखकर देश के सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने का प्रयास किया गया था.
आदेश
दर्ज शिकायत का संज्ञान लेते हुए NBDSA ने कहा कि प्रसारक ने उत्तराखंड हाइकोर्ट के आदेश पर एविक्शन की पूरी घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं. NBDSA ने कहा कि प्रतिरोध करने वालों को ‘जिहादी गैंग’ का बताकर ‘ज़मीन जिहाद’ के नाम पर ग़ैरक़ानूनी अतिक्रमण के आरोप लगाकर प्रसारक ने – ‘धर्म के आधार पर समुदायों को सीमित करने और हमलों के लिए ऐतिहासिक रूप से इस्तेमाल हो रहे पूर्वाग्रहों को दोहराने’ की कोशिश की है.
इससे पहले NBDSA अपने विश्लेषण में ये भी पाया है कि ‘जिहादी’ शब्द को प्रसंग के बाहर भी इस्तेमाल किया जाता है. बैकग्राउंड में चल रहे टिकर्स भी प्रसारक के पक्ष को मज़बूत बनाते हैं.
NBDSA ने कहा है कि ये चैनल के कोड ऑफ़ एथिक्स और ब्रॉडकास्टिंग स्टैण्डर्ड्स का उल्लंघन है जिसमें नस्लीय और मज़हबी सद्भाव क़ायम रखने के लिए तय विशेष गाइडलाइन्स का उल्लंघन किया गया है. इन नियमों के उल्लंघन के एवज़ NBDSA ने प्रसारक को दोबारा भविष्य में ऐसा न करने का निर्देश दिया है.
क़ानूनी अधिकारियों ने प्रसारक को चैनल\यूट्यूब से हाइपरलिंक सहित कार्यक्रम का वीडियो हटाने का निर्देश भी दिया है. अब चैनल को NBDSA के आदेश के 7 दिनों के भीतर अपनी कार्रवाई को लिखित तौर पर पुष्ट भी करना होगा.
आदेश की पूरी कॉपी यहां पढ़ी जा सकती है- (आदेश- 174)
दूसरी शिकायत – राम-मंदिर पर चर्चा
CJP ने 24 जनवरी को NBDSA में टाइम्स नाउ नवभारत के 30 दिसंबर, 2022 को जारी एक कार्यक्रम के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज की थी. ‘2024 में Ram Mandir का उद्घाटन… अभी हथौड़े’ की बात क्यों?’ शीर्षक से प्रसारित इस कार्यक्रम में कथित मौलवी साजिद रशिदी ने अपमानजनक टिप्पणी की थी. उनके बयानों को न्यूज़ प्वाइंट के तौर पर पेश करते हुए क़रीब 1 घंटे का कार्यक्रम रखा गया. इस शिकायत में कहा गया है कि पेश कार्यक्रम में उस अयोध्या ज़मीन विवाद को फिर से सुलगाने की कोशिश की गई है जो कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद ठंडा पड़ गया था.
CJP ने कहा कि इस चैनल ने एक सांप्रदायिक बयान को चर्चा का विषय बना लिया और विभिन्न वक्ताओं को बुलाकर उनमें आपस में गाली-गलौज और मार-पीट को तूल दिया. इस शिकायत में आगे कहा गया कि इस कार्यक्रम का मक़सद सीधे तौर पर सांप्रदायिक भावनाओं के साथ खेलना और एक मुसलमान के बयान को पूरे समुदाय पर लागू करके मुसलमानविरोधी विचारों को भड़काना था. इस शिकायत में होस्ट द्वारा इस्तेमाल किए गए नफ़रती टिकर्स, ‘हिंदुस्तान में गज़वा-ए-हिंद का प्ल़ॉन?’ और ‘राम मंदिर तोड़ने को उकसाएंगे?’ जैसे शीर्षकों का भी संज्ञान लिया गया था.
आदेश
NBDSA ने मौलाना साजिद राशिदी के बयान पर आधारित इस डिबेट शो में दर्ज शिकायत के अनुसार इन आपत्तिजनक बिंदुओं का संज्ञान लिया. गहरी समीक्षा करने के बाद NBDSA ने पाया कि ‘प्रसारक के लिए ऐसे विषय पर डिबेट शो करना अनुचित और दुखद है.’ लेकिन कमीशन प्रसारक की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में ख़लल नहीं डाल सकता है पर ये तय करना भी कमीशन का ही काम है कि प्रसारक अपनी इस स्वतंत्रता को NBDSA द्वारा तय निर्देशों और मानकों के अनुरूप इस्तेमाल कर रहे हैं.
NBDSA ने कहा कि डिबेट सकारात्मक प्रकृति का नहीं था और वक्ताओं ने डिबेट सहित कार्यक्रमों के लिए तय मानकों का पालन नहीं किया था. NBDSA ने प्रसारक को इस तरह की चर्चाएं आयोजित करने के ख़िलाफ़ वार्निंग भी दी है और पैनलिस्ट के चुनाव की प्रक्रिया में भी सावधान रहने को कहा है. NBDSA ने प्रसारकों को कमीशन द्वार तय इन निर्देशों का सख़्ती से पालन करने का निर्देश भी दिया है. अधिकारियों ने प्रसारकों को जारी कार्यक्रम का वीडियो हाइपरलिंक्स सहित उनके चैनल/यूट्यूब से हटाने का भी निर्देश दिया और उन्हें 7 दिनों के भीतर लिखित जबाव की मांग रखी है.
इन दोनों ही मामलों को CJP की तरफ से वकील अपर्णा भट्ट और करिश्मा मारिया ने पेश किया था.
ऑर्डर की कॉपी यहां पढ़ी जा सकती है. (आदेश 173)
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