खोज की प्रथम ऑनलाइन कक्षा का रोमांचक व सुखद अनुभव

खोज प्रकल्प का धर्म निरपेक्ष शैक्षणिक कार्यक्रम जो अब तक अपने एक लम्बे कार्यकाल में सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों में प्रत्यक्ष रूप में छात्रों के समक्ष जाकर कार्य करता रहा है, उसको भी इस कोरोना काल में ऑनलाइन कक्षा लेने का पहला अवसर मिला, क्योंकि स्कूल बंद हैं और स्कूलों की पढ़ाई भी ऑनलाइन ही की जा रही है, जो सीखने की प्रक्रिया में काफी लाभकारी प्रयास रहा व सुखद अनुभव दे गया। जिसका विवरण व जानकारी कुछ इस तरह से हैं।

स्कूल में ऑनलाइन शिक्षा देने का कार्य जून के महीने में ही शुरू हो चुका था परन्तु खोज को ऑनलाइन क्लासेस लेने की अनुमति शिक्षा विभाग से सितम्बर महीने के आखिरी दिनों में मिली। खोज की ओर से सोचा गया कि क्यों ना इसकी शुरुआत बाल दिवस का उत्स्व मना कर की जाए परंतु एक तो दिवाली की छुट्टियों के कारण स्कूलों की ऑनलाइन कक्षा बंद थी और दूसरा दिवाली का त्योहार होने के कारण छात्र व शिक्षक सभी लोग इसमें व्यस्त थे, इसलिए बाल दिवस का यह कार्यक्रम 14 नवंबर को न करते हुए हमें 20 नवंबर को विश्व बाल दिवस के अवसर पर करना पड़ा।
इस कार्यक्रम को करने के लिए खोज की ओर से स्कूलों से सम्पर्क किया गया। स्कूल के मुख्याध्यापकों, स्कूल प्रभारियों और स्कूल शिक्षकों से बातचीत कर बच्चोंं के अभिभावकों के फ़ोन नंबर्स लिए गए। कुछ अभिभावकों को फोन कर उनसे बातचीत की गयी। बच्चोंं को ऑनलाइन जूम कक्षा के लिए निमंत्रित किया गया। उन्हें विश्व बाल दिवस के अवसर पर चित्र बनाने, कविता, गीत और भाषण तैयार करके उन्हें जूम क्लास में प्रस्तुत करने को कहा गया। दिनांक : 20/11/2020 को इस कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण बात यह थी कि इसमें मोरी रोड, उर्दू स्कूल नंबर 1 ने सुबह को, मोरी रोड उर्दू स्कूल नंबर  2 ने सुबह व दोपहर के स्कूल के साथ साथ, मोरी रोड मराठी और इंग्लिश स्कूल के पाँचवी से सातवीं कक्षा के बच्चों ने भी भाग लिया। यह कार्यक्रम दो अलग अलग समय पर, एक 11:30 से 12:30 और दूसरा दोपहर 3 से 4 के समय में लिया गया।

जूम कक्षा में बच्चों के ऑनलाइन आने पर खोज की ओर से नूरजहाँ शेख ने खोज का परिचय देते हुए, खोज क्या है, और उसके माध्यम से स्कूली छात्रों के साथ खोज का क्या क्या काम व कार्यक्रम होता है, इसकी विस्तृत जानकारी दी। ऑनलाइन आए हुए छात्रों ने खोज और नूरजहाँ शेख से परिचित होने की बात कही। उसके बाद खोज की ओर से सागर जगताप ने बाल दिवस, विश्व बाल दिवस और पंडित जवाहरलाल नेहरू के जीवन और भारत देश के लिए उनका क्या योगदान रहा है, विस्तार से बताया।
उसके बाद श्रीमती नूरजहाँ शेख ने खोज पाठ्यक्रम का, मेरा अधिकार चार्ट दिखाते हुए छात्रों से पूछा कि अधिकार का अर्थ क्या होता है? जिसका जवाब छात्रों ने उदाहरण देते हुए बताया। इसके बाद नूरजहाँ शेख ने उनसे पूछा कि घर, स्कूल, कक्षा, शहर, सड़क, पड़ोस, देश व देश के बाहर उनके क्या क्या अधिकार हैं? जिनके बारे में उन्होंने उत्तर दिए परंतु वे अधिकार और कर्तव्य के बीच के अंतर को न समझते हुए दोनों को मिक्स कर रहे थे, तब नूरजहाँ ने उन्हें दोनों के बीच क्या अंतर, उदाहरण देते हुए समझाया।

