ज्ञानवापी मामले पर नागरिक एकजुट, कहा: हमें मंदिर-मस्जिद नहीं, शांति और रोजगार चाहिए सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित मोहल्ला समिति बैठकों के दौरान उठाए गए पोषण, आजीविका जैसे मुद्दे जो की आम आदमी के लिए ज़्यादा ज़रूरी हैं
25, May 2022 | CJP Team
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के वीडियो सर्वे के दौरान मस्जिद के वजू खाना में पत्थर की संरचना मिलने के बाद से इसे शिवलिंग बताकर लगातार एक पक्ष को निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन शहर के शांतिप्रिय व सामाजिक सरोकारों से जुड़े नागरिक लगातार इन कोशिशों में जुटे हैं कि किसी भी तरह का सांप्रदायिक विवाद पैदा न हो। इसी को लेकर मोहल्ला बैठक में जनता से संवाद के तहत 16 मई के बाद से ही शहर में बैठकों का दौर जारी है। शिक्षाविद्, सामाजिक कार्यकर्ता और अपने क्षेत्रों के पेशेवर लोगों को इस विवाद में न पड़कर शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं।
19 मई को राज घाट स्तिथ किला कोहना मोहल्ले में सभी धर्म की महिलाओं की बैठक हुई जिसमें सभी महिलाओं ने बारी बारी से अपनी बात रखी। इस बैठक में मौजूद मालती देवी ने कहा, ‘’हमें मन्दिर मस्ज़िद से पहले अपने बच्चों की भूख दिखती है। जिस दिन हम काम पर नहीं जाते उस दिन हमारे घर खाना ही नहीं बनता। सभी ने एक स्वर में इस बात पर सहमति जताई कि हमारे लिए तो मन्दिर मस्जिद रोटी है और हमें इसपर बात करनी है।‘’
बैठक में मौजूद गोविन्द लाल साहनी ने कहा, ‘’हम लोगों को सरकार द्वारा गंगा में नित नए क़ानून लगा कर हमारी नाव को चलने से रोका जाता है और बड़ी बड़ी कम्पनी के जहाज़ों को गंगा में चलाया जा रहा है। हम लोगों के सामने रोज़ी रोटी का संकट बना हुआ है पर सरकार इसपर ध्यान ना देकर मन्दिर मस्जिद की आड़ में हम हिन्दू मुस्लिमों को आपस में लड़ाने का काम कर रही है।‘’
बैठक में मौजूद रशीदा ने कहा, ‘’हमारे शौहर दिन रात काम करते हैं फिर भी महंगाई की वजह से हमारा परिवार ठीक से नही चल पाता। इस वजह से मुझे लोगों के घरों में काम करना पड़ता है। इधर जब से मन्दिर मस्ज़िद का मुद्दा उठा है, मेरे शौहर का काम ठप हो गया है। इस मुद्दे की वजह से हमें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।‘’
सुनीता रावत ने अपनी बात रखते हुए कहा, ‘’हम बचपन से इस मुहल्ले में रहते आ रहे हैं लेकिन अब, वाराणासी जिला प्रशासन हम लोगों को यहां से हटने के लिए बार बार धमकी दे रहा है और इस जगह को हमसे छीन रहा है जबकि हमारे पास यहां के नाम से आधार कार्ड, राशनकार्ड और पहचान पत्र भी है पर हमारी कोई सुनवाई नही हो रही है। यहां लगभग 100 परिवार हैं जिसमें हिन्दू मुस्लिम सभी हैं जिन्हें प्रशासन सरकार के इशारे पर उजाड़ना चाहता है। उन्होंने कहा कि बनारस में हिन्दू मुस्लिम हमेशा से मिल जुल कर रहते आए हैं। हमें ना मन्दिर ना ही मस्जिद से कोई बैर है और ना ही इन मुद्दों से हमें मतलब है। हमें उजड़ने से कैसे बचना है इस पर सोचना है, मन्दिर-मस्जिद पर नहीं।‘’
इसी तरह सभी लोगों ने बारी बारी से अपनी बात रखी और एक स्वर में कहा कि हमारी रोज़ी रोटी खतरे में है। महंगाई की वजह से हम भुखमरी के हालात पर पहुँच गए हैं मंदिर मस्ज़िद राजनीतिक लोगों का खेला है। हम इस लफड़े में पड़ कर अपना भाईचारा नहीं खराब करेंगे।
इसके अलावा समाजिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक बैठक वाराणासी कचहरी स्तिथ विश्व ज्योति जन संचार केंद्र पर हुई। बैठक में सभी समाजिक संगठन के लोगो ने वाराणासी सिविल कोर्ट के द्वारा दूसरे पक्ष को सुने बगैर ज्ञानवापी मस्जिद के वज़ू खाने को सील करने की कर्रवाई की निन्दा की।
