बिट्टू बजरंगी ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया, सीजेपी ने नूँह पुलिस में शिकायत की सत्र अदालत ने बिट्टू बजरंगी को जमानत देते समय हिदायत दी थी कि कोई सार्वजनिक बयान, खासकर सोशल मीडिया पर न दें

25, Nov 2023 | CJP Team

10 नवंबर को सिटीजंस फॉर जस्टिस एण्ड पीस (सीजेपी) ने नूँह पुलिस से बिट्टू बजरंगी के जमानत शर्तों का उल्लंघन करने की शिकायत की।  अगस्त में, बिट्टू बजरंगी पर नूँह पुलिस ने सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में मामला दर्ज किया था। हिंसा 31 जुलाई को नूँह जिले में एक धार्मिक यात्रा के दौरान हुई थी। उन्हें 15 अगस्त को गिरफ्तार किया गया और नूँह सत्र अदालत ने 30 अगस्त को जमानत दी थी। जमानत देते समय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप कुमार ने जमानत पर शर्तें लगाईं जिनमें नूँह जिले में प्रवेश से पहले पुलिस अधीक्षक की अनुमति लेना और कोई सार्वजनिक बयान, खासकर सोशल मीडिया पर, जारी न करना शामिल थीं।  

शिकायत में सीजेपी ने बजरंगी के 4 नवंबर को फरीदाबाद में दिए नफरती भाषण का हवाला दिया जिसमें उन्होंने मुस्लिम समुदाय को निशान बनाया था और उनके आर्थिक बहिष्कार का आह्वान किया था। भाषण में उन्होंने दिवाली के अवसर पर हिंदुओं को मुस्लिम विक्रेताओं से कुछ न खरीदने का आह्वान किया था। लगातार नफरत फैलाने के आरोपी ने कहा कि मुस्लिम अपनी आमदनी का इस्तेमाल गाय काटने और हिंदू महिलाओं को प्रताड़ित करने में करते हैं। बजरंगी ने मुस्लिमों के आर्थिक बहिष्कार का आह्वान किया। शिकायत में बताई दूसरी घटना में बजरंगी का फरीदाबाद में एक अंतरधर्मीय विवाह को रोकने का मामला शामिल था।

सीजेपी हेट स्पीच के उदाहरणों को खोजने और प्रकाश में लाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि इन विषैले विचारों का प्रचार करने वाले कट्टरपंथियों को बेनकाब किया जा सके और उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जा सके। हेट स्पीच के खिलाफ हमारे अभियान के बारे में अधिक जानने के लिए, कृपया सदस्य बनें। हमारी पहल का समर्थन करने के लिए, कृपया अभी दान करें!

शिकायत में कहा गया है कि ‘’यह घटनाएं साफ-साफ धमकियाँ हैं और भारतीय संविधान का उल्लंघन हैं जो अनुच्छेद 19, 21, 14 और 25 के तहत हर भारतीय को न छीने जाने वाले अधिकार देता है। जो कानूनी रूप से वयस्क हैं, अपना जीवनसाथी मर्जी से चुन सकते हैं चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, वर्ग या लिंग के हों। यह हर भारतीय को कानून के समक्ष समानता, बिना भेदभाव के जीवन जीने, जीवन का अधिकार, आर्थिक गतिविधि या व्यवसाय की आजादी और अपने तरीके से धर्म, विश्वास और प्रार्थना मानने की आजादी देता है।”

शिकायत जमानत रद्द करने के लिए कानूनी प्रावधान भी मुहैया कराती है जो दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 437 (5) और धारा 439 (2) में मौजूद हैं। शिकायत में नूँह पुलिस से अनुरोध किया गया है कि वह नूँह सत्र न्यायालय को उक्त अपराधों और जमानत की शर्तों के उल्लंघन के बारे में बताए और बिट्टू बजरंगी को दी जमानत रद्द करने का अनुरोध करे।

शिकायत में यह भी कहा गया है कि नफरती बयानों के अपराध और मॉरल पोलिसिंग के अपराध जो बजरंगी ने किए हैं भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत सजा योग्य अपराध हैं। इसलिए शिकायत में नूँह पुलिस से अनुरोध किया गया है कि जमानत के बाद किए इन अपराधों का संज्ञान लेकर मामले की जांच करें और प्राथमिकी दर्ज करें।

पूरी शिकायत यहाँ देख सकते हैं:

 

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