जानिए, आपके फ़ोन पर आया हुआ व्हाट्सएप फॉरवर्ड कितना सच है और कितना फेक फेक न्यूज़, भड़काऊ मैसेज और अंटशंट नुस्खों से लड़ने के सरल उपाय

28, Dec 2022 | CJP Team

झूठी खबर (misinformation) और भड़काऊ भाषण के वास्तविक परिणाम घातक हो सकते हैं। ऐसे मैसेज जिनका काम खुलेआम किसी कौम के प्रति नफरत फैलाना है या हिंसा को बढावा देना है, उनको बदनाम करने के लिए अफवाह/झूठ, फर्जी इलाज या नुस्खे, अंटशंट ‘विज्ञान’, मनगढ़ंत कहानियां  समाज में नई चुनौतियां पैदा कर रहे हैं। वे लोगों को गुमराह करके आम लोगों की सोच को प्रभावित कर रहे हैं।

झूठी खबरें (मिस-इनफॉर्मेशन) क्या है? झूठी खबरें (मिस-इनफॉर्मेशन) और दुष्प्रचार (डिस-इनफार्मेशन) के बीच क्या फर्क है?

सीजेपी हेट स्पीच के उदाहरणों को खोजने और प्रकाश में लाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि इन विषैले विचारों का प्रचार करने वाले कट्टरपंथियों को बेनकाब किया जा सके और उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जा सके। हेट स्पीच के खिलाफ हमारे अभियान के बारे में अधिक जानने के लिए, कृपया सदस्य बनें। हमारी पहल का समर्थन करने के लिए, कृपया अभी दान करें!

मिस इनफॉर्मेशन – कोई भी ऐसी खबर जिसमें ऐसी सूचना है जो या तो झूठी है या गुमराह करने वाली है, लेकिन फ़ैलाने वाला व्यक्ति इसे सच मानकर फैला रहा हो। इसमें अक्सर ऐसे फोटो जिसमें गलत विवरण(कैप्शन) लिखा हो, गलत तारीख, झूठे आंकड़े, गलत अनुवाद या हास्य व्यंग्य को सच मान लेना शामिल है।

डिस-इनफॉर्मेशन या दुष्प्रचार-  बनावटी या जानबूझकर मैसेज/ऑडियो/वीडियो में हेरफेर किया जाता है और जानबूझकर अंटशंट साजिशें गढ़ी जाती हैं या अफवाहें फैलाई जाती हैं। डिस-इनफॉर्मेशन भी झूठी सूचना है। लेकिन, मिस-इनफॉर्मेशन के विपरीत, डिस-इनफॉर्मेशन फैलाने वाला व्यक्ति जानता है कि यह गलत है, फिर भी फैलाता है। यह एक जानबूझकर फैलाया गया झूठ है। डिस-इनफॉर्मेशन राजनीतिक, आर्थिक और अन्य लाभों को पाने के लिए जानबूझकर फैलाया जाता है। कह सकते हैं कि दुष्प्रचार/ डिस इनफॉर्मेशन एक तरह प्रोपेगंडा ही है।

भारत में, व्हाट्सएप सबसे प्रचलित माध्यम है अपने घर-परिवार, दोस्तों, कामगार साथियों से जुड़ने का। क्या आप यह बात जानते हैं कि व्हाट्सएप एक ऐसा माध्यम भी है जो गलत सूचनाओं के प्रसार में सबसे ज्यादा प्रयोग में लाया जा रहा है। 

2020 में किए गए ENS आर्थिक ब्यूरो के अध्ययन के अनुसार, भारत में 50 करोड़ से अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं और व्हाट्सएप को 40 करोड़ से अधिक लोग इस्तेमाल करते हैं। आम तौर पर इनमें से हर इन्सान कई व्हाट्सएप ग्रुप्स में शामिल होता है। इन ग्रुप्स में गुड मॉर्निंग के मैसेज से लेकर रोजमर्रा की जानकारी, भाषण प्रवचन, सलाम दुआ तो है ही लेकिन साथ ही साथ व्हाट्सएप की अपार लोकप्रियता ने इसको राजनीतिक संचार के लिए एक महत्वपूर्ण और अक्सर खतरनाक उपकरण के रूप में अवतरित कर दिया है।

हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि भारत में व्हाट्सएप ग्रुप्स न केवल नफरत फ़ैलाने का काम करते हैं बल्कि इनका प्रयोग हिंसा की योजना बनाने और उसे अंजाम देने तक किया जाता है।

व्हाट्सएप के माध्यम से ऐसा माहौल भी तैयार किया गया है जहां अफवाह या आम झड़प ने हिंसा का रूप ले लिया और हत्याएं भी हुईं।


अब सवाल यह है कि फैलाई जा रही मिस-इनफॉर्मेशन या झूठी खबरों  से कैसे निपटें?

