CJP ने सुरेश च्वहाणके के नफ़रती बयानों के ख़िलाफ़ NCM में दर्ज की शिकायत इस शिकायत में जुलाई माह में सुरेश च्वाहाण्के के क़रीब 5 नफ़रती बयानों का ज़िक्र किया गया है जिसमें उन्होंने अल्पसंख्यकों पर निशाना साधकर अवाम में अलगाव की भावना को उकसाने की कोशिश की है.

24, Aug 2023 | CJP Team

CJP ने 10 अगस्त को NCM (National Commission for Minority) में शिकायत दायर कर जुलाई, 2023 में जारी सुरेश च्वाहाण्के के नफ़रती बयानों पर फ़ौरन कारवाई की अपील की है. सुरेश च्वाहाण्के सुदर्शन न्यूज़ के एडिटर इन चीफ़ हैं जिन्होंने जुलाई माह मे क़रीब 5 बार अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रती बयान जारी करके एक हिंदू राष्ट्र के निर्माण की बात की है.

CJP ने शुरूआत से ही च्वाहाण्के के ऐसे सभी नफ़रती बयानों का संज्ञान लिया है जिनमें वो एक अल्पसंखयक समुदाय को निशना बनाकर, ग़लत व भ्रामक सूचनाओं को बढ़ावा देकर धार्मिक समूहों में अलगाव डालने की कोशिश करते रहे हैं. NCM में दर्ज इस शिकायत में CJP ने हिंसा से बचाव, सामाजिक सद्भाव के हनन से हिफ़ाज़त और नैतिक क़ानूनी पैमानों की सुरक्षा के लिए के लिए फ़ौरन कारवाई की गुज़ारिश की है.

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इस शिकायत में अनेक ऐसे बिंदु दर्ज किए गए हैं जिससे मामले की गंभारता का पता चलता है. इस शिकायत के ज़रिए CJP ने आगामी ख़तरों से बचाने के लिए च्वाहाण्के के बयानों पर लगाम लगाने का प्रस्ताव पेश किया है. नीचे इन नफ़रती बयानों का एक संक्षिप्त विवरण पेश है जिसे शिकायत में दर्ज किया गया है-

  1. वाराणसी, उत्तर प्रदेशच्वाहाण्के ने वाराणसी में जारी बयान मे कहा कि न्यायिक फ़ैसलों के प्राथमिकताओं से मेल न खाने पर मुसलमानों की इबादत की जगह को बलपूर्वक मंदिर में बदला जा सकता है. उन्होंने एंटी मुस्लिम भाव जगाते हुए हिंसा भड़काने और समुदायों में अपसी अविश्वास को बढ़ाने वाला भाषण दिया.
  2. कोपारगांव, महाराष्ट्र-यहां पर भाषण देते हुए च्वाहाण्के ने इस्लामिक रिवाजों का मज़ाक उड़ाया, मस्जिदों में लाउडस्पीकर बैन की बात की और मदरसों के बारे में साज़िशी अफ़वाहों को तूल दी.  भ्रामक दावों से उन्होंने लोगों में आपसी विश्वास और समझ की तस्वीर बिगाड़ने की कोशिश की.
  3. ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश-उन्होंने मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाए जाने का बेबुनियाद दावा किया औऱ लोगों से इन मंदिरों को आज़ाद करने की गुज़ारिश की. च्वाहाण्के ने इन भाषणों से धार्मिक दंभ को मज़बूत करके तय क़ानूनी प्रक्रिया को नकारने की कोशिश की.
  4. झांसी, मध्य प्रदेश-यहां च्वाहाण्के ने कांस्पिरेसी थ्योरी को बढ़ावा देके हुए ऐतिहासिक तत्वों केसाथ खिलवाड़ की कोशिश की  और विशेष समुदाय के प्रति शत्रुता बढ़ाने का प्रयास किया. इस भाषण में उन्होंने हिंदू विरासत के पर ख़तरा होने का नज़रिया विकसित करने की कोशिश की.
  5. उज्जैन, मध्य प्रदेश-च्वाहाण्के व अन्य वक्ताओं द्वारा जारी इन बयानों में हिसंक गतिविधियों का समर्थन किया गया औरधार्मिक दंभ में इज़ाफ़ा करके बर्बरता का साथ दिया गया. ज़ाहिर है कि उन्होंने इन भाषणों से डर का माहौल क़ायम करके भारत की विविध संस्कृति को तोड़ने की कोशिश की है.

