अप्रैल की शुरूआत में जब देश वसंत को अलविदा कह रहा था, भालेनो बीबी के दरवाज़े पर धुबरी FT (Foreigner’s Tribunal) की तरफ़ से जारी नोटिस पहुंचा. FT ने भालेनो बीबी के नाम से नोटिस जारी कर उनके शौहर को निशाने पर लेते हुए उन्हें संदिग्ध विदेशी (Suspected foreigner) का नोटिस जारी किया था. इस मामले ने FT (Foreigner’s Tribunal) के पैमानों, आधार और प्रक्रिया पर कड़े सवाल उठाए हैं.
सूचना के मुताबिक़ सादा कपड़ों में नोटिस सौंपने वाले व्यक्ति ने भालेनो बीबी के शौहर से पैसे वसूलकर मामला रफ़ा-दफ़ा करने की पेशकश की थी. उनसे कहा गया कि आम तौर पर ऐसे मामलों के निपटारे के लिए क़रीब 3,000 रूपए चार्ज करने का चलन है लेकिन उनकी ग़रीबी को मद्देनज़र रखते हुए सिर्फ़ 1000 रूपए की मांग रखी जा रही है. भालेनो बीबी आर्थिक और सामाजिक रूप से हाशिए पर जीवन बसर करने वाले तबक़े से ताल्लुक़ रखती हैं. इस धमकी से सहमकर लाचार और बेसहारा भालेनो ने FT (Foreigner’s Tribunal) के कोप से आज़ाद होने के लिए 500 रूपए क़ीमत अदा की.
हफ्ते दर हफ्ते, हर एक दिन, हमारी संस्था सिटिज़न्स फॉर पीस एण्ड जस्टिस (CJP) की असम टीम जिसमें सामुदायिक वॉलेन्टियर, जिला स्तर के वॉलेन्टियर संगठनकर्ता एवं वकील शामिल हैं, राज्य में नागरिकता से उपजे मानवीय संकट से त्रस्त सैंकड़ों व्यक्तियों व परिवारों को कानूनी सलाह, काउंसिलिंग एवं मुकदमे लड़ने को वकील मुहैया करा रही है। हमारे जमीनी स्तर पर किए काम ने यह सुनिश्चित किया है कि 12,00,000 लोगों ने NRC (2017-2019) की सूची में शामिल होने के लिए फॉर्म भरे व पिछले एक साल में ही हमने 52 लोगों को असम के कुख्यात बंदी शिविरों से छुड़वाया है। हमारी साहसी टीम हर महीने 72-96 परिवारों को कानूनी सलाह की मदद पहुंचा रही है। हमारी जिला स्तर की लीगल टीम महीने दर महीने 25 विदेशी ट्राइब्यूनल मुकदमों पर काम कर रही है। जमीन से जुटाए गए ये आँकड़े ही CJP को गुवाहाटी हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट जैसी संवैधानिक अदालतों में इन लोगों की ओर से हस्तक्षेप करने में सहायता करते हैं। यह कार्य हमारे उद्देश्य में विश्वास रखने वाले आप जैसे नागरिकों की सहायता से ही संभव है। हमारा नारा है- सबके लिए बराबर अधिकार। #HelpCJPHelpAssam. हमें अपना सहियोग दें।
इन दिनों भालेनो बीबी अपने परिवार के साथ असम के धुबरी ज़िले में अगोमनी के मोइशा नामक गांव में रहती हैं. CJP की असम टीम ने गांव का दौरा करने के बाद FT (Foreigner’s Tribunal) के नोटिस का संज्ञान लिया. जांच और पूछ-ताछ के बाद जो तस्वीर सामने आई वो हैरान करने वाली थी. CJP ने उन्हें क़ानूनी मदद, वकील और आर्थिक सहायता की पेशकश कर राहत की सांस दिलाई. बातचीत के ज़रिए CJP की असम टीम ने उन्हें जबरन वसूली के झांसों से बचने के उपाय भी बताए. धुबरी ज़िले से CJP असम टीम के हबीबुल बेपारी ने कहा-
‘हमने परिवार से मुलाक़ात की और हर मुमकिन तरीक़े से मदद करने की कोशिश की. उनके पास नागरिकता साबित करने के लिए पर्याप्त काग़ज़ात होने के बावजूद उन्हें बख़्शा नहीं गया है.’
भालेनो बीबी और उनके शौहर जीवन बसर के लिए ज़मीन के छोटे से टुकड़े पर खेती करते हैं. बाढ़ के क़हर ने उनकी ज़मीन की मिट्टी और पेशे सहित समूची गृहस्थी पर बुरा असर डाला है. अभी वो ज़मीन के मालिकाना हक़ से जुड़े विवादों से उबरे भी नहीं थे कि उन्हें FT (Foreigner’s Tribunal) के नोटिस ने एक नए संकट में धकेल दिया. FT (Foreigner’s Tribunal) की ढ़ीली और लापरवाही भरी प्रक्रिया ने न सिर्फ़ उन्हें बेबुनियाद कटघरे में खड़ा किया है बल्कि बाहर निकलने के रास्तों को भी जटिल बनाया है.
ग़ौरतलब है कि FT (Foreigner’s Tribunal) के सामने नागरिकता साबित करना एक ख़र्चीली प्रक्रिया है. दो वक़्त रोटी के लिए संघर्ष कर रहे तबक़े को ये ख़र्च तबाही की कगार पर भी पहुंचा सकता है. लेकिन भालेनो बीबी के पास वकील करने के अलावा इस मुश्किल से बचने का और कोई चारा नहीं था. ऐसे में CJP ने उम्मीद की रौशनी दिखाते हुए केस की क़ानूनी पैरवी का दिलासा दिया. CJP की असम टीम की तरफ़ से तैनात वकील ने भालेनो बीबी और उनके पति के काग़ज़ात तो दुरुस्त कर लिए लेकिन भालेनो बीबी के मायके वालों ने ज़मीन के काग़ज़ात साझा करने से इंकार कर दिया. असम टीम ने इस मामले में सहयोग के लिए उनके मायका पक्ष से संपर्क किया और उन्हें राजी कर लिया. CJP नागरिकता साबित करने के सफ़र में शुरूआत से लेकर आख़िर तक उनके साथ बनी रही और आख़िर में उन्होंने पूरी मज़बूती के साथ अपनी नागरिकता प्रमाणित की.
भालेनो बीबी के पति मतदाता के तौर पर सक्रिय रहे हैं. इसके अलावा भालेनो के परिवार से बात कर टीम CJP ने उन्हें दिलासा दिलाया कि ज़मीन के काग़ज़ात दिखाने से उनकी मिल्कियत पर कोई खतरा नहीं है. आख़िर में कड़ी मशक़्क़त और ऊंचे हौसलें के साथ CJP ने संघर्ष के बहीखाते में एक और नायाब जीत दर्ज की.
CJP के स्टेट इंचार्ज नंदा घोष कहते हैं–
‘असम के धुबरी, चिरांग, दारंग, गोआलपाड़ा और बांगईगांव ज़िले FT (Foreigner’s Tribunal) के नोटिस से सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं. इससे अनेक लोग और ख़ासकर हाशिए पर जीवन बसर कर रही औरतें सबसे ज़्यादा प्रभावित हुई हैं. CJP इंसाफ़ के लिए इन वंचित तबक़ों के साथ लगातार मौजूद है.’
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