31 जुलाई को CJP ने Times Now के शो “Rashtravad | Gyanvapi Survey” के बाद ‘ज्ञानवापी आंदोलन” की विषय सामग्री पर सवाल खड़ा किया है. 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद में आर्किलाजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया(ASI) के ख़िलाफ़ अंतरिम सुरक्षा का निर्देश दिया था, इसी दिन Times Now Navbharat ने यह प्रोग्राम भी प्रसारित किया था. इस प्रोग्राम में होस्ट ने एक डिबेट सेशन रखा था जिसमें जनता को नकारात्मक संदेश देने वाली बहस को अंजाम दिया गया था.
इस प्रसारित प्रोग्राम के दौरान होस्ट राकेश पांडे ने इस विचाराधीन मामाले को उठाते हुए केस के साइड- इफ़ेक्ट्स पर एकतरफ़ा चर्चा की थी. विचारों का ध्रुवीकरण करने के मक़सद से जारी इस बहस में सनसनीख़ेज़ भाषा का इस्तेमाल किया गया था. एक प्रोग्राम में मुसलमान समुदाय को संदिग्ध दिखाते हुए सर्वे पर रोक लगाने की मांग को लेकर सवाल खड़े किए गए थे और होस्ट राकेश पांडे ने डिबेट में प्रतिभागियों से जानबूझकर ऐसे आपत्तिजनक सवाल किए थे जिससे की जनता के मन में अल्पसंख्यक समुदाय को लेकर संदेह पैदा हो. इस पूरे प्रोग्राम का मक़सद यह प्रभाव छोड़ना था कि इस सर्वे को टालने की कोशिश इसलिए की जा रही हैं क्योंकि मुसलमान सच बाहर आने से डरते हैं.
सीजेपी हेट स्पीच के उदाहरणों को खोजने और प्रकाश में लाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि इन विषैले विचारों का प्रचार करने वाले कट्टरपंथियों को बेनकाब किया जा सके और उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जा सके। हेट स्पीच के खिलाफ हमारे अभियान के बारे में अधिक जानने के लिए, कृपया सदस्य बनें। हमारी पहल का समर्थन करने के लिए, कृपया अभी दान करें!
चर्चा शुरू करने से पहले होस्ट ने कुछ सवाल और बिंदु तय किए थे.
1. इन चार घंटों में ऐसा क्या मिला जिससे मुसलमान पक्ष में उथल-पुथल मच गई?
2. मुसलमान पक्ष को ज्ञानवापी के सच का सामने आने से डर क्यों लगता है?
3. क्या सर्वे टीम को सचमुच मंदिर के अवशेष मिले थे?
4. अंतरिम तौर पर ASI सर्वे रोक दिया गया है, अब आगे क्या होगा?
5. क्या ज्ञानवापी सर्वे के बाद ज्ञानवापी आंदोलन होगा?
इस तरह की डिबेट ने दरअसल ज्ञानवापी मामले में मीडिया ट्रायल की शक्ल अख़्तियार कर ली थी. हिंदू पक्ष की तरफ़ से केस की पैरवी करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन (Advocate on record -AOR) भी इस डिबेट का हिस्सा थे. यह प्रोग्राम न्यूज़रूम चर्चा के बजाय धार्मिक या सांप्रदायिक चर्चा के तौर पर आयोजित किया गया था. CJP ने दर्ज शिकायत में शो के कुछ ख़ास आपत्तिजनक हिस्सों का भी ज़िक्र किया है.
इस शिकायत में कहा गया कि –
‘डिबेट के विभिन्न पहलुओं को टटोलने के लिए एक मानक तरीक़ा तैयार करने के बजाय होस्ट ने ‘हिंदू पक्ष’ का अपना संस्करण पेश किया. इससे न सिर्फ़ पक्षपातपूर्ण रवैया ज़हिर होता है बल्कि ये स्वतंत्र पत्रकारिता के लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों के भी ख़िलाफ़ है. होस्ट ने पूरे प्रोग्राम के दौरान अनेक आपत्तिजनक बयान दिए. यहां तक कि एक जगह पर होस्ट ने वकील जैन से यह तक पूछ लिया कि क्या ज्ञानवापी की लड़ाई अयोध्या जितनी लंबी होगी? प्रसारक ने एक तरफ़ ख़ुद ज्ञानवापी और अयोध्या मामले की तुलना की वहीं दूसरी तरफ़ उन्होंने इस मामले को बाबरी से तुलना करके मुसलमान समुदाय को भड़काने का आरोप लगाया.’
CJP ने यह भी कहा कि प्रोग्राम में मुसलमान पक्ष द्वारा सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने पर बस एक बार सवाल नहीं किया गया है बल्कि होस्ट ने बार बार मस्जिद के नीचे मंदिर होने की बात दोहराई है. साफ़ ज़ाहिर है कि प्रसारक अपने पूर्वाग्रहों की बुनियाद पर बहस में हिंदू पक्ष के लिए लड़ रहा था.
शिकायत में कहा गया कि-
“इस प्रोग्राम में वो इस बात को दोहराते रहे कि मुस्लिम समुदाय ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा इसलिए खटखटाया है क्योंकि वो सच सामने आने से डरते हैं. नतीजे में ये प्रोग्राम सांप्रदायिक लड़ाई का मैदान बन गया. ये न सिर्फ़ NBDSA (News Broadcasting Digital and Standards Authority) के तहत तय गाइडलाइन का उल्लंघन है बल्कि ये हमारे संवैधानिक नियमों का भी उल्लंघन है.”
इस शिकायत के में CJP ने इस चैनल के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर जारी संबंधित पोस्ट को भी हटाने की मांग की है और सांप्रदायिक विवरण पेश करने के लिए जनता से माफ़ी मांगने को कहा है.
पूरी शिकायत यहां पढ़ें-
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