गुजरात: डायवर्सिटी की शिक्षा देने पर शिक्षक पर हमला, हिंदुत्ववादियों ने पीटा गुजरात में एक प्राइवेट स्कूल टीचर को जागरूकता गतिविधि के तहत कथित तौर पर बच्चों को नमाज़ पढ़ाने के लिए पीटा गया.
23, Oct 2023 | CJP Team
गुजरात के अहमदाबाद में एक निजी विद्यालय को बच्चों में सांस्कृतिक संवेदना के प्रसार और सांप्रदायिक भेदभाव ख़त्म करने के लिए दक्षिणपंथी हमलों और विरोध का सामना करना पड़ा. सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद अहमदाबाद के घाटलोदिया में क्लोरेक्स फ़्यूचर हाईस्कूल को जांच प्रक्रिया से भी गुज़रना पड़ा. स्कूल में बच्चों के एक समूह को मुसलमानों की प्रार्थना को समझने के लिए नमाज़ में हिस्सा लेने को कहा गया, जिसके बाद ये विवाद खड़ा हुआ. हालांकि ये बच्चों में विभिन्न धर्मों के परंपरागत अभ्यासों के बारे में जानकारी देने और जागरूक करने की पहल का हिस्सा था.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और बजरंग दल सहित अनेक दक्षिपंथी संगठनों ने स्कूल-परिसर में विरोध प्रदर्शन किए. इन समूहों ने विरोध के साथ ऐसे अभ्यासों को शैक्षणिक संस्थानों में बंद करने की मांग भी रखी. NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक़ इनमें से अनेक प्रदर्शनकारियों ने उस अध्यापक को भी पीटा जिसने बच्चों से विभिन्न धर्मों की प्रार्थनाओं में हिस्सा लेने को कहा था.
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ये घटना घाटलोदिया की है जो कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के चुनाव क्षेत्र में आता है. दक्षिणपंथी हिंदुओं ने इस घटना के बाद फौरन प्रतिक्रिया दी. बाद में इस विरोध ने बढ़कर हिंसा का रूप अख़्तियार कर लिया जिसे वीडियो में रिकार्ड कर लिया गया.
स्कूल मैनेजमेंट ने इस पर प्राथिमक प्रतिक्रिया देते हुए माफ़ी मांगी और सफ़ाई पेश की. स्कूल प्रिंसिपल निराली दागली ने बाद में कहा कि ये अभ्यास बच्चों को किसी धार्मिक परंपरा का पालन कराने के लिए नहीं वरन उन्हें भारत की धार्मिक परंपराओं से परिचित कराने के लिए सिर्फ 2 मिनट का अभ्यास था. स्कूल प्रिंसिपल निराली दागली ने कहा कि-
‘ईद के मद्देनज़र हमनें क्लास- II के विद्यार्थियों के लिए इस गतिविधि का आयोजन किया था जिससे उन्हें इस त्योहार के बारे में माफ़िक जानकारी मिल सके. हम सभी धर्मों के त्योहारों के लिए ये अभ्यास कराते हैं. यहां तक कि इसमें संवत्सरी (जैन त्योहार) और गणेश चतुर्थी भी शामिल है. किसी भी विद्यार्थी पर नमाज पढ़ने का दबाव नहीं बनाया गया. ये केवल 2 मिनट का अभ्यास था जिसमें हिस्सा लेने वाले बच्चों ने पहले से अपने अभिवावकों से इजाज़त ले रखी थी.’
इस स्पष्टीकरण के बावजूद दक्षिणपंथी समूहों ने स्कूल के बाहर प्रदर्शन किया. बाद में राज्य में प्राथमिक, माध्यमिक शिक्षा मंत्री प्रफुल्ल पंशेरिया ने कहा –
‘ऐसा लगता है कि लोग स्कूल में ऐसे कार्यक्रम आयोजित करवाकर शांतिपूर्ण माहौल ख़राब करना चाहते हैं. इसमें हिस्सा लेने वाले बच्चों को अंदाजा भी नहीं था कि वो क्या कर रहे हैं. इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा.’
