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असम: CJP की मदद से ओमेशा बीबी ने फ़ॉरेनर ट्रिब्यूनल में साबित की नागरिकता!

ओमेशा बीबी का जन्म मेघालय के वेस्ट गारो हिल्स में फुलबारी पुलिस स्टेशन के हरिभंगा नामी गांव में हुआ था. सोपिएल शेख़ और सालेहा बीबी की पुत्री ओमेशा की उम्र इस समय क़रीब 55 साल है. 15 अप्रैल, 1983 में उनका विवाह गोआलपाड़ा ज़िले में लाखीपुर पुलिस स्टेशन की सीमा में धाराई नामी गांव के मुज़फ़्फ़र हुसैन से हुआ था. जीवन बसर के लिए किसानी और सब्ज़ी बेचकर काम चलाने वाले इस ग़रीब जोड़े के लिए FT (Foreigners’ Tribunal) की मार झेलना कोई आसान बात नहीं थी. ओमेशा बीबी पर इल्ज़ाम था कि – ‘उन्होंने 1 जनवरी, 1966 और 24 मार्च 1971 के बीच या 25 मार्च 1971 के बाद ग़ैरक़ानूनी तौर पर भारत की सीमा में प्रवेश किया है’ और तब से वो अवैध रूप से भारत में रह रही हैं. ट्रिब्यूनल में पेशी के वक़्त CJP ने ज़रूरी काग़ज़ात के साथ इन बेबुनियाद दावों पर सवाल खड़ा किया. CJP ने सवाल किया कि कैसे मेघलाय में जन्मी और असम में विवाह करने वाली एक महिला पर विदेशी होने का संदेह किया जा सकता है? CJP ने मामले की पैरवी करते हुए बताया कि जांच अधिकारी (Investigation Officer) ने ओमेशा बीबी के घर और काग़ज़ात की जांच नहीं की है और बिना किसी मज़बूत आधार के उनके ख़िलाफ़ ग़लत केस दर्ज किया है. CJP की लीगल टीम ने सारे क़ाग़ज़ात पेश करते हुए साबित किया कि ओमेशा को जन्म से भारतीय नागरिकता हासिल है.

ग़ौरतलब है कि ओमेशा के पिता और दादा का जन्म भी गोआलपाड़ा के दक्षिण सालमाड़ा पुलिस स्टेशन में ताकीमीरी गांव में हुआ था जो कि अब धुबरी ज़िले का हिस्सा है. 1951 की NRC लिस्ट में उनके पिता, दादा के अलावा चाचा का नाम भी शामिल है. इसके साथ ही 1961 के लैंड रेवेन्यू रिकॉर्ड की फ़ाइनल खतौनी में भी उनके दादा और चाचा का नाम दर्ज किया गया है.

हफ्ते दर हफ्ते, हर एक दिन, हमारी संस्था सिटिज़न्स फॉर पीस एण्ड जस्टिस (CJP) की असम टीम जिसमें सामुदायिक वॉलेन्टियर, जिला स्तर के वॉलेन्टियर संगठनकर्ता एवं वकील शामिल हैं, राज्य में नागरिकता से उपजे मानवीय संकट से त्रस्त सैंकड़ों व्यक्तियों व परिवारों को कानूनी सलाह, काउंसिलिंग एवं मुकदमे लड़ने को वकील मुहैया करा रही है। हमारे जमीनी स्तर पर किए काम ने यह सुनिश्चित किया है कि 12,00,000 लोगों ने NRC (2017-2019) की सूची में शामिल होने के लिए फॉर्म भरे व पिछले एक साल में ही हमने 52 लोगों को असम के कुख्यात बंदी शिविरों से छुड़वाया है। हमारी साहसी टीम हर महीने 72-96 परिवारों को कानूनी सलाह की मदद पहुंचा रही है। हमारी जिला स्तर की लीगल टीम महीने दर महीने 25 विदेशी ट्राइब्यूनल मुकदमों पर काम कर रही है। जमीन से जुटाए गए ये आँकड़े ही CJP को गुवाहाटी हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट जैसी संवैधानिक अदालतों में इन लोगों की ओर से हस्तक्षेप करने में सहायता करते हैं। यह कार्य हमारे उद्देश्य में विश्वास रखने वाले आप जैसे नागरिकों की सहायता से ही संभव है। हमारा नारा है- सबके लिए बराबर अधिकार। #HelpCJPHelpAssam. हमें अपना सहियोग दें।

ओमेशा के मामले की पैरवी करते हुए CJP ने ये भी साफ़ किया कि ब्रम्हापुत्र नदी में पानी बढ़ने से पैदा मिट्टी के कटाव को देखते हुए उनके परिवार ने गोआलपाड़ा के दक्षिण सालामाड़ा पुलिस स्टेशन में आने वाले ताकीमारी गांव से पलायन कर लिया था. ये जगह अब असम के धुबरी ज़िले में हरिभंगा गांव का हिस्सा है. हरिभंगा गांव पुलिस स्टेशन 1964 में मेघालय के वेस्ट गारो हिल्स ज़िले में फुलबारी पुलिस स्टेशन का हिस्सा था. इसके अलावा ओमेशा के के माता-पिता और दादा-दादी का नाम 1977 और 1983 की वोटर लिस्ट में भी शामिल है. 1986 के ज़मीन के काग़ज़ात भी उनके पक्ष में मज़बूत दलील थे. 1985,1997 और 2022 की वोटर लिस्ट में दर्ज ओमेशा का नाम भी उनके पलड़े में मज़बूत दलील था.

बड़ी चुनौतियों और पेचीदगी का सामना करते हुए CJP ने हर क़दम पर ओमेशा का साथ दिया जिसके नतीजे में उन्होंनें ट्रिब्यूनल के सामने अपनी नागरिकता साबित कर ली. मई 18, 2023 को CJP के असम टीम इंचार्ज नंदा घोष, वकील अशीम मुबारक, लीगल टीम के सदस्य जेश्मीन सुल्ताना और रेशमिनारा बेगम, गोआलपाड़ा में सक्रिय DVMs ने ओमेशा बीबी से मुलाक़ात की और उन्हें FT (Foreigners’ Tribunal) फ़ैसले की कॉपी सौंपी.

अपने हक़ में वाजिब फ़ैसला सुनकर ओमेशा बेगम और उनके शौहर ने टीम का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि –

‘अल्लाह तुम सब पर मेहरबान हो!’

उनके शौहर ने कहा-

‘हम ग़रीब और साधारण लोग हैं जो FT का नोटिस पाकर फ़िक्रमंद हो गए थे.’

ओमेशा बीबी ने CJP टीम का शुक्रिया अदा करते हुए कहा-

‘…हालांकि मैं डरी हुई थी लेकिन मैं नमाज़ के दौरान हमेशा आप लोगों के लिए दुआ करती थी!’

FT का निर्णय यहां पढ़ें-

 

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