‘खोज’ ने छात्रों और शिक्षकों को कराई अनोखी फील्ड ट्रिप धार्मिक स्थलों पर जाकर स्कूल के बच्चों ने आखिर क्या सीखा? सुनिए उनके टीचरों की जुबानी.

02, Mar 2023 | CJP Team

खोज का उद्देश्य एक नई शिक्षण प्रणाली विकसत करने से है जिसमें सिर्फ बच्चे ही सबकुछ न सीखें बल्कि यह प्रक्रिया दोनों तरफ से हो, इसलिए हमने खोज फील्ड ट्रिप में शिक्षकों और बच्चों के अनुभव को जाना.

खोज की एक कोशिश है कि ऐसी सभी मान्यताएं, सभी धारणाएं जो हमें एक समाज के तौर पर एक-दूसरे साथ रहते हुए भी कई बार एक-दूसरे पर संदेह करने की वजह बनती हैं, उन्हें कम से कम आने वाली पीढ़ियों के अन्दर दाखिल नहीं होने देना है.

खोज शिक्षा के क्षेत्र में एक अनूठी पहल है जो बच्चों को विविधता, शांति और सद्भाव को समझने का अवसर देती है। हम छात्रों को ज्ञान और निर्णय लेने के प्रति उनके दृष्टिकोण में आलोचनात्मक होना सिखाते हैं। हम बच्चों को उनके पाठ्यक्रम की संकीर्ण सीमाओं से परे जाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, और कक्षा के भीतर सीखने और साझा करने के खुले वातावरण को बढ़ावा देते हैं। हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुखद बनाने के लिए हम बहुलवाद और समावेशी होने पर ज़ोर देते है। इसीलिए इसके लिए लड़ा जाना जरुरी है। खोज को भारत भर में सभी वर्गों के छात्रों तक ले जाने में मदद करने के लिए अभी डोनेट करें। आपका सहयोग ख़ोज प्रोग्राम को अधिक से अधिक बच्चों और स्कूलों तक पहुँचने में मदद करेगा.

इसी को ध्यान में रखते हुए हमने खोज शिक्षण प्रोग्राम में एक ऐसी अनोखी फिल्ड ट्रिप भी तैयार की है जिसमें सभी स्कूली बच्चों को किसी ऐतिहासिक इमारत या किसी म्यूजियम के भ्रमण पर ले जाने के बजाय हम उन्हें एक साथ मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरजा घर ले जाते हैं और सभी बच्चों को वहां सवाल पूछने की पूरी छूट होती है. इस ट्रिप का सीधा सा उद्देश्य यह है कि वह सिर्फ अपने धर्म और उससे जुड़ी मान्यताओं को ही न जानें, बल्कि अपने सहपाठी जो उसकी कक्षा में उसके साथ पढ़ता है दोनों एकदूसरे के धर्म के बारे में जानें.

खोज कार्यक्रम के तहत बच्चों को वाराणसी में स्थित विभिन्न धार्मिक स्थल पर ले जाया जाता है और सभी धार्मिक स्थानों के धर्माचार्यों से खुली बातचीत कराई जाती है। इन स्थलों में कबीर मठ, जामा मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा और विश्वनाथ मंदिर शामिल था। इस एजुकेशनल ट्रिप में प्रिंसिपल और अध्यापिका बच्चों के साथ होती हैं.

Khoj Field trip Photos 

This slideshow requires JavaScript.

This slideshow requires JavaScript.

शिक्षकों के अनुभव

मां अन्नपूर्णा विद्या मंदिर में स्कूल की अध्यापिकाओं और प्रिंसिपल ने विजिट के बाद अपने अनुभव साझा किये। 

अध्यापिका सारिका जो आठवीं क्लास की टीचर हैं उन्होंने एजुकेशन ट्रिप पर गए बच्चों और खुद के  अनुभव  के बारे में विस्तार से बताया कि “मैं इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पोस्टग्रेजुएट हूं। खोज क्लास जो शिक्षा बच्चों को दे रही है उसके  साथ साथ हम लोगों को भी काफी शिक्षा प्राप्त हुई है। खोज क्लास में मुझे जो सबसे इंपोर्टेंट बात लगी वह यह थी कि इन लोगों का काम नफरत और भेदभाव  को दूर करना है। क्योंकि मैं 2 साल से मां अन्नपूर्णा स्कूल में पढ़ा रही हूं तब से कोई  इस तरह से बच्चों को नहीं पढ़ाया जो काम खोज क्लास फ्री में कर रही है शायद ही कोई ऐसा करे। खोज क्लास बच्चों में एकता की पढ़ाई पढ़ाने का कार्य कर रही है जिससे आने वाली जनरेशन देश का भविष्य अच्छे से चले”। 

