एक सुर में बोले वाराणसी के युवा : हमें नफरत नहीं, अमन का माहौल चाहिए गंगा जमुनी तहज़ीब बचाने को चिंतित युवा और महिलाएं

15, Jul 2022 | Fazalur Rehman Ansari

वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के बाद शहर में बढ़ रहे तनाव के कारण शहर की गंगा-जमुनी तहज़ीब को बचाने, शहर के आम लोग और छात्र छात्राएं आगे आये। नफ़रत के ख़िलाफ़ अमन और भाईचारे के पैग़ाम को लेकर बैठक और सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी में हुआ, जिसमें छात्र संगठनों के सभी संगठन के अगुवा साथियों ने अपनी-अपनी बात मज़बूती से रखी।

 

ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन से चंदा ने अपनी बात रखते हुए कहा, “ज्ञानवापी विवाद साम्प्रदायिक नफ़रत की राजनीति का एक हिस्सा है। आज बेरोज़गारी पर बात ना करके, नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 पर बात न करके हमें धार्मिक मुद्दों में उलझाया जा रहा है।” उन्होंने आगे कहा, “प्रिंट मीडिया और गोदी मीडिया द्वारा जो प्रोपेगंडा फैलाया जा रहा है उसे हमें समझना चाहिए।”

सीजेपी का ग्रासरूट फेलोशिप प्रोग्राम एक अनूठी पहल है जिसका लक्ष्य उन समुदायों के युवाओं को आवाज और मंच देना है जिनके साथ हम मिलकर काम करते हैं। इनमें वर्तमान में प्रवासी श्रमिक, दलित, आदिवासी और वन कर्मचारी शामिल हैं। सीजेपी फेलो अपने पसंद और अपने आसपास के सबसे करीबी मुद्दों पर रिपोर्ट करते हैं, और हर दिन प्रभावशाली बदलाव कर रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि इसका विस्तार करने के लिए जातियों, विविध लिंगों, मुस्लिम कारीगरों, सफाई कर्मचारियों और हाथ से मैला ढोने वालों को शामिल किया जाएगा। हमारा मकसद भारत के विशाल परिदृश्य को प्रतिबद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ जोड़ना है, जो अपने दिल में संवैधानिक मूल्यों को लेकर चलें जिस भारत का सपना हमारे देश के संस्थापकों ने देखा था। CJP ग्रासरूट फेलो जैसी पहल बढ़ाने के लिए कृपया अभी दान करें
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में नफ़रत के ख़िलाफ़ अमन और भाईचारे के पैग़ाम को लेकर बैठक

 

भगतसिंह छात्र मोर्चा के विनय ने अपनी बात रखते हुए कहा, “हिंदुत्वादी संगठनों द्वारा बनारस की फिज़ा को खराब किया जा रहा है और इनकी सरगर्मियां बीएचयू में लगातार बढ़ती ही जा रही हैं, जो कोई व्यक्ति कश्मीर या बाबरी मस्जिद के मामले पर बोल रहा है तो उसका दमन किया जा रहा है।”

विनय ने आगे कहा, “अभी पिछले दिनों कुछ मुस्लिम लड़कों ने कथित शिवलिंग के बारे में सोशल मीडिया पर कुछ लिख दिया था तो उनकी गिरफ्तारी हो गई वहीं, बनारस में हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा ये नारा लगाया जा रहा था कि एक झटका और दो, ज्ञानवापी तोड़ दो। इसका वीडियो सोशल मीडिया में घूम रहा था पर इन लोगो पर कोई भी कानूनी कर्रवाई नहीं की गयी। अब हमें नफरत के खिलाफ एकजुटता दिखानी होगी। कॉलेज कैम्पस में भी हमें संगोष्ठी के माध्यम से छात्र छात्राओं को इनके मंसूबों के बारे में बताना होगा।”

बैठक में नफ़रत के ख़िलाफ़ अमन और भाईचारे के पैग़ाम

स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के रवि रंजन ने कहा, “हम अमन चाहते हैं, मगर ज़ुल्म के खिलाफ लड़ना पड़ा तो लड़ेंगे। हमें साम्प्रदायिक मुद्दों में न पड़ कर सरकार की गलत नीतियों को लेकर एक मजबूत आंदोलन करना होगा। हमें हिन्दू मुस्लिम में नही बंटना है, साथ में मिलकर इस देश के संविधान के साथ ही बनारस की साझी विरासत को बचाना है। हमें नज़ीर और कबीर के बनारस को बचाना है।”

