उत्तर भारत में नफ़रती और भड़काऊ बयानों का दौर जारी हिंदुत्ववादी नेताओं ने राजस्थान, हरियाणा और छत्तीसगढ़ में नफ़रती बयान, फ़ेक न्यूज़ और ग़लत दावे फैलाये.

06, Sep 2023 | CJP Team

2024 के चुनावों के मद्देनज़र नफ़रत भरे बयानों का बढ़ता आंकड़ा भारत के अनेक हिस्सों में बढ़ती नफ़रत का सूचक है.

फ़ेक न्यूज़ के प्रसार के जरिए समुदायों के ध्रुवीकरण को देखते हुए सांप्रदायिक सद्भाव एक नक़ली, नाज़ुक और खोखली अवधारणा मालूम होती है. 

सीजेपी हेट स्पीच के उदाहरणों को खोजने और प्रकाश में लाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि इन विषैले विचारों का प्रचार करने वाले कट्टरपंथियों को बेनकाब किया जा सके और उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जा सके। हेट स्पीच के खिलाफ हमारे अभियान के बारे में अधिक जानने के लिए, कृपया सदस्य बनें। हमारी पहल का समर्थन करने के लिए, कृपया अभी दान करें!

नागौर, राजस्थान

विचलित करने वाली घटनाओं के बीच राजस्थान के नागौर में विश्व हिंदू परिषद ने हाल ही में एक सभा आयोजित की जिसमें दक्षिणपंथी नेता ने मुसलमानों और उनकी आस्था को निशाना बनाते हुए एक सांप्रदायिक बयान जारी किया. इसके साथ ही वक्ता ने दावा किया कि अफ़गानिस्तान हिंदुओं का अधिकार क्षेत्र है और फिर उन्होंने हिंदू समुदाय की तरफ़ से उसे ‘हमारा’ पुकारा. इससे एक क़दम आगे बढ़ते हुए उन्होंने यह तक कह दिया कि पवित्र इस्लामिक शहर मक्का और मदीना हिंदू शासकों की अमानत हैं और इनका नाम राजा मकेश्वर बहादुर के नाम पर पड़ा था. 

1 सितंबर को राजस्थान पुलिस हेल्पलाइन ने ट्विटर पर नागौर पुलिस को टैग करते हुए ऐसे भड़काऊ बयान जारी करने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कारवाई करने के लिए कहा है. 

रायपुर, छत्तीसगढ़

इसी तरह एक अन्य चिंताजनक घटना में अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद के नेता महावीर ने रायपुर, छत्तीसगढ़ में मुसलमानों और उनकी आस्था पर निशाना साधते हुए सांप्रदायिक बयान दिए. महावीर ने इन भड़काऊ बयानों में कहा कि मुसलमानों ने भारत में आकर बड़े पैमाने पर तबाही फैलाई है. उन्होंने मुसलमानों और इस्लामिक इतिहास के बारे में भी आपत्तिजनक बयान देते हुए कहा कि-

“मुसलमान भारत में आए और उन्होंने सबकुछ तबाह कर दिया.”

उन्होंने कहा कि मुसलमान हमेशा से हिंदुओं के धार्मिक अभ्यास दोहराते आए हैं और पैग़म्बर मुहम्मद साहब मक्का में भगवान मक्केश्वर की इबादत करते थे. इस भड़काऊ भाषण ने इलाक़े में सांप्रदायिक सद्भाव के लिए ख़तरा पैदा कर दिया हैं. ये वीडियो 31 सितंबर को ट्विटर पर प्रसारित हुआ था.  

हथिनी, हरियाणा

सांप्रदायिक नफ़रत को और गहरा करते हुए हथिनी, हरियाणा में दक्षिणपंथी समूहों ने एक सभा का आयोजन किया जिसमें मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा को बढ़ावा दिया गया. इस सम्मेलन में वक्ताओं ने दावा किया कि मुसलमान काफ़िरों के ख़िलाफ़ हिंसा को जायज़ ठहराते रहे हैं और इस तरह हमलों की चपेट में उन्हें दुख से गुज़रना पड़ता है. उन्होंने कथित दावा किया कि मुसलमान हिंदुओं को उनकी धार्मिक परंपरा और विरासत से पहचाने जाने का विरोध करते रहे हैं. उन्होंने कहा कि-  

“हमने कभी न तो हमला किया, न उकसाया लेकिन आज मुसलमान क़ौम चाहती है कि हम हिंदुओं की तरह न पहचाने जाएं. मुसलमानों को सिखाया जाता रहा है कि वो काफ़िरों की हत्या करें और जो शरीयत में यक़ीन नहीं रखते या उसका अनुसरण नहीं करते उन्हें दुनिया में रहने का कोई हक़ नहीं है.” ये घटना 1 सितंबर, 2023 को सोशल मीडिया पर प्रसारित की गई थी. 

अधिकारियों ने सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने वाली इन खुली घटनाओं का संज्ञान लिया है. मिसाल के तौर पर 3 अगस्त को द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक़ नूह में सांप्रदायिक हिंसा के दौर में शाहीन अब्दुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से ऐसी रैलियों पर पहले से रोक लगाने की अपील की है जिनसे दिल्ली और नोएडा में सांप्रदायिक तनाव और हिंसा भड़कने का डर है. जिसके बाद जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट बेंच ने एक आदेश जारी करते हुए इन रैलियों में हिंसा और नफ़रती बयान रोकने के लिए प्रिवेंटिव एक्शन की ज़रूरत पर बल दिया.  

जस्टिस खन्ना ने सामाजिक सद्भाव पर नफ़रती बयानों के प्रभाव पर बात की और अधिकारियों से ज़िम्मेदारी लेने को कहा कि नफ़रती बयान और हिंसा की कोई घटना नहीं हो. कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को ऐसी रैलियों के दौरान क़ानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सहयोग करने को कहा. इस दौरान बेंच ने अक्टूबर, 2022 को जारी आदेश का भी हवाला दिया जिसके तहत नफ़रती बयान देने वालों के ख़िलाफ़ फ़ौरन कार्रवाई करने को कहा गया था. देश के धर्मनिरपेक्ष रूप को देखते हुए इस आदेश में कोर्ट ने कहा था कि नफ़रती बयान के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में धर्म का भेद नहीं किया जाएगा. 

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट के आदेश को लागू करने के लिए केंद्र की प्रतिबद्धता में पूरा साथ देने का अश्वासन भी दिया था. इस दायर याचिका में पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी ऐसे आयोजनों के दौरान नफ़रती बयानों की तरफ़ ध्यान खींचते हुए हिंसा के उपजते नए ख़तरों की तरफ़ इशारा किया गया. 

ऐसे वक़्त में भारत के लिए ज़रूरी है कि वो नागरिकों में सहअस्तित्व के लिए विविधता, सहिष्णुता, समग्रता और सद्भाव के मूल्यों का पालन करे. कहा जा सकता है कि कोर्ट द्वारा ऐसी घटनाओं का संज्ञान लेने और केंद्र को रोकथाम के लिए निर्देश जारी करने बावजूद इस दिशा में अधिक सतर्कता नहीं बरती गई है क्योंकि ऐसी घटनाएं अभी भी जारी हैं.

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