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सोनभद्र UP में मानवाधिकार रक्षक गिरफ्तार, NHRC ने किया हस्तक्षेप, कारवाई का दिया आश्वासन

Sonbhadra Adivasis

नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (NHRC) ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए सोनभद्र के पुलिस अधीक्षक और ज़िला न्यायधीश से 6 जून को सोनभद्र में हुई आदिवासी महिलाओं और पुरुषों की अवैध हिरासत और उसपर हुई कारवाई के बारे में पूछा. हिरासत में लिए गए सभी लोग ऑल इंडिया यूनियन ऑफ़ फारेस्ट वर्किंग पीपल्स (AIUFWP) के साथ सक्रीय हैं.

 

AIUFWP की रोमा और अन्य प्रतिनिधियों सहित उपाध्यक्ष तीस्ता सेतलवाड़ NHRC के रजिस्ट्रार श्री. सुरजीत डे से 14 जून को मुलाक़ात की जिसमें उन्होंने रिपोर्ट किया कि किस प्रकार निरंतर रूप से सोनभद्र के जनजातीय लोगों के मानवाधिकारों का गंभीर रूप से उल्लंघन किया जा रहा है, जबकि उनका गुनाह सिर्फ इतना है कि उन्होंने 23 मार्च को रोबर्ट्सगंज के जिला कार्यालय में वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 द्वारा उपलब्ध वन अधिकारों के अनुसार वन भूमि पर अपने अधिकार होने के दावों को दायर किया 6 जून को प्रतिनिधियों ने उत्तर प्रदेश के वन मंत्री दारा सिंह चौहान से पुलिसिया अत्याचारों के बारे में बातचीत की, जिसके बाद वे सब लखनऊ के लिए निकले, जिस दौरान उन्हें अवैध रूप से हिरासत में ले लिया गया और अब नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ नए मामले गढ़ दिए गए हैं.

AIUFWP के यूनियन सदस्य ने रोमा के नेतृत्व में रजिस्ट्रार को एक पत्र सौंपा जिसमें कार्यकर्ताओं की अवैध और अलोकतांत्रिक ढंग से की गई गिरफ्तारी की गंभीरता पर प्रकाश डाला गया, जो FRA 2006 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है. CJP के हस्तक्षेप करने के कारण ही NHRC रजिस्ट्रार और AIUFWP के नेताओं की बैठक संभव हो पाई है.

6 जून को सुकालो गोंड (कोषाध्यक्ष, AIUFWP) सहित किसामती गोंड और सुखदेव गोंड राज्य वन मंत्री, दारा सिंह चौहान और वन सचिव के साथ बैठक के बाद लखनऊ से लौट रहे थे जिसके दौरान उन्हें गुप्त रूप से चोपन स्टेशन, सोनभद्र में गिरफ्तार कर लिया गया. सुखदेव गोंड लिलासी गाँव के रहने वाले हैं जिन्हें पहले भी मुइरपुर के स्टेशन अफसर एसपी सिंह ने मारा पीटा था. किसामती भी हाल ही में वनाधिकार समिति की अध्यक्ष नियुक्त की गईं हैं, जिन्हें पुलिस ने बर्बरता से पीटा था. 19 मई को जब सुकालो लखनऊ में एक प्रशिक्षण कार्यशाला में थीं, तब पुलिस घरों में घुसी और कथित तौर पर कई आदिवासी महिलाओं और बच्चों पर हमला और बदसुलूकी की. सुकालो और किसामती का कथित तौर पर किसी भी FIR में नाम मौजूद नहीं है जो खुद ही उनकी हिरासत को अवैध और गैर-कानूनी बना देते हैं.

पहले CJP ने अपने सदस्यों से अपील की थी कि वे उत्तर प्रदेश के DGP, ओम प्रकाश सिंह को 0522-2206104, सोनभद्र के SP को 9454400304, सोनभद्र के DM अमित कुमार सिंह को 9454417569, वन मंत्री दारा सिंह चौहान को 09455073877 पर फ़ोन करें और आदिवासियों के मानवाधिकारों की रक्षा करने वाले कार्यकर्त्ता सुकालो, किसामती और सुखदेव की रिहाई की मांग करे.
CJP ने सोनभद्र की आदिवासी महिलाओं पर व्यवस्थित रूप से हो रही प्रताड़ना और मिल रही धमकियों पर बारीकी से निगरानी रखी हुई है. उनमें से कई बिलकुल झूठे या बढ़ा चढ़ा कर दायर किये गए फर्जी मामले हैं. हम मानवाधिकार रक्षकों के लिए कोर्ट में और साथ ही उन लोगों के लिए लड़ रहे हैं जो अपने क्षेत्र में लगातार संस्थागत हिंसा का शिकार हो रहे हैं. हमारे इस काम में सहयोग करने के लिए यहाँ दान करें.

