ओड नरसंहार : गुजरात हाईकोर्ट ने 19 लोगों की सज़ा रखी बरकरार 1 मार्च, 2002 को गुजरात दंगों के दौरान आनंद ज़िले में 23 लोगों को जिंदा जला दिया गया था
12, May 2018 | CJP Team
गुजरात हाई कोर्ट की खंडपीठ ने ओड दंगे में दोषी पाए गए 19 लोगों की सज़ा बरकरार रखी है. गुजरात के आनंद जिले में ओड नाम के स्थान पर मुसलमान विरोधी हिंसा के चलते 23 लोगों को ज़िंदा जला दिया गया था. यह घटना गोधरा ट्रेन के जलने के ठीक दो दिन बाद, 1 मार्च, 2002 को हुई थी.
ओड दंगे के 47 मुख्य आरोपियों में 1 व्यक्ति की परिक्षण के दौरान ही मौत हो गयी थी. 2012 में, विशेष परीक्षण अदालत ने 23 लोगों को इसमें दोषी पाया, जिसमे से 18 लोगों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी. बाकी के बचे पांच लोगों को 7 साल की सज़ा हुई थी. जहाँ एक ओर अभियुक्तों ने इस फैसले के खिलाफ अपील की थी, वहीँ मामले की जांच कर रही विशेष जांच एजेंसी (SIT) ने भी निर्दोष पाए गए लोगों के पक्ष में आए फ़ैसले को चुनौती दी थी. इसके साथ-साथ (SIT) ने उन 5 लोगों, जिन्हें केवल 7 साल की सज़ा सुनाई गई थी.
CJP ओड दंगे के उत्तरजीवियों के कानूनी संघर्ष का सहभागी रहा है. हमने केवल 2012 में विशेष अदालत के फैसले के दौरान ही नहीं, बल्कि गुजरात उच्च न्यायालय में भी उत्तरजीवियों का साथ दिया है. ओडे मामले और हमारे इस पर किये गए काम के बारे में यहाँ जान सकते है.
११ मई को आए गुजरात उच्च न्यायलय के फ़ैसले को आप यहाँ पढ़ सकते हैं –
CJP सचिव तीस्ता सेतलवाड़ ने पुलिस जांच में हो रही कई विसंगतियों पर सवाल उठाए हैं. इन्हें यहाँ पढ़ा जा सकता है –
यह रही मामले की मूल चार्जशीट –
शुक्रवार मई ११ को गुजरात हाई कोर्ट ने न केवल 23 मूल निर्दोषों को कायम रखा, बल्कि 3 और लोगों को निर्दोष बताकर बरी किया. हालांकि, उन 19 पाए आरोपियों की सज़ा में कोई परिवर्तन नहीं किया गया. उनमें वह 14 लोग भी शामिल हैं, जिन्हें आजीवन कारावास की सज़ा मिली.
CJP की ओर से उत्तरजीवियों का पक्ष रखने वाले वकील सुहेल तिरमिज़ी का कहना है कि, ”यह सब कुछ उत्तरजीवियों की हिम्मत और तीस्ता सेतलवाड़, उनके संगठन CJP और उनकी वकीलों की टीम के कारण संभव हो पाया है, जिन्होंने निरंतर ज्ञान और सहयोग प्रदान किया जिसके कारण कोर्ट की सुनवाई के दौरान न केवल हमारे साक्ष्यों की सराहना हुई, बल्कि अभियुक्तों को दोषी भी ठहराया गया. गुजरात उच्च न्यायालय ने उनमें से केवल 3 लोगों को छोड़कर, पिछले निर्णय की पुष्टि की है.”
इस केस से सम्बंधित सभी दस्तावेज़ आप यहाँ पढ़ सकते हैं –
अनुवाद सौजन्य – मनुकृति तिवारी
फीचर छवि – मनीष स्वरुप / एसोसिएटेड प्रेस
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