यहां मौजूद लोगों ने अपनी अपनी बातों को रखा और सभी लोगों ने एक सुर से हिंसा को नकारते हुए कहा कि हर हाल में हिंसा रुकनी चाहिए और बनारस में अमन चैन कायम रहना चाहिए। वक्ताओं ने कहा कि बनारस का माहौल खराब करने में गोदी मीडिया का बहुत बड़ा हाथ है बनारस एकदम शांत माहौल में है और कानूनी प्रतिक्रियाओं का पूरी तरह पालन हो रहा है और सारी चीजें संविधान के अनुसार ही करने का प्रयास किया जा रहा है।
इस सम्बंध में वाराणसी के पुलिस कमिश्नर जिला अधिकारी से जल्द ही समाजिक संगठनों का एक प्रतिनिधि मंडल मिलेगा, और सभी लोगों ने एक साथ अपील जारी करते हुए पर्चा निकालने पर सहमति जताई।
बैठकों में अपील की जा रही है…
”बनारस के नौजवान साथियों इस वक्त आपको संयम बरतने की जरूरत है और देश में न्याय व्यवस्था है उस पर भरोसा रखिए और कोई ऐसा कदम ना उठाएं जिसे बनारस की आबोहवा खराब हो और अफवाहों पर ध्यान ना दें। सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट सभी जगह लोग पहुंच चुके हैं और इसका पुरजोर विरोध हो रहा है। अदालत पर भरोसा जब तक कायम रहेगा तब तक देश बचा बचा रहेगा और जिस दिन न्याय व्यवस्था पर जनता का विश्वास उठ गया उस दिन देश को बचाना मुश्किल हो जाएगा। नौजवान साथियों वह किसी भी धर्म और जात के हैं संयम बरतें देश की न्याय व्यवस्था पर अभी आस्था रखें। यह सिर्फ जनता को डाइवर्ट करने के लिए किया जा रहा है ताकि जनता का ध्यान महंगाई और बेरोजगारी से भटकाया जा सके। असंवैधानिक तरीके से जो सत्ता का इस्तेमाल हो रहा है, यह उससे ध्यान भटकाने का एक नया तरीका है।”
बैठक में मुनीज़ा खान प्रवाल सिंह प्रमिता मनीष शर्मा गोविन्द लाल माया देवी मालती देवी रशीदा ललई सुनीता रावत गुड़िया आदि लोगों ने भी अपनी बात रखी।
समाजसेवी व चिंतकों ने सांप्रदायिक सद्भाव कायम रखने की की दिशा में 21 मई को सारनाथ में विद्या आश्रम में लोकविद्या जन आंदोलन के अगुवा लोगों से मुलाकात की। यहां..आम स्वर यही था कि मस्जिद को मस्ज़िद और मंदिर को मंदिर रहने दो, गड़े मुर्दे मत उखाड़ो, पुजा स्थल अधिनियम 1991 को कड़ाई से लागू करो और रोज़ी-रोटी-पड़ाई-लिखाई पर बात करो।
पूजा स्थल अधिनियम 1991 लागू करने की मांग
इसी क्रम में सोमवार 23 मई को शाम 6 बजे, सिगरा स्थित चाइल्ड लाइन (बाटा शो रूम के बगल में) दफ्तर में शहर के राजनैतिक नेतृत्व व प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया। यह अपील नागरिक पहल, वाराणसी की तरफ से जारी की गई थी। इस बैठक में जनता से संवाद अभियान के तहत शहर के दर्जनों राजनीतिक नेतृत्व से हुआ संवाद के दौरान तय हुआ कि अमन और एकता बना रहे, पूजा स्थल अधिनियम 1991 कड़ाई से हो लागू और एकपक्षीय मीडिया रिपोर्टिंग पर तत्काल रोक लगे। इन मांगों को लेकर 26 मई को मंडलायुक्त को ज्ञापन सौंपा जाएगा और जल्द ही शहर में विराट भाई-चारा सम्मेलन कराने की बात पर जोर दिया गया।
बैठक में सामाजिक-आर्थिक वर्ग से सभी धर्मों के शांति कार्यकर्ता मौजूद थे। इस बैठक में सीजेपी के फैलो फजलुर रहमान अंसारी ने बुनकर सहज मंच का प्रतिनिधित्व किया। बैठक में मौजूद सभी वक्ताओं ने स्पष्ट रूप से ऐसे किसी भी प्रयास और अफवाह को खारिज किया, जिसके परिणामस्वरूप सांप्रदायिक हिंसा हो सकती है। एक के बाद एक वक्ताओं ने कहा कि “हिंसा होने से पहले ही इसे रोका जाना चाहिए और बनारस में हर कीमत पर शांति बनाए रखी जानी चाहिए।”
कार्यकर्ता निम्नलिखित बिंदुओं पर सहमत हुए:
1) सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाकों में जाना और यहां के निवासियों, विशेषकर युवाओं को हिंसा में शामिल होने से रोकने के लिए उनके साथ बैठकें करना।
2) दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के तरीकों को विकसित करने के लिए विभिन्न व्यापार मालिकों और व्यापारियों से मिलना।
