तीस्ता सीतलवाड़ समेत समस्त मानवाधिकार कर्मियों को रिहा करने की मांग hamaramorcha.com

03, Jul 2022

तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी के विरोध में अविलंब रिहा किया जाए तथा सभी मानवाधिकार कार्यकरताओं पर झूठे फर्जी मुकदमे हैं ,
उन्हें सरकार वापस ले ।
राजकुमार भारत,शीलम झा भारती

तीस्ता सीतलवाड़ किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं इनके बाबा एमसी सेतलवाड़ देश के पहले अटॉर्नी जनरल थे। तीस्ता सेतलवाड़ को दिल से भारत का सलाम।
राजकुमार भारत*
सर्वोदय किसान नेता
राष्ट्रीय महासचिव
संयुक्त किसान मोर्चा(भारत)
किसान जागृति संगठन,राष्ट्रीय आम जन ब्रिर्गेड(भारत)आजादी बचाओं आंदोलन* के सर्वोदय नेताओ एवं महिला राष्ट्रीय नेत्रीयो ने कहा
ये वही तीस्ता सेतलवाड़ हैं जिनके परबाबा चिमणलाल हरिलाल सेतलवाड ने जालियावाला बाग में 400 हिंदुस्तानियों को मार देने वाले जनरल डायर के खिलाफ ब्रिटिश अदालत में मुकदमा लड़ा और डायर को कोर्ट मार्शल कराया, उसे डिमोट कराया। इनके परबाबा डा. भीमराव आंबेडकर के बहिष्कृत हितकारिणी सभा के फॉऊंडिंग प्रेसिडेंट थे!

ये वही तीस्ता हैं जो दंगो में मारे गए सैकड़ो हिंदुओ के न्याय की लड़ाई ही नहीं लड़तीं, बल्कि दर्जनों की शिक्षा दीक्षा का काम भी देखती हैं। मुम्बई बम ब्लास्ट 1993 में मारे गए “हिंदुओ” की लड़ाई भी तीस्ता ही लड़ीं , सरकार से मदद दिलाई। उन्हें ये सावरकर के समर्थक गुंडे हिन्दू नहीं मानते क्योंकि ब्लास्ट में मरने वाले ठेले खोमचे वाले और आम नागरिक थे।

पूरा परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी आम लोगों की लड़ाई लड़ता रहा है। तीस्ता के पिता भी जाने माने बैरिस्टर थे और जनहित के मुद्दों पर लड़ने के लिए जाने जाते हैं।

ये लोग देश भक्ति का ढोंग नहीं करते, इनकी तीन पीढ़ी आम लोगों के लिए गोरे अंग्रेजों से लड़ी है और स्वतंत्रता के बाद की पीढ़ी काले अंग्रेजों से लड़ रही है।

समस्या यह है कि इस समय गद्दारों और वादा माफ गवाह बनने वाले सावरकर के भक्तों की सरकार है।अंग्रेजों के पेंशन पर पलने वालों की मानस औलादों, भीख मांगकर, मन्दिर के नाम पर चंदा मांगकर जिंदगी बिताने वालों को लगता है कि हर कोई सिर्फ पैसे के लिए काम करता है। हर किसी को डराया जा सकता है।

तीस्ता सीतलवाड़ के होने का मतलब एक बहादुर औरत का पब्लिक स्फीयर में होना है, जिससे देश की साम्प्रदायिक ताकतों और उनके सबसे बड़े आका को डर लगता है। तीस्ता को बर्बाद करने के लिए सरकार ने जितनी ताकत झोंक रखी है, वही तो तीस्ता होने का मतलब है।

खौफ ऐसा होना चाहिए कि आधी आबादी जिसे ईश्वर समझे बैठी हो, वह एक अकेली महिला से कांपता नजर आए। भले ही उसकी जेब मे आईबी सीबीआई, सीआरपीएफ हो और वह डेल्टा सिक्योरिटी के घेरे में रहता हो।

(आरएसएस देश की आजादी के लिए लड़ने वाले हर व्यक्ति, परिवार, विचारधारा से स्वाभाविक रूप से नफरत करती है और उनके खिलाफ कार्यवाही करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती है। ऐसा एक भी आज़ादी का नायक आप को नहीं मिलेगा जिसके पक्ष और समर्थन में आरएसएस के लोगों ने 1925 से 1947 तक कोई लेख लिखा हो, या कोई आंदोलन चलाया हो। उस समय या तो यह जिन्ना के हमखयाल थे, या अंग्रजी राज की फंडिंग पर स्वाधीनता संग्राम सेनानियों की मुखबिरी कर रहे थे।)शीलम झा भारती*
सर्वोदय किसान नेत्री
गुरविंदर कौर ढिल्लो ,रितुराज भारती,भावना भारती, नरेश कुमारी कुडलस,रामेश आतिल,रीता राव,रेनू भार्द्धवाज ,दलजीत कौर मसीह,माला मित्रा,मेघा ,नूरफातिमा ,ममता पटेल , मुनीजा रफीक खान , कोमल ,रेनु , अर्चना,वन्दना श्री वास्तव,रजत शर्मा ऐडवोकेट,राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष युवा मोर्चा(भारत) अरूण वर्मा,शुभम पाँचाल ,कूकूँ रोहीला,आजाद सागवान,मा० राजकुमार,सुरेन्द्र सिह,जीतू,सन्त कुमार प्रजापत ,मौगली,नरेश प्रजापत,ठाकुर भीम सिंह चौहान,जय भगवान शर्मा,धर्मेन्द्र सरपंच दमनहेडी,बसन्त चिड़ी गुरूमेहर रोड मराठा,पीके रंधावा,दिलजीत कौर प्रवीण नूर हसन,राजकुमार भारत शीलम झा भारती,नेताओं ने नई आजादी के आंदोलन में बढ चढ़ कर नफरत फैलाने वाले आरएसएसएस जैसे संगठनो के खिलाफ एकजुट होकर मानवता की सेवा सुख शांति के लिये शहीदों के सपनों का भारत और लोक नायक जयप्रकाश नारायण की सम्पूर्ण क्रांति के लिये सभी सैकूलर संगठनो पार्टियों को ईक्कठा करने के लिये हम सभी भारत* के किसान पुत्रों बेटियों भाई बहिनों से प्रार्थना करते हैं अभी नहीं तो कभी नहीं,बहिष्कार करो……
राजकुमार भारत
शीलम झा भारती

The original piece may be read here

 

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