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तथ्य और आंकड़ों के साथ खिलवाड़ से चलता है कालीचरण महाराज के नफ़रती बयानों का व्यापार

महाराष्ट्र में राजनीतिक कर्मियों, कथित साधु-संतों और सोशल मीडिया इनफ़्लुएंसर्स द्वारा नफ़रती बयान उगलने का दौर बिना रोक-टोक जारी है. इनमें कालीचरण महाराज का नाम बार-बार उभर कर सामने आया है. 14 दिसम्बर 2022 में उन्होनें अहमदनगर में लव-जिहाद पर ज़हरीले भाषण के साथ महाराष्ट्र में नफ़रत फैलाने का सिलसिला शुरू किया था. 

रायपुर धर्म संसद में महात्मा गांधी पर अपमानजनक टिप्पणी के बाद उनकी देश भर में निंदा हुई थी जिसके नतीजे में उन्हें 95 दिन हवालात की हवा खानी पड़ी थी. उन्होंने कहा था कि ‘ह*** मोहनदास करमचंद गांधी ने भारत को तबाह किया है, उनकी हत्या के लिए मैं नाथूराम गोडसे का आभारी हूं.’  जेल से रिहा होने के बाद कालीचरण का महाराष्ट्र की हिंदू जनता को हिंसा के लिए उकसाने और भड़काने का मिशन पूरे उफ़ान पर है.

सीजेपी हेट स्पीच के उदाहरणों को खोजने और प्रकाश में लाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि इन विषैले विचारों का प्रचार करने वाले कट्टरपंथियों को बेनकाब किया जा सके और उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जा सके। हेट स्पीच के खिलाफ हमारे अभियान के बारे में अधिक जानने के लिए, कृपया सदस्य बनें। हमारी पहल का समर्थन करने के लिए, कृपया अभी दान करें!

इन सब भाषणों में जिन बातों का है दोहराव है वो हैं लव-जिहाद, आम मुसलमान की आतंकवादी छवि बनाना, मस्जिदों और मदरसों को आतंकवाद के गढ़ के तौर पर प्रचारित करना और लैंगिक अपराधों की नक़ली तफ़्सील पेश कर अवाम में दरार डालना!

कालीचरण के बारे में ध्यान देने की बात ये है कि मध्य प्रदेश के इंदौर और महाराष्ट्र के अकोला में उनके आश्रम चल रहे हैं और वो महाराष्ट्र के अकोला से पार्षद पद के लिए निर्दलीय चुनाव लड़कर हार चुके हैं.

कालीचरण का यह कहना कि मोदी और योगी विष्णु के अवतार हैं और  फिर  उत्तर प्रदेश में योगी की  बुल्डोज़र नीति की सराहना  से उनके राजनीतिक इरादों की झलक मिलती है.

कब क्या कहा:

कालीचरण महाराष्ट्र की आम जनता में धर्म की बुनियाद पर फूट डालने के क्रम में नक़ली आंकड़ों और तथ्यों का सहारा लेते हैं. ‘जय श्री राम’ के नारे को भगवा रंग देते हुए वो अपने हर ग़लत दावे को सही साबित करने की कोशिश में चाक-चौबंद नज़र आते हैं. 

कालीचरण ने इन जगहों पर दिया नफ़रती बयान

नफ़रती बयानबाज़ियों के पीछे क्या कोई राजनीतिक मक़सद?

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और 48 लोकसभा सीटों के साथ महाराष्ट्र हमेशा से राजनीतिक महत्वकांक्षा के निशाने पर रहा है.

महाराष्ट्र के तत्कालीन डांवाडोल राजनीतिक हालात और आने वाले लोकसभा चुनावों को नज़र में रखते हुए राजनीतिक मक़सद रखने वाले बहुत से लोग यहां अपनी राजनीति की दाल गलाने की कोशिश कर रहे हैं.

सिर्फ़ कालीचरण ही नहीं बल्कि  तेलांगना के टी राजा, गुजरात की काजल हिंदुस्तानी और सुदर्शन टीवी के प्रमुख सुरेश चव्हाणके सहित कई लोग  महाराष्ट्र में हिंसा भड़काकर अपनी राजनीति या तरक़्क़ी के स्वार्थ का सिक्का चमकाने की फ़िराक़ में शामिल हैं. अकेले CJP की डायरी में सिर्फ़ महाराष्ट्र  में 14 दिसम्बर 2022 से अबतक नफ़रती भाषणों के ज़रिए आम-जन को भड़काने की  हेट-स्पीच की 33 घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं.

ऐसे में नफ़रती बयानों और मंचों का आपसी  समीकरण भी ग़ौरतलब है.  इन सभी को जनआक्रोश मोर्चा, विश्व हिंदू परिषद, सकल हिंदू समाज, हिंदू धर्म सभा या हिंदू जनगर्जना मोर्चा के बीच से ही किसी एक मंच ने हेट-स्पीच के लिए जगह दी है.

येे सभी दक्षिणपंथी उग्र राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने वाली कट्टर संस्थाएं है, जो देश के अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ बहुसंख्यक आबादी को ढ़ालने और भड़काने के लिए काम करती रही हैं. सियासी ताने-बाने की बुनियाद पर ये संस्थाएं और मंच धर्म को टूल की तरह इस्तेमाल करते हुए चुनावों के वक़्त में मतदान व्यवहार तय करने में ख़ास रोल निभाते हैं.

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