पंशेरिया ने फिर एक आधिकारिक जांच प्रक्रिया की मांग भी की और कहा कि प्रारंभिक जांच के नतीजे के आधार पर ही किसी तरह की अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी.
स्कूल-मैनेजमेंट ने इन प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ किसी तरह की औपचारिक शिकायत दर्ज करने के बजाय माफ़ीनामा जारी करके भविष्य में दोबारा ऐसे अभ्यासों को न दोहराने की बात कही.
स्कूल मैनेजमेंट ने अपनी सफाई में बयान जारी करते हुए कहा कि –
‘हम गणेशोत्सव, जन्माष्टमी, नवरात्री, ईद, क्रिसमस, नवरोज़, गुरूपर्व, परयुशन जैसे अनेक त्योहारों को पूरे उत्साह से मनाते हैं और विद्यार्थियों को उसमें हिस्सा लेने के लिए भी कहते हैं. ईद के अवसर पर स्कूल- परिसर में हमारे एक विद्यार्थी ने बताया कि नमाज़ कैसे पढ़ी जाती है जबकि अन्य तीन बच्चों ने उसका अनुसरण किया. इसका मक़सद केवल भारत की विविध परंपराओं के बारे में बच्चों को जानकारी देना था. हमारा मक़सद कभी भी किसी धर्म के अनुयायियों की भावनाओं को आहत करना नहीं था.’
How Mohit Yadav Killed himself – Part 2
1) Stopped bus to allow 2 passengers from #Gujarat to offer Namaz
2) He was removed from job for doing so and respecting all religion
3) He Killed himself by coming in front of running train
#MohitYadav #JusticeForMohitYadav… pic.twitter.com/nwrhiotVXG
— INDIA Alliance (@2024_For_INDIA) August 29, 2023
इसी तरह मुंबई में जुलाई, 2023 में एक टीचर ने स्कूल परिसर में अज़ान देकर बच्चों को विविधता और सहिष्णुता का पाठ पढ़ाने की कोशिश की थी. नतीजे में टीचर को सस्पेंड कर दिया गया और मामले को लेकर जांच की मांग तेज़ हो गई. इसी तरह उत्तर प्रदेश स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन (UPSRTC) के एक बस-कंडक्टर को भी दो मुसलमान यात्रियों को नमाज़ पढ़ने के लिए बस रोकने पर सामाजिक प्रतिबंधों का सामाना करना पड़ा. नौकरी से हाथ धोने के बाद कंडक्टर ने आत्महत्या कर ली.
लगभग इसी तर्ज पर मध्य प्रदेश के एक कैथोलिक स्कूल को कथित तौर पर हिंदू भगवान के दर्शन न होने पर विरोध-प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा. स्कूल प्रिंसिपल को भीड़ ने बुरी तरह अपमानित किया जिसके बाद स्टॉफ को कार्यवाही की उम्मीद में पुलिस का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा. हालांकि पुलिस द्वारा स्कूल पर एक्शन लेने के वादे के बाद ही जनता ने राहत की सांस ली.
इन तीनों घटनाओं का सामना करने वालों ने जीवन, रोज़गार और अस्मिता पर जोखिम सहन किया है हालांकि उन्होंने अपनी तरफ़ से भारत की साझा विरासत को सहेजने की कोशिश भर की थी. इन सभी मामलों में सोशल मीडिया और भीड़तंत्र की अपनी भूमिका है. प्रशासन और सियासत द्वारा भीड़ का साथ देने पर हालात और बिगड़े हैं. इसके अलावा इन घटनाओं से ये भी ज़ाहिर होता है कि भीड़ का राज एक परंपरा बनाता जा रहा है और ऐसे मामलों में अधिकारी भी अधिकतर भीड़ के बहाव को चुनते हैं जिससे देश में क़ानून और व्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचता है.
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