चुनावी माहौल के बीच मध्य प्रदेश में नफ़रती बयानों का तेज़ी से प्रसार मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र जारी प्रचार अभियान में नफ़रती बयान हावी हैं. सत्तारूढ़ दल की शह ने भी नफ़रत के प्रसार में बड़ी भूमिका निभाई है.

10, Nov 2023 | CJP Team

अपनी कुर्सी की हिफ़ाज़त करना ही सत्तारूढ़ दलों का सबसे बड़ा मक़सद है. फ़िलहाल विधानसभा चुनावों को क़रीब देखते हुए केंद्र में सत्तारूढ़ दल की तरफ से मध्य प्रदेश में नफ़रती बयानों के आंकड़े में तेज़ी से बढ़ोत्तरी हुई है. हालांकि ऐसे उपाय कितने कारगर हैं ये 3 दिसंबर को ही पता चल सकेगा.

यहां देश की दो सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियों भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच टक्कर का मुक़ाबला है. मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटें चंबल, भोपाल, बुंदेलखंड़, महाकौशल, मालवा और अन्य क्षेत्रों में विभाजित हैं. जनमत के फ़ैसले का 2024 के लोकसभा चुनावों पर भी असर देखने लायक होगा.

सीजेपी हेट स्पीच के उदाहरणों को खोजने और प्रकाश में लाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि इन विषैले विचारों का प्रचार करने वाले कट्टरपंथियों को बेनकाब किया जा सके और उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जा सके। हेट स्पीच के खिलाफ हमारे अभियान के बारे में अधिक जानने के लिए, कृपया सदस्य बनें। हमारी पहल का समर्थन करने के लिए, कृपया अभी दान करें!

इंदौर, नवंबर 2023

इंदौर शहर में 4 बार मेयर का पदभार संभाल चुकीं मालिनी गौड़ ने एक चौंका देने वाला बयान दिया. एक प्रेस कांफ्रेंस में एक रिपोर्टर ने उनसे उनकी भूमिका और ज़िम्मेदारियों के बारे में कुछ सवाल किया जिसके जवाब में उन्होंने एक अल्पसंख्यक विरोधी प्रतिक्रया दी. रिपोर्टर ने उनसे सवाल किया था कि आख़िर निगम को मुसलमान बहुल इलाके में प्रवेश क्यों नहीं मिलता और मुसलमान उनके या उनके परिवार के बारे में कोई राय ज़ाहिर करने में इतना भयभीत क्यों रहते हैं?

इसके जवाब में भूतपूर्व मेयर मालिनी ने कठोर टिप्पणी करते हुए कहा कि

मुझे उन लोगों का वोट नहीं चाहिए जो वंदेमातरमया भारत माता की जयनहीं बोल सकते हैं.

जबकि ये न तो कोई अनिवार्य अवधारणा है और न ही इसे संविधान द्वारा तय भारतीय नागरिकों के मूल कर्तव्य में गिना जा सकता है. 

बालाघाट, 5 नवंबर, 2023

कांग्रेस और भाजपा दोनों ही राजनीतिक पार्टियां कट्टर प्रतिद्वंदी हैं लेकिन एकता के उदाहरणों की तरह नफ़रत की मिसालों और प्रोपगैंडा का सहयोग करने पर किसी का एकाधिकार नहीं है. नफ़रत का साथ देने के लिए भी नफ़रत की ज़रूरत होती है.

रिपोर्ट के अनुसार बालाघाट में एक कांग्रेस नेता ने RSS स्वयंसेवकों पर सड़क पर फूल बरसाकर उनका स्वागत किया है. नेता मधु भगत के इस क़दम की राजनीतिक गलियारों में ज़ोरदार चर्चा हो रही है. भूतपूर्व MP मुंजारे ने उनपर आरोप लगाया है कि वो भाजपा से मिले हुए हैं. 

हालांकि बाद में मधु भगत ने पंजाब केसरीसे इस घटना के औचित्य पर सफ़ाई पेश की है.

छतरपुर, 2 नवंबर, 2023

बागेश्वर धाम के कथित साधु धीरेंद्र शास्त्री ने भी हिंदू युवाओं को संबोधित करते हुए आपत्तिजनक भाषण दिया है. इस संबोधन में उन्होंने पहले तो सभा में शामिल युवाओं को हिंदू राष्ट्र की स्थापना की शपथ दिलाई और फिर नफ़रती नेता टी. राजा की जमकर हौसलाअफ़ज़ाई की.

एक भीषण भीड़ को हिंदू राष्ट्र की स्थापना की शपथ दिलाते हुए उन्होंने कहा कि

क्या आप चाहते हैं कि आपके मंदिरों को तोड़ा जाए? क्या आप चाहते हैं कि मुसलमान आपके मंदिरों और पवित्र स्थलों पर गंदा भोजन और अश्लील हरकत करें? क्या आप चाहते हैं कि आपकी हालत भी कश्मीरी पंडितों जैसी हो जाए?’