उसके बाद तीन महत्वपूर्ण मुद्दे, पोषण, शिक्षा और धर्मनिरपेक्षता पर जानकारी दी। कोरोना अब भी हमारे बीच है, इस बात को ध्यान में रखते हुए और उससे संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी को भी ध्यान में रखते हुए, पोषण के मुद्दे पर ज्यादा विस्तार से छात्रों से बातचीत करते हुए समझाने का प्रयास किया गया। जिसमे उन्हें शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को कैसे बढ़ाया जा सकता है समझाया गया। साथ ही शिक्षित होते हुए हम धर्मनिरपेक्ष सोच को बढ़ाते हुए सामाजिक एकता कैसे बनाये रख सकते हैं, उन्हें समझाया गया ताकि वे भविष्य में एक जागरुक और अच्छा नगरिक बन सकें।
उसके बाद छात्रों को उन्होंने आज के इस कार्यक्रम के लिए, जो पहले से तैयार किया था,  प्रस्तुत करने को कहा, तब छात्रों ने बहुत ही सुंदर सुंदर चित्र दिखाए जिसमें पंडित नेहरू का चित्र, दिवाली का त्यौहार मनाते हुए चित्र के साथ साथ बाल दिवस मनाता हुआ चित्र भी बनाया था। एक दो बच्चोंं ने कविता सुनाई तो एक ने गीत गाया। एक छात्रा ने तो भाषण भी दिया, एक छात्रा ने जानकारी देते हुए एक बंदर और मगरमच्छ की कहानी भी सुनाई।

मोरी रोड इंग्लिश स्कूल के एक शिक्षक, सर पंढ़रीनात जी भी खोज की इस ऑनलाइन कक्षा में सहभागी थे। उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें खोज की तरफ से आयोजित की गयी यह कक्षा बहुत अच्छी व जानकारी से भरपूर लगी। उन्होंने भी उपस्थित सभी छात्रों को बाल दिवस की बधाई दी। बच्चों को भी आज की इस ऑनलाइन कक्षा में बहुत मजा आया और उनके अनुसार उन्हें बहुत कुछ सीखने का अवसर भी मिला, क्योंकि उनके अनुसार आज तक उन्होंने कभी भी ऐसे बाल दिवस नहीं मनाया था और वे अगली बार इस तरह ऑनलाइन न मनाते हुए स्कूल के परिसर में मनाना चाहेंगे, उन्होंने ऐसी इच्छा व सुझाव व्यक्त किया।
बच्चों की संख्या कम थी परन्तु छात्रों ने खुल कर बातचीत की और अपने विचारों का आदान प्रदान किया, जिससे खोज की यह मेहनत व प्रयास सफल रहा। खोज की ओर से भी छात्रों को बाल दिवस की बधाई देते हुए उनसे अनुरोध किया गया कि आज उन्होंने यहाँ जो कुछ भी सीखा है, वे पहले तो इसका मूल्य अपने जीवन में उतारें, और दूसरे अपनी स्कूल शिक्षिका के साथ आज के इस कार्यक्रम की बात करें, कि यह कार्यक्रम कैसा रहा, और जो छात्र किन्हीं कारणों से हमसे जुड़ नहीं पाए उनके साथ इस जानकारी को साझा करें। तथा अगली बार उन्हें भी हमसे जोड़ने में सहायता व प्रयास करें। कार्यक्रम के आखिर में बच्चों को खोज की तरफ से शुभकामनाएं देते हुए कार्यक्रम के खत्म होने की घोषणा की गयी। छात्रों व शिक्षकों ने खोज को इस कार्य के लिए धन्यवाद कहा।

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