NCM में दर्ज इस शिकायत में च्वाहाण्के के विचलित करने वाले इन नफ़रती बयानों की तरफ़ ध्यान खींचने की कोशिश की गई है.  शिकायत में इन उदाहरणों को पेश करके जुलाई माह में अलग अलग जगहों पर जारी बयानों में अल्पसंख्यक समुदाय पर निशाना साधने के पैटर्न को पहचानने का प्रयास किया गया है. फिर इस पैटर्न को उजागर करके चव्हाणके के भ्रामक एज़ेंडे और सामाजिक सद्भाव के लिए ख़तरा खड़ा करने वाली फ़ितरत पर रौशनी डाली गई है.

इसके अलावा शिकायत मे कहा गया कि कैसे च्वाहाण्के का भाषण सिर्फ़ हिंसा ही नहीं भड़काता वरन अलग अलग धार्मिक समूहों के बीच तनाव और दुश्मनी को भी गहरा करता है. एक विशेष समुदाय के ख़िलाफ़ कारवाई की खुली मांग के साथ उनके अल्फ़ाज़ ज़मीनी स्तर पर असल जीवन की लड़ाईयों और ख़तरनाक परिणामों में बदल सकते हैं

शिकायत मे कहा गया कि कैसे अपने नफ़रती एजेंडा के लिए च्वाहाण्के भ्रामक सूचनाओं और कांस्पिरेसी थ्योरी पर निर्भर हैं. उनके बेबुनियाद दावों से विशेष धार्मिक समुदाय के रिवाजों के ख़िलाफ़ नकारात्मक नज़रिया विकसित हुआ है. यह ग़लत सूचनाएं समाज में पहले से व्याप्त पूर्वाग्रहों और दुश्मनियों को बढ़ाती हैं जिससे अपसी विश्वास कम होता है और सहअस्तित्व की जड़ें कमज़ोर होती हैं जो कि एक एकता से संचित समाज के लिए बेहद ज़रूरी है. इसे अविश्वास, शत्रुता और अलगाव के साथ ही शांति और एकता पर संकट की तरह शुमार किया जा सकता है.

अंत में इस शिकायत में स्थापित क़ानूनी प्रक्रिया के प्रति च्वाहाण्के के अपमान को रेखांकित किया गया है. न्यायिक निर्देंशों से इंकार और क़ानूनी तंत्र की अवहेलना करने वाली कारवाई को बढ़ावा देने से लोकतांत्रिक संस्थाओं और उत्तरादायित्व के बारे में सवाल खड़ा होता है.

CJP ने NCM से ऐसे विशेष निर्देशों और कारवाई की अपील की है, जिससे शिकायत की गंभीरता को National Commission for Minorities Act, 1992 के सेक्शन 9(1) के तहत संज्ञान में लिया जा सके. इसके अलावा शिकायत में च्वाहाण्के के नाम सम्मन जारी कर  जांच की भी मांग की है जिससे NCMA के सेक्शन 9 (4) (a), (b) और (e) के तहत कारवाई की जा सके और DGP(Directors General of Police) को जांच का निर्देश दिया जा सके.

इस शिकायत में कमीशन से कहा गया कि इस बारे में संबंधित राज्यों के पुलिस विभाग को कारवाई के बारे में रिपोर्ट और अपडेट के ज़रिए सूचित भी किया जाए. कमीशन की शक्तियों का संज्ञान लेते हुए CJP ने सामजिक सद्भाव के लिए इन नफ़रती बयानों के प्रति उत्तरदायित्व तय करने और जांच की अपील की है.

पूरी शिकायत यहां पढ़ी जा सकती है.

 

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