जनता ने जवाब दिया – ‘नहीं!

तो फिर मैं आपसे निवेदन करता हूं कि सनातनी हिंदू नेताओं का समर्थन करें, वो आपके और मेरे लिए लड़ रहे हैं.

उन्होंने जनता को तेलंगाना में नफ़रती मिशन से जुड़ने का प्रस्ताव दिया और उन्हें लव जिहादके नाम पर भड़काने की कोशिश की.

इसके बाद टी. राजा ने भी उनके साथ नफ़रती मोर्चा संभालते हुए कहा कि – ‘आने वाला युद्ध एक हिंदू राष्ट्र को स्थापित करने के लिए होगा और मैं इसके लिए अपनी आवाज़ उठाता रहूंगा.

भीड़ ने जय श्री रामके नारे के साथ उनका स्वागत किया. 

बैतूल, 2 नवंबर, 2023

2 नवंबर को ‘X’ पर हिंदुत्व वॉच ने एक 20 सेकेंड का वीडियो पोस्ट किया था जिसमें गौ-रक्षक दल के गुंडे बैतूल में दो मुसलमान ट्रक ड्राइवरों के साथ बदसलूकी करते देखे जा सकते हैं. इन गौ-रक्षकों को राष्ट्रीय हिंदू सेना से संबंधित बताया जा रहा है और जारी वीडियो में उन्हें ड्राइवर्स को कार में धकेलते देखा जा सकता है. नफ़रती बयान दरअसल इस क़िस्म की हिंसा को ही तूल देते हैं.

बैतूल, अक्टूबर 2023

इसी तरह भैसदेही बेतुल में (हेट डिटेक्टर द्वारा 24 अक्टूबर को रिपोर्ट दर्ज) विश्व हिंदू परिषद ने हिंदुत्व की कांस्पिरेसी थ्योरी को बढ़ावा देने के मक़सद से एक आयोजन किया था जिसमें एक दक्षिणपंथी नेता ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर अवाम में सांप्रदायिकता को हवा देने की कोशिश की. यहां तक की उन्होंने हथियारों से लैस होने और हिंसा के लिए तैयार रहने के पक्ष में भी एक लंबा-चौड़ा भाषण दे डाला. इस दौरान उन्होंने कहा कि-

हर घर में एक हथियार होना चाहिए. शक्ति प्रदर्शन आवश्यक है. ये जीवन-रक्षा के लिए ज़रूरी है.

फिर इज़रायल- फ़िलिस्तीन संघर्ष का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा

इज़रायल को दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में से गिना जाता है फिर हमास ने इज़रायल पर हमला कैसे किया?

जब पुलिस उनके घरों में छापा डालती है तो उन्हें तलवार, बंदूकें और पिस्तौल मिलती हैं लेकिन हमारे घरों में अगर सांप निकल जाए तो हम उसे मारने के लिए लाठी तक नहीं रखते.

उन्होंने लव-जिहाद प्रोपगैंडा के ज़रिए भी अवाम को हथियार से लैस होने के लिए उकसाया. इस दौरान उन्होंने कहा- आने वाले 5-10 सालों में भारत में बड़ी जंग होगी. वो (मुसलमान) हमारी मांओं और बहनों को धर्मपरिवर्तन के लिए निशाना बना रहे हैं.

ऐसे सांप्रदायिक दावे मतदाताओं के बीच वैमनस्यता को बढ़ावा देते हैं. इसके अलावा इंडियन आर्म्स एक्ट के तहत नागरिकों के लिए हथियार रखने पर मनाही भी है. फिर भी अब तक पुलिस विभाग ऐसे नफ़रती बयानों के यथासंभव निदान का कोई कारगर रास्ता नहीं ढूंढ पाया है.

विदिशा, 4 अक्टूबर, 2023

4 अक्टूबर को काजल शिंगला ने विदिशा में हिंदू लड़कियों को संबोधित करते हुए अल्पसंख्यक समुदायों के ख़िलाफ़ ख़ूब ज़हर उगला. इस दौरान उन्होंने प्रतिबंधित प्रोग्रेसिव फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) पर आपत्तिजनक टिप्पणी की. उन्होंने कहा

वो भारत को इस्लामिक राज्य बनाने की योजना बना रहे हैं. PFI का घोषणापत्र आपके रौंगटे खड़े कर देगा. मुसलमान लड़के उनके एजेंडे पर काम करने के लिए ख़ास प्रशिक्षण हासिल करते है.

सागर, 22 सितंबर, 2023

इससे पहले 22 सितंबर को भी दक्षिणपंथी नेता काजल शिंगला ने सागर ज़िले में युवा लड़कियों को संबोधित किया था और उन्हें लव-जिहाद के नाम पर भड़काने की कोशिश की थी.  इस सभा में ज़िले के कई कॉलेज और स्कूलों की लड़कियां शामिल थीं. काजल ने सनसनीख़ेज़ भाषा का प्रयोग करते हुए मुसलमान अल्पसंख्यकों से धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए शपथ-ग्रहण की अगुवाई भी की थी.