वरिष्ठ अध्यापिका सारिका का कहना था कि “मैं कभी सोची नहीं थी कि मुझे ऐसे पांच धार्मिक जगहों पर जाने का मौका भी मिलेगा, धन्यवाद है सीजेपी का।  मैं  बनारस की ही हूं फिर भी मैं कबीर मठ, जामा मस्जिद और गुरुद्वारा इन सब जगहों पर नहीं गई थी। इन धार्मिक स्थानों पर जाने से ऐसा नहीं पता चला कि हम लोग कहीं अनजाने धर्म या फिर अनजानी जगह पर आए हैं। सभी स्थानों के धर्माचारी बहुत अच्छे से लोगों से मिले और बच्चों का अच्छे से सब धर्मों के बारे में जानकारी दी।

मां अन्नपूर्णा के वाइस प्रिंसिपल श्री शशिकांत तिवारी से उनके अनुभव  के बारे में बात, उनका कहना था कि हमारे यहां के खोज क्लास से बच्चे और हम सब टीचर काफी खुश हैं और हम चाहते हैं कि खोज ऐसे चलता रहे।

हर्ष इंटर स्कूल के प्रिन्सिपल उपेंदर कुमार यादव का कहना था कि “खोज जबसे चल रहा है, बच्चों में एक नई ऊर्जा देखने को मिल रही है। इतने कम पैसे में पाँच धार्मिक स्थानों को जो दिखाया गया उससे बहुत कुछ सीखने को मिला। मै स्वयं चर्च और गुरुद्वारा पहली बार गया। खोज द्वारा ये एक बेमिसाल कार्य चल रहा है”।

हर्ष की टीचर रूबी ख़ान का कहना था कि मेरा अपना अनुभव कुछ अलग ही रहा. मुझे बहुत अच्छा लगा मेरे स्कूल के बच्चों को और भी अच्छा लगा. उन्होंने बताया कि खोज क्लास की वजह से मेरे बच्चों में काफी बदलाव आया है और बहुत कुछ सीखा है जैसे कि मजहब को लेकर बच्चों में अच्छी-अच्छी सोच विकसित हुई है. मेरे स्कूल के बच्चों में कोई भेदभाव नहीं है. खोज क्लास जो बच्चों को 5 धार्मिक स्थानों पर लेकर गए उससे बच्चों में काफी बदलाव भी आया, देखने को भी मिला बच्चे काफी खुश थे.

हर्ष की टीचर जमुना भारद्वाज का अनुभव रहा कि अलग-अलग धर्म को लेकर जो विवाद होता है ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि जब खोज बच्चों को 17/12/ 2022 को बनारस के पाँच धार्मिक स्थानों पर ले  गए तो इससे बच्चों में अच्छी भावना देखने को मिली. इससे यह पता चला कि सब धर्म एक ही बात सिखाता है आपस में मिलजुल कर रहना क्योंकि इंसानियत ही धर्म है.

बच्चे करते हैं खोज का इंतजार

सभी स्कूलों में जहां खोज की क्लास चलती है वहाँ बच्चे खोज क्लास रोज़ करना चाहते हैं। यूनाइटेड स्कूल की प्रिन्सिपल और माँ अन्नपूर्णा विद्या मंदिर की सीनियर टीचर सारिका का कहना था कि बच्चे बुधवार और शनिवार का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं क्योंकि इस दिन खोज का क्लास होता है। बच्चे काफी एक्साइटेड रहते हैं. जबसे स्कूल में खोज क्लास चल रहा है बच्चों में काफी परिवर्तन आया है ये सभी स्कूल के प्रिन्सिपल और टीचर का कहना है. ये लोग चाहते हैं कि सीजेपी और खोज क्लास इनके स्कूल से हमेशा जुड़ा रहे.

यूनाइटेड स्कूल के कक्षा 8वीं की मून, ज़ेबा, आफ़रीन और हुनेन ने ख़ासकर  इस साल खोज टीचर्स से कहा की हम भी खोज क्लास करेंगे। प्रिन्सिपल से सिफ़ारिश कारवाई कि सिर्फ क्लास 5th 6th 7th को ही नहीं हम लोग भी खोज क्लास करेगे । यहां 5th से 8th तक खोज क्लास चलता है ।

Related:

जानिए शिक्षण प्रणाली की एक अनूठी पहल ‘ख़ोज’

मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा, कबीर मठ और वाराणसी के एक मंदिर मे हुई खोज की फील्ड ट्रिप

CJP’s Khoj Celebrates 75 years of India’s Independence

KHOJ celebrates Bapu in Mumbai school

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Go to Top
Nafrat Ka Naqsha 2023