सभी छात्र संगठनों ने मिलकर इस मुददे पर जल्द ही बीएचयू में ही एक बड़ी बैठक रखने की बात कही। बैठक में फादर आनंद, जाग्रति राही, प्रवाल सिंह, मनीष शर्मा, विनय, शशिकांत, चन्दा, रवि रंजन, मोहम्मद अहमद, एकता आदि लोगों ने अपनी बात रखी।

23 मई 2022 को वाराणसी के कैथी गाँव में नफरत के खिलाफ़ बैठक

 

वहीं इससे पहले दिनाँक 23 मई 2022 को वाराणसी के कैथी गाँव में नफरत के खिलाफ़ अमन और भाईचारे के पैगाम को लेकर गाँव की महिलाओं और परुषों के साथ एक बैठक हुई जिसमें अपनी बात रखते हुए अरविंद कृष्णमूर्ति ने कहा, “आज की परिस्थिति में हमें शांति का मार्ग तलाशना होगा। उन्होंने आगे कहा कि इतिहास सीखने के लिए होता है बदला लेने के लिए नहीं। इतिहास से सबक लेकर बेहतर दुनिया बनाने का मार्ग तलाशना चाहिए। बदलती दुनिया में यहाँ तक आये हैं कि खुली हवा में शांति हो, विचारों का आदान प्रदान हो, बहस हो, तर्कशील वातावरण हो, विज्ञानयुक्त सभ्यता हो न कि इतिहास में की गयी गलतियों से आने वाली नस्लों से उनके उनके पूर्वज़ों का बदला। वो भी क्या पता कि जिस ओर हम खड़े हों उस ओर हमारे पूर्वज न रहे हों या आने वाली पीढियां न हों। इससे तो केवल बदला लेने की परंपरा ही चलती रहेगी।”

उन्होंने आगे कहा, “क्या धर्मों से हमने यही सीखा है, कोई भी धर्म पूरी मानव जाति के लिए होता है न कि किसी विशेष संप्रदाय या समाज के लिए? धर्मोन्मादि न बनें बल्कि धार्मिक बनें। लोकतंत्र के सभी नकारात्मक गुणों को हमने आज धारण कर लिया है जबकि उसके सकारात्मक पक्ष को हम आज तक छू न सके। इससे अच्छा तो राजतंत्र होता जिसमें समाज को वोट के लालच में बांटना न पड़ता और हो सकता की देश विकास की राह पर न होता जो आज भी नही है। पूंजी कुछ राजा और राजवाड़े तक सीमित होती जो आज भी कुछ पूंजीपतियों तक ही है। सकरात्मक ढंग से सोचने का प्रयास कीजिये वरना ऐसी विचारधारा से केवल हम नफरत की ही तरफ बढ़ रहे है। सोचिये, विचारिये देश हम सबका है हमें ही इसे बनाना है।”

वाराणासी के कैथी गाँव में महिलाओं और परुषों के साथ एक बैठक

 

वल्लभ पांडेय ने कहा, “जब काशी विश्वनाथ कॉरीडोर बनाने के लिए कई हज़ार शिवलिंगों को सरकार के इशारे पर प्रशासन ने फिकवाया उस समय हमारी आस्था कहाँ थी? सैकड़ों प्राचीन मन्दिरों को तुड़वाया और कॉरीडोर का निर्माण किया, हमारी आस्थाओं को कुचला तब हमें दर्द नही हुआ?” उन्होंने आगे कहा, “आज मस्ज़िद मन्दिर के नाम पर सरकार हमें लड़ाने का काम कर रही है। हमें इनके बहकावे में नही आना है। हम इस नफरत के खिलाफ़ मिल कर लड़ेंगे और किसी भी क़ीमत पर अपना भाईचारा खराब नहीं होने देंगे।”

बैठक में  वल्लभ पांडेय, अरविंद कृष्णमूर्ति, राज कुमार गुप्ता, जागृति राही, नीलम, सुमन, पलक, सुनीता आदि महिलाओ ने अपनी बात रखी।

फ़ज़लुर रहमान अंसारी से मिलें

Fazlur Rehman Grassroots Fellow

एक बुनकर और सामाजिक कार्यकर्ता फजलुर रहमान अंसारी उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। वर्षों से, वह बुनकरों के समुदाय से संबंधित मुद्दों को उठाते  रहे हैं। उन्होंने  नागरिकों और कुशल शिल्पकारों के रूप में अपने मानवाधिकारों की मांग करने में समुदाय का नेतृत्व किया है जो इस क्षेत्र की हस्तशिल्प और विरासत को जीवित रखते हैं।

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