अज़ान फ़कीर– एक सूफ़ी संत जिनके गीतों ने जगाई धार्मिक एकता की अलख अज़ान फ़कीर असम की धार्मिक विरासत के एक अनमोल मोती हैं, जिनके गीतों में धार्मिक विविधता वाले इस देश में एक-दूसरे की आस्था का सम्मान करने का पैग़ाम पैबस्त है.
13, Oct 2023 | CJP Tesm
हिंदुस्तान की ज़मीन ने दुनिया को बड़े-बड़े सूफ़ी संत और कवि दिए हैं जिन्होंने पूरी दुनिया को मोहब्बत का पैग़ाम देकर मतभेद की खाई को पाटा है और एकता की नई अलख जलाई है. इसमें अज़ान फ़कीर भी एक अहम नाम है. उस दौर में लगभग ज़्यादातर मुसलमान आबादी काफ़ी हद तक तक हिंदुओं जैसे धार्मिक अभ्यासों का पालन करती थी. बग़दाद से असम आने वाले अज़ान फ़कीर ने शिबसागर में सोनपुरा के क़रीब एक मस्जिद बनाकर मज़हब को नई रौश्नी देने की पहल की थी. उन्होंने एक तरफ़ जहां असम में इस्लाम को एक नया धरातल दिया वहीं दूसरी तरफ़ अन्य धर्मों के लिए भी सहिष्णुता, सद्भावना और सम्मान को मज़बूत बनाया.
आज नफ़रतों से भरे दौर में एकता की इबारत गढ़ने वाले ऐसे नायकों को याद रखना और उनके पाठ को दोहराना बेहद ज़रूरी है जिससे कि आम आबादी में आपसी भाईचारे के तार मज़बूत हो सकें.
नफ़रत, हिंसा और निराशा के समय में आपसी मेलजोल की सदियों पुरानी विरासत को संजोना बेहद ज़रूरी है. मज़हबी एकता और सद्भाव भारतीय संविधान और धर्मनिरपेक्षता की नींव हैं. भाईचारे की इन नायाब कहानियों के ज़रिए हम नफ़रत के दौर में संघर्ष के हौसले और उम्मीद को ज़िन्दा रखना चाहते है. हमारी #EverydayHarmony मुहिम देश के हर हिस्से से एकता की ख़ूबसूरत कहानियों को सहेजने की कोशिश है. ये कहानियां बताती हैं कि कैसे बिना भेदभाव मेलजोल के साथ रहना, मिल–बांटकर खाना, घर और कारोबार हर जगह एक–दूसरे की परवाह करना हिंदुस्तानी तहज़ीब की सीख है. ये उदाहरण साबित करते हैं कि सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनल्स के भड़काऊ सियासी हथकंड़ों के बावजूद भारतीयों ने प्रेम और एकता को चुना है. आईए! हम साथ मिलकर भारत के रोज़मर्रा के जीवन की इन कहानियों के गवाह बनें और हिंदुस्तान की साझी तहज़ीब और धर्म निरपेक्ष मूल्यों की हिफ़ाज़त करें! नफ़रत और पूर्वाग्रह से लड़ने के सफ़र में हमारे साथी बनें! डोनेट करें–
अज़ान फ़कीर का जीवन
अज़ान फ़कीर का असल नाम शाह मिरान बताया जाता है जिन्हें मस्जिद में अज़ान देने के कारण नया नाम दिया गया था. वो ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया के शागिर्द थे जिन्होंने एक अहोम महिला से विवाह किया, असमी भाषा सीखी और असम के शिबसागार में घर बसा लिया. नायाब सूफ़ी शिक्षाओं, संगीत और तहज़ीब में योगदान के कारण वो आज तक असम के आम-जन की ज़ुबान पर हैं. इस समय उनकी क़ब्र शिबसागर के होरागुरी में मौजूद है. ब्रह्मपुत्र नदी पर उनके सालाना उर्स में आज भी दूर-दूर से लोग हिस्सा लेने आते हैं.
संगीत के माध्यम से एकता स्थापित करने का प्रयास
ग़ौरतलब है कि अज़ान की ज़बान अरबी थी लेकिन आम जन तक अपनी पहुंच बनाने के लिए उन्होंने अहोम लोगों में प्रचलित असमी भाषा को चुना. ज़िक्र और ज़री नामक दो गीत परंपराओं की शुरूआत करके उन्होंने असमी कला, साहित्य और अध्यात्म में अपूर्व योगदान दिया. पूरे जीवनकाल में उन्होंने क़रीब 160 रचनाएं कीं जिसमें अभी सिर्फ़ 90 दस्तयाब हैं.
इस्लाम ऑन वेब के मुताबिक़, ज़री गीतों में उनकी शैली काफ़ी हद तक 200 वर्ष पूर्व के समय के वैष्णव संत संकरदेव से मेल खाती है. परमात्मा की प्रशंसा में लिखे गए इन गीतों में वक़्त की अक्कासी के साथ ही आम जनता के जीवन को समेटने की कोशिश भी की गई है. बाद में इस परंपरा को शेख़ फ़रीदुद्न, मुनिया दीवान, बंदन फ़कीर, मजनुदिल फ़किर, सैय्यद मुरतज़ा जैसी हस्तियों ने अपनी ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति और क़लम की ताक़त से निखारा.
मिली-जुली तहज़ीब के निर्माण में भूमिका
ज़िक्र और ज़री के पाठ में हर मज़हब के लोग हिस्सा लेते थे. फ़कीर ने इन गीतों के बाद लोगों में फिरनी बांटने की पंरपरा भी शुरू की थी. इन गीतों में वैष्णव परंपरा के तत्व भी हैं. उन्होंने असम में मुसलमानों को अहोम साम्राज्य में प्रचलित हिंदू धर्म से अलग करके उसे नया रंग तो दिया लेकिन साझी संस्कृति अंत तक उनकी गीत-परंपरा का अभिन्न हिस्सा रही. यही कारण है कि अहोम साम्राज्य में उन्हें मुग़ल जासूस क़रार दे दिया गया जिसके बाद अहोम राजा ने उनकी आंखें निकलवाने की सज़ा जारी की. कुछ गीतों के मुताबिक़ अज़ान ने अपनी आंखें नदी में बहा दी थीं जिसके बाद नदी उल्टी दिशा में बहने लगी थी.
अज़ान की आंखें भले निकलवा दी गई हों लेकिन उनकी रौश्नी अभी तक महफ़ूज़ है जिससे वो आज तक लोगों को आपसी प्यार और सद्भावना का रास्ता दिखा रहे हैं. मुल्क में धार्मिक एकता की संस्कृति सीधी दिशा में आगे बढ़ती रहे इसलिए ज़रूरी है कि हम ऐसी हस्तियों की कहानियों को सहेजें और उनकी अहमियत को नए सिरे से परखने की कोशिश करें.
Image Courtesy: Youtube channel of Asif Hussain
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