यह उस वक्त की बात है जब वे अपनी शिकायतों को करने के बाद 8 जून को त्रिबेनी एक्सप्रेस से अपने गाँव लौट रहे थे, तब यूपी पुलिस ने उन्हें सोनभद्र के चोपण रेलवे स्टेशन में रोका और फिर गिरफ्तार कर लिया. उन्हें न अपने परिजनों से संपर्क करने की अनुमति दी गई, न ही अपने वकीलों से. उनके परिजन 24 घंटे तक कोई अत उनके ठिकाने के बारे में न पता होने के कारण घबरा गए.

इसी के बाद केंद्रीय अध्यक्ष और पूर्व महिला कमीशन अध्यक्ष अरुणांचल प्रदेश सु. जरजुमेते तथा AIUFWP उपाध्यक्ष और CJP सचिव तीस्ता सेतालवाड़ ने DM और SP से तीन आदिवासी महिलाओं और पुरुषों का पता लगाने के लिए कहा, जिसके जवाब में पता चला कि सबको गिरफ्तार कर के जेल भेजा दिया गया है.

भूमि और वनों के रक्षकों की रक्षा करने में CJP की मदद करें

गिरफ्तारियां उत्तर प्रदेश पुलिस और वन विभाग द्वारा 21 मई, 2018 लिलासी गाँव, मुइरपुर ब्लॉक, P.S मुइरपुर, सोनभद्र जिला, उत्तर प्रदेश में की हिंसा की घटना के सम्बन्ध में की गई, जिसमें कई जनजातीय (आदिवासी) महिलाएं गंभीर रूप से ज़ख़्मी हुई थी. 21 मई की सुबह को पुलिस ने आदिवासी लोगों पर पेड़ काटने और जंगल को नष्ट करने के झूठे आरोप के बहाने उनके घर में घुस कर धावा बोल दिया था.

CJP और AIUFWP की पहल से ही NHRC ने सोनभद्र के DM और SP को इस मामले में नोटिस जारी किया. (केस क्रं.: 13436/24/69/2018)

NHRC को पत्र : जून 14

14 जून को एक पत्र NHRC को भेजा गया जिसमें लिखा था, “गिरफ्तार की गई महिला कार्यकर्ता सोकालो गोंड मझोली गाँव की हैं जो लिलासी गाँव से लगभग 30 कि.मी. दूर है और वे घटना के वक्त वहाँ मौजूद नहीं थीं. उनकी गिरफ्तारी और उन पर दायर किये गए कभी केस पूर्ण रूप से अवैध हैं और डी.के. बसु दिशानिर्देश के खिलाफ हैं. इसके अलावा, उनके पति की उनसे जेल में हुई मुलाक़ात के आधार पर मिली जानकारी के अनुसार यह पता चला है कि उनका नाम FIR में मौजूद ही नहीं है फिर भी उन्हें गिरफ्तार किया गया.”

पत्र में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि किस प्रकार किसामती गोंड को पुलिस द्वारा उनके सिर पर गंभीर रूप से चोटिल किया गया. उसके बाद न ही उन्हें चिकित्सा जांच के लिए जाने की अनुमति दी गई, और न ही पुलिस ने उनकी मेडिकल रिपोर्ट बनाने की इजाज़त दी. उन्होंने किसी तरह से स्वयं ही अपनी चिकित्सा रिपोर्ट प्राप्त की परन्तु अभी तक अपराधियों के खिलाफ कोई FIR दर्ज नहीं की गई है.

गरीब जनजातीय महिला वनवासियों को गंभीर आरोपों के कारण जेल में बंद होने के बाद बाहर निकलने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, खासकर जब वे पूरी तरह निर्दोष हों. उनकी कठिनाइयों की सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है. क्षेत्रिय कार्यकर्ताओं ने इस बात पर प्रकाश डाला कि किस प्रकार पुलिस और प्रशासन एक दूसरे की मिली भगत से भूमि और वन अधिकारों के लिए लड़ने वाली जनजातीय महिलाओं को आतंकित करते रहते हैं.

क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं और केन्द्रीय सदस्यों ने पुलिस की क्रूरता से सम्बंधित घटनाओं की कारवाई के लिए विशेष टीम की मांग को आगे बढ़ाते हुए DM और SP से सुकालो गोंड, किसामती गोंड और सुखदेव गोंड की अवैध गिरफ्तारी में नोटिस की मांग की है, जिससे उनके जीवन के अधिकार को संरक्षित किया जा सके. उन्होंने इस बात की भी मांग की है कि दोषी अधिकारियों पर हिंसा और बर्बरता करने, तथा SC/ST के FRA u/s 3(i)(g) के कार्यान्वयन का उलंघन करने के आरोप में FIR दायर किया जाय.

 

अनुवाद सौजन्य – मनुकृति तिवारी

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