इसी क्रम में उन्होंने  पैग़म्बर मुहम्मद और उनकी पत्नी हज़रत आयशा के बारे में भी अपमानजनक बयान देते हुए कहा था कि –

हम अपनी पहली रोटी गौ-मां को खिलाते हैं और वो पहली रोटी गौ-माता के मांस के साथ खाते हैं क्या हम एक हो सकते हैं? हमारे धर्म में नवरात्रि में 6 और 9 साल की लड़कियों को पूजा जाता है और उनके धर्म में 6 वर्ष की उम्र में उनका विवाह कर दिया जाता है और 9 साल की उम्र में उनका शारीरिक शोषण होता है. क्या हम एक जैसे हैं?’

उन्होंने कहा कि – वो प्यार की आड़ में व्यापार कर रहे हैं. लेकिन ये लव नहीं है ये लव-जिहाद है. ये उनका अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र है. मुसलमान लड़के हमारी लड़कियों को फंसाने के लिए विदेशों से पैसा हासिल करते हैं. उन्हें इस काम के लिए हर महीने 50,000 मिलते हैं.

उन्होंने इन लड़कियों से द केरला स्टोरीदेखने की अपील भी की जो कि सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने के मक़सद से बनाई गई विवादित फ़िल्मों में से एक है. 

काजल ने कहा कि भारत अपनी संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है लेकिन वो (मुसलमान) हमारे मूल्यों को ख़त्म करना चाहते हैं. वो लव-जिहाद के ज़रिए हिंदू लड़कियों का धर्म बदलकर अपनी स्वायत्ता क़ायम करना चाहते हैं.

सिर्फ़ पिछले कुछ दिनों में ही नफ़रत का ये उफान यकीनन मतदान व्यवहार प्रभावित करने की कोशिश के तौर पर देखा जा सकता है लेकिन इससे होने वाला नुकसान दूरगामी है जिसने प्रेम और एकता के महान आदर्शों को भी भारी नुकसान पहुंचाया है.

यहां कुछ साधारण बिंदू हैं जिनके ज़रिए फ़ेक-न्यूज़, हेट-स्पीच और सोशल मीडिया फ़ॉरवर्ड में सावधानी बरती जा सकती है.

  1.     एक विश्वसनीय ख़बर कभी गुस्सा या प्रतिक्रिया को नहीं उकसाती.
  2.     सच कठोर हो सकता है लेकिन इसमें अवाम को भड़काने वाले तत्व नहीं होते.
  3.     चुनाव के दौरान ऐसे भाषण रिप्रज़ेंटेशन ऑफ़ पीपल एक्ट (अनफ़ेयर प्रैक्टिस ड्यूरिंग इलेक्शन्स) का उल्लंघन हैं.
  4.     चुनाव प्रचार अभियान के दौरान धर्म या धार्मिक प्रतीकों का दुरूपयोग (किसी भी धर्म से सबंधित) भारतीय संविधान का उल्लंघन होने के साथ ही RPA के तहत एक भ्रष्ट अभ्यासहै.
  5.     नागरिकों को हमेशा ऐसी ख़बरों, तथ्यों और तस्वीरों की जांच और पुष्टि के बाद ही उनपर भरोसा करना चाहिए या उन्हें अन्य किसी जगह शेयर करना चाहिए.

नफ़रती बयान देने वालों को शक्तिशाली हिंदूत्ववादी संगठनों के नेटवर्क का सहयोग हासिल होता है जिससे वो सामाजिक पूर्वाग्रहों को बढ़ाकर नफ़रत, हिंसा और भेदभाव का प्रसार करते हैं. इसका नतीजा लक्षित हिंसा, दंगे या नरसंहार के रूप में भी सामने आ सकता है.

  1. नफ़रती बयान में आंकड़े और मूलभूत उत्तरादायित्व का अभाव होता है.
  2. इससे अवाम में उन्माद पैदा हो सकता है.
  3. पूर्वाग्रह, ग्रंथियों और राजनीति के अलावा इसका कोई आधार नहीं होता.
  4. इसे जाति, धर्म और लैंगिक हिंसा फैलाने के लिए व्यवस्थित रूप से तैयार किया जाता है.
  5. इसका उद्देश्य सीधे तौर पर भटकाव पैदा करना है.
  6. इससे झूठे दावे गढ़कर लगातार समरसता, पारदर्शिता और समानता के नियमों का उल्लंघन किया जाता है.

हमारे हेट-हटाओ मिशन के तहत, CJP लगातार नफ़रती बयानों पर नज़र रखती है जिससे सतर्कता और सूझ-बूझ के साथ उचित कारवाई की जा सके. 

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