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मुसलमान दिहाड़ी कामगार रोमिला को FT से मिली राहत, नागरिकता साबित!

गोआलपाड़ा की रोमिला बेगम एक दिहाड़ी कामगार होने के साथ दो बच्चों की मां हैं. अपना और  बच्चों का ख़र्च चलाने के लिए वो रोज़ाना के संघर्षों से जूझ रही हैं. विधवा होने से पहले भी रामिला का जीवन मुश्किलों भरा था. जीवन के युवा दौर में ही उनके पति ने दूसरा विवाह कर लिया था. ज़िंदगी भर उनके पति दूसरी पत्नी और अन्य 7 संतानों की रोज़ी-रोटी के बंदोबस्त में लगे रहे जबकि उस समय भी रोमिला के कंधों पर अपने 2 बच्चों की आर्थिक ज़िम्मेदारी का भार था.

पहले से ही बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही रोमिला के सामने एक नया संकट खड़ा हो गया जब गोआलपाड़ा फ़ारेनर्स ट्रिब्यूनल (Foreigners’ Tribunal) ने नोटिस जारी कर उन्हें संदिग्ध विदेशी (suspected foreigner) का तमग़ा दिया. ऐसे में सटीक काग़ज़ात पेश कर ट्रिब्यूनल के सामने अपनी बेगुनाही का सबूत रखना बड़ी चुनौती थी. लेकिन CJP ने सही समय पर मामले की बागडोर संभालते हुए उनकी अगुवाई की और 8 महीने की कड़ी मेहनत के बाद रोमिला भारतीय नागरिकता साबित करने में सफल रहीं. असम की CJP टीम की तरफ़ से अशीम मुबारक ने केस के क़ानूनी दांवपेंच को संभाला और ट्रिब्यूनल में उनकी बेगुनाही की सशक्त पैरवी की.

हफ्ते दर हफ्ते, हर एक दिन, हमारी संस्था सिटिज़न्स फॉर पीस एण्ड जस्टिस (CJP) की असम टीम जिसमें सामुदायिक वॉलेन्टियर, जिला स्तर के वॉलेन्टियर संगठनकर्ता एवं वकील शामिल हैं, राज्य में नागरिकता से उपजे मानवीय संकट से त्रस्त सैंकड़ों व्यक्तियों व परिवारों को कानूनी सलाह, काउंसिलिंग एवं मुकदमे लड़ने को वकील मुहैया करा रही है। हमारे जमीनी स्तर पर किए काम ने यह सुनिश्चित किया है कि 12,00,000 लोगों ने NRC (2017-2019) की सूची में शामिल होने के लिए फॉर्म भरे व पिछले एक साल में ही हमने 52 लोगों को असम के कुख्यात बंदी शिविरों से छुड़वाया है। हमारी साहसी टीम हर महीने 72-96 परिवारों को कानूनी सलाह की मदद पहुंचा रही है। हमारी जिला स्तर की लीगल टीम महीने दर महीने 25 विदेशी ट्राइब्यूनल मुकदमों पर काम कर रही है। जमीन से जुटाए गए ये आँकड़े ही CJP को गुवाहाटी हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट जैसी संवैधानिक अदालतों में इन लोगों की ओर से हस्तक्षेप करने में सहायता करते हैं। यह कार्य हमारे उद्देश्य में विश्वास रखने वाले आप जैसे नागरिकों की सहायता से ही संभव है। हमारा नारा है- सबके लिए बराबर अधिकार। #HelpCJPHelpAssam. हमें अपना सहियोग दें।

असम के मूल निवासी माने जाने वाले गोरिया मुसलमान समुदाय की रोमिला बेगम गोआलपाड़ा ज़िले के कृष्णाई पुलिस स्टेशन के घेरे में जोतसोरोबड़ी गांव से नाता रखती हैं. स्वर्गीय कोफ़ूर अली उर्फ़ फ़ोकिर अली शेख़ और कोसिरून बीबी से जन्मी रोमिला की परवरिश भी जोतसोरोबड़ी में ही हुई. रोमिला के दादा-दादी और माता-पिता का जन्म भी इसी गांव मे हुआ और उन्हें शुरूआत से ही भारतीय नागरिकता हासिल थी. इसके बावजूद रोमिला बेगम पर आरोप था कि वो ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से भारत में दाख़िल हुई हैं, जबकि सच्चाई ये थी कि इंवेस्टीगेशन ऑफ़िसर ने जांच की उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया था. हालांकि इस तरह बिना दस्तावेज़ की मांग किए, बग़ैर किसी आधार के आरोप मढ़ना बुनियादी हक़ का सरासर उल्लंघन है. मामले की पैरवी करते हुए CJP ने कहा कि बिना किसी जांच-पड़ताल के रोमिला बेगम को कटघरे मे खड़ा करना ग़लत है. CJP की असम टीम ने फ़ारेनर्स ट्रिब्यूनल (Foreigners’ Tribunal) के सामने पूरा मामले की असल तस्वीर पेश की.

इस दौरान नागरिकता साबित करने की जंग में CJP की लीगल टीम शुरूआत से उनके साथ खड़ी रही. इस कड़ी में रोमिला बेगम के पिता और चाचा के नामों के साथ 1965-66 के ज़मीन के काग़ज़ भी मददगार साबित हुए हैं. रोमिला के पिता का नाम 1966 से वोटर लिस्ट में लागातार दर्ज किया गया है जबकि उनके निधन के बाद माता का नाम 1989 में वोटर लिस्ट में शामिल किया गया. पिता की मृत्यु के बाद रोमिला की माता ने 9 सितंबर 1990 को रोमिला का विवाह मिलाननगर के जहांउद्दीन शेख़ से कर दिया. इसके अलावा 1997, 2004, 2017, 2021 और 2022 की वोटर लिस्ट में रामिला का नाम भी उनके पति के नाम के साथ दर्ज है. 19 जून, 2015 को जारी लिंकेज सार्टिफ़िकेट ने भी उनके पक्ष को मज़बूत बनाया है. इन तमाम क़ाग़ज़ात और कड़ी मशक़्क़त के एवज 8 महीने के बाद ट्रिब्यूनल नें उन्हें भारतीय नागरिक घोषित कर दिया है.

जारी नागरिकता संकट में फ़ॉरेनर्स ट्रिब्यूनल (Foreigners’ Tribunal) के हाथों किनारे से भी दरकिनार किए जाने से बड़ी आफ़त कुछ नहीं है. लेकिन CJP इस बीच प्रभावित बेसहारा लोगों को हर मुमकिन मदद मुहैय्या कराने के लिए लगातार काम रही है. रोमिला के मामले में नायाब जीत दर्ज करने के बाद जब CJP की असम टीम ने उन्हें फ़ैसले की कॉपी सौंपी तो वो काफ़ी ख़ुश थीं. शुक्रिया अदा करते हुए उन्होंने कहा – ‘अल्लाह तुमपर मेहरबान रहे, मैं तुम सब के लिए हमेशा नमाज़ में दुआ करती हूं.’

 

फ़ैसले की कॉपी यहां पढ़ें-

 

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