3) स्थानीय निवासियों के साथ शहर भर के विभिन्न स्थानों में शाम 4 बजे से शाम 5 बजे के बीच दैनिक बैठकें आयोजित करना ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या वे हिंसा के किसी भी प्रकोप से डरते हैं और उसका मुकाबला करने के उपायों पर चर्चा करते हैं।
4) सभी धर्मों के नेताओं और प्रचारकों के साथ बैठकें करना और उनसे आग्रह करना कि वे अपने अनुयायियों को शांत रहने और हिंसा में शामिल न होने के लिए प्रेरित करें।
5) किसी बाहरी तत्व को शांति पहल को अपने हाथ में नहीं लेने देना क्योंकि उनमें से कई को केवल प्रचार के भूखे स्वयंभू कार्यकर्ताओं के रूप में देखा जाता है जो केवल मीडिया कवरेज में रुचि रखते हैं।
6) कार्यकर्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल के भी नागरिक प्रशासन और पुलिस बल के सदस्यों से मिलने की संभावना है।
7) स्थानीय मीडिया-कर्मियों के साथ संवेदीकरण बैठकें आयोजित करना ताकि गलत रिपोर्टिंग और फर्जी खबरों को पहले से ही आवेशित माहौल को खराब करने से रोका जा सके।
क्या है पूजा स्थल अधिनियम 1991
1991 में लागू किया गया पूजा स्थल अधिनियम कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। यदि कोई इस एक्ट का उल्लंघन करने का प्रयास करता है तो उसे जुर्माना और तीन साल तक की जेल भी हो सकती है। यह कानून तत्कालीन कांग्रेस प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव सरकार 1991 में लेकर आई थी।
पूजा स्थल अधिनियम की धारा- 2
यह धारा कहती है कि 15 अगस्त 1947 में मौजूद किसी धार्मिक स्थल में बदलाव के विषय में यदि कोई याचिका कोर्ट में पेंडिंग है तो उसे बंद कर दिया जाएगा।
पूजा स्थल अधिनियम की धारा- 3
इस धारा के अनुसार किसी भी धार्मिक स्थल को पूरी तरह या आंशिक रूप से किसी दूसरे धर्म में बदलने की अनुमति नहीं है। इसके साथ ही यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि एक धर्म के पूजा स्थल को दूसरे धर्म के रूप में ना बदला जाए या फिर एक ही धर्म के अलग खंड में भी ना बदला जाए।
पूजा स्थल अधिनियम की धारा- 4 (1)
इस कानून की धारा 4(1) कहती है कि 15 अगस्त 1947 को एक पूजा स्थल का चरित्र जैसा था उसे वैसा ही बरकरार रखा जाएगा।
पूजा स्थल अधिनियम की धारा- 4 (2)
धारा- 4 (2) के अनुसार यह उन मुकदमों और कानूनी कार्यवाहियों को रोकने की बात करता है जो प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के लागू होने की तारीख पर पेंडिंग थे।
प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट की धारा- 5
में प्रावधान है कि यह एक्ट रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले और इससे संबंधित किसी भी मुकदमे, अपील या कार्यवाही पर लागू नहीं करेगा।
सीजेपी ने की थी मोहल्ला बैठक की शुरूआत
मोहल्ला बैठक सिटिजंस फॉर जस्टिस एंड पीस की एक नागरिक पहल है, (एक मॉडल मोहल्ला कमेटी है) जो आस पड़ोस के इलाकों में शांति बनाए रखने में मदद कर सकता है। ये लोगों के संगठित समूह या कमेटियां हैं जो मोहल्ले के निवासियों के एक क्रॉस-सेक्शन का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे स्थानीय पुलिस, अग्निशमन विभाग, नगरपालिका अधिकारियों आदि सहित विभिन्न अधिकारियों के साथ मिलकर काम करते हैं, ताकि हिंसा की स्थिति में लोगों की रक्षा सुनिश्चित हो सके। संकट की स्थिति में स्थानीय अधिकारियों के साथ बातचीत की पूरी प्रक्रिया में ये कमेटियां मददगार होती हैं। सप्ताह दर सप्ताह गतिविधियों का आयोजन करती हैं, संचार सुनिश्चित करती हैं। यह अफवाहों का भंडाफोड़ करने और हिंसा को रोकने में भी काफी मददगार साबित होगा। ये कमेटी अब वाराणसी में डॉ मुनिजा खान के नेतृत्व में कार्य कर रही है जिसके तहत शांति व भाई चारा बनाए रखने की अपील की जा रही है।
और पढ़िए –
क्या है बनारस की गंगा जमुनी तहज़ीब?