कोविड महामारी ने हमें वायरस के बढ़ने से रोकने के लिए एक प्रभावी रणनीति विकसित करने के लिए प्रेरित किया। इसे आमतौर पर ‘टेस्ट-एंड-ट्रेस’ पद्धति के रूप में जाना जाता है। एक हद तक नफरती और फेक ख़बरों से निपटने के लिए हम इस तरह के उपाय अपना सकते हैं।

(1) जो भी खबर इंटरनेट पर मौजूद है उसमें कितनी सच्चाई है यह जानने की कोशिश करें; 

(2) इसके अंतिम सोर्स या मूल सोर्स को ट्रेस करें; 

 (3) इसे और फैलने से रोकने के लिए इसे अलग कर दें या रोक दें।

ध्यान दें ! इस तरीके से आपको कुछ हद तक ही कामयाबी मिल सकती है। 

लेकिन व्हाट्सएप पर मिली सामग्री की शुरुआत कहां से हुई इसका पता लगा पाना असंभव सा होता है, एक क्लिक के साथ, टेक्स्ट, विडियो, ऑडियो और तस्वीरें इधर से उधर चली जाती हैं।

इससे बचने के लिए हम आपको कुछ प्वाइंट बता रहे हैं, जिसकी मदद से आप झूठ, नफरत, अफवाह को फैलने या फैलाये जाने से रोक सकते हैं।

टिप नंबर 1: हमेशा चौकन्ने रहिये, ऐसे हर मैसेज को शक की निगाह से देखें – किसी भी सामग्री को तब तक शेयर न करें, जबतक आप उसकी पड़ताल न कर लें।

टिप नंबर 2: अगर आप व्हाट्सएप से प्राप्त हुए किसी मैसेज को लेकर संशय में हैं तो उस मैसेज से कुछ शब्दों को चुनें और उसे इन्टरनेट पर खोजें, आपको उससे सम्बंधित परिणाम में कोइ न कोई पहले सत्यापित लेख या फैक्ट चेकिंग वेबसाइट या उस विषय पर पहले से लिखी हुई कुछ न कुछ जानकारी दिखाई देगी, जिसकी मदद से आप उस मैसेज के सच को जान पाएंगे।

टिप नंबर 3: यदि कोई भी मैसेज आपके अन्दर एक आवेग पैदा कर रहा है; यदि यह मैसेज आपको किसी अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति हिंसात्मक कदम लेने को उकसा रहा है; यदि उस मैसेज को अनगिनत बार फॉरवर्ड किया गया है ( उसपर दिख रहे दो तीर के माध्यम से आप समझ सकते हैं कि यह मैसेज कई बार भेजा गया है); यदि ऐसा लग रहा है कि तस्वीर या वीडियो या ऑडियो से छेडछाड़ की गयी है या उसे बदला गया है, तब यह सम्भावना बनती है कि मैसेज के माध्यम से जो भी जानकारी आप तक भेजी गयी है वो गलत जानकारी है मिस-इनफॉर्मेशन या डिस-इनफॉर्मेशन है।

टिप नंबर 4: यदि आप किसी तरह का संदेहास्पद मैसेज, फोटो, वीडियो, मीम या ऑडियो मैसेज  प्राप्त करते हैं जिसमें किसी समुदाय के खिलाफ हमला करने या भड़काने वाली बातें लिखी हों या उनके खिलाफ हिंसा फ़ैलाने की बात कही जा रही हो तो उसे बिलकुल आगे फॉरवर्ड न करें और अपने फ़ोन से डिलीट कर दें।

टिप नंबर 5: अपने संपर्कों परिवार, दोस्तों, रिश्तेदारों में बात करें, खासकर अपने करीबी संपर्क में, कहीं उन्होंने नासमझी में झूठा और नफरत फ़ैलाने वाला मैसेज तो नहीं फॉरवर्ड किया।

टिप नंबर 6: यदि आप, हमारी तरह, इस गलत/और जानबूझ कर फैलाई जा रही गलत सूचना के प्रसार को लेकर चिंतित हैं; और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई देखना चाहते हैं, तो वह मैसेज हमें भेजें। हम इसकी पड़ताल करेंगे, इसकी जड़ तक जायेंगे और नफरत को दूर करने में आपकी मदद करेंगे।

वीडियो को यहाँ देखिये:

हमसे संपर्क करें

फ़ोन : 7506661171

सन्देश भेजें , ट्विटर/फेसबुक/ ट्विटर : @cjpindia

ईमेल: [email protected] या [email protected]

सीजेपी ही क्यों?

भारत में नफरत फैलाने वाले भाषणों, नफरत भरे अपराधों और संगठित हिंसा से लड़ने का इस तरह का अनुभव किसी और के पास नहीं है! हम पिछले तीस वर्षों से, पहले अनौपचारिक रूप से – बॉम्बे दंगों के दौरान जमीनी हस्तक्षेप और बाद में सांप्रदायिक राजनीती के विरोध में एक पत्रिका कम्युनलिज्म कॉम्बैट के रूप में नफरत और साम्प्रदायिकता से सीधी टक्कर और औपचारिक रूप से 2002 के गुजरात दंगों के बाद, अदालतों में और उसके बाहर नफरत से शांति और न्याय के हक में सीधी लडाई लड़ रहे हैं। हमें इस बात की बहुत साफ समझ है कि नफरत कैसे पैदा होती है और कैसे फैलती है, इसका परिणाम क्या हो सकता। 

आइए जानकारी को क्रॉस-चेक करें, सच जानें।

चलिए इसे साथ मिलकर करें। और अभी करें!

 

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