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तीस्ता सेतलवाड़ के अडिग निश्चय ने उड़ा दी है क्रूर प्रशासन के रातों की नींद!

CJP नरोडा पटिया, ओड नरसंहार, सरदारपुरा, गुलबर्ग सोसाइटी इत्यादि सहित कई गुजरात दंगों से संबंधित मामलों में न्याय के संघर्ष में सबसे आगे रही है. हमने ये जंग न सिर्फ अदालतों में बल्कि उनके बाहर भी लड़ी है. परिणामस्वरूप, सीजेपी सचिव और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित मानवाधिकार रक्षक, तीस्ता सेतलवाड़ को लगातार एक क्रूर और प्रतिशोधी शासन ने प्रताड़ित किया है.

हमें दो तरफ़ा वार का सामना करना पड़ रहा है. सबसे पहले दुर्भावनापूर्ण, कल्पित और मन-गढ़त मामलों में तीस्ता सेतलवाड़ को उलझाने की कोशिश की जा रही है. एक ऐसे झूठे मामले में तीस्ता सेतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद द्वारा अपने शिक्षा संबंधित गैर सरकारी संगठन ‘खोज’ के लिए गलत तरीके से ‘सर्व शिक्षा अभियान’ के तहत सरकार से धन प्राप्त करना और फिर प्राप्त किए गए पैसे का दुरुपयोग करने का बेबुनियाद आरोप है. आप यहाँ हमारे आधिकारिक बयान को पढ़ सकते हैं जहां हमने प्रत्येक तथ्य को स्पष्ट किया है और समझाया है कि आरोप निराधार हैं.

दूसरा तरीका और भी कपटपूर्ण है. इसके तहत वे तीस्ता सेताल्वाड़ को इन तमाम झूठे मामलों में ज़मानत हासिल करने के लिए एक न्यायलय से दूसरे न्यायालय तक भगा रहे हैं. उदाहरण के तौर पर, ‘खोज‘ जैसे कल्पित मामले में, तीस्ता जी को गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम ज़मानत की अर्जी देने पर मजबूर किया गया. दिलचस्प बात यह है कि हालांकि, ‘खोज’ का मामला  मुंबई में चलना चाहिए था क्योंकि यहाँ सीजेपी और हमारी सहयोगी संस्था सबरंग के कार्यालय हैं, मामला जानबूझकर गुजरात में दायर किया गया! जब भी जमानत की सुनवाई होती है तो अनावश्यक यात्रा के लिए मजबूर कर दिया जाता है. इसके अलावा, तीस्ता जी और आनंद जी को गुजरात पहुँचने से पहले गिरफ्तारी से खुद को बचाने के लिए, गुजरात की अदालत में ज़मानत की अर्जी देने से पहले, पारगामी ज़मानत की अर्जी मुंबई की अदालत में देनी पड़ती है. यह प्रताड़ना का बेहद विकृत तरीका है!

‘खोज’ का मामला रईस खान, जो सीजेपी का एक भूतपूर्व, असंतुष्ट कर्मचारी है, ने प्रतिशोधी सरकार के उकसाने पर दायर किया था. पहले भी इस तरह के फर्जी मामलों को गढ़ने के लिए खान का उपयोग किया जा चुका है. तीस्ता सेतलवाड़ को बदनाम करने के लिए खान ने उनके खिलाफ दर्जन से ज्यादा दुर्भावनापूर्ण और झूठे मामलों को दर्ज कराए हैं जिसके लिए उसे केद्रिय वक्फ परिषद् में नामित करके पुरस्कृत भी किया गया है. इन मामलो में खान का सहयोग करने वाले वकील वो ही है जो गुजरात राज्य और सरकार से तनख्वा लेते हैं.

जांच पड़ताल में CJP का पूर्णतः सहयोग

5 अप्रैल को, बॉम्बे हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति रेवाती मोहिते डेरे ने तीस्ता सेतलवाड़ और जावेद आनंद को 2 मई 2018 तक अंतरिम ट्रांसिट जमानत दे दी थी. माननीय न्यायालय के आदेश के मुताबिक, 6 अप्रैल को तीस्सा सेतलवाड़ और जावेद आनंद सुबह 10 बजे अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के समक्ष पेश हुए. दोनों ने 5:00 बजे तक सभी प्रश्नों के जवाब में उपने बयान दिए. दोनों ने अपनी पूरी जानकारी के हिसाब से एसीपी सीएन राजपूत के नेतृत्व में जांच अधिकारियों की टीम के तमाम सवालों के जवाब दिए. मौखिक बयानों के अलावा उन्होंने कई और दस्तावेज़, जो वे अपने साथ अहमदाबाद ले गए थे, जाँच अधिकारियों को सौंपे.

अंतर्राष्ट्रीय यात्रा में बाधा

उत्पीड़न सिर्फ यहाँ ही नहीं थमता है. तीस्ता सेतलवाड़ को विदेश यात्रा करने से रोकने का प्रयास किया गया, इस डर से कि वह कहीं अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष मौजूदा शासन द्वारा बनायीं निराशाजनक मानवाधिकार स्थिति का खुलासा ना कर दें! हाल ही में जब तीस्ता जी को कैनडा और अमरीका में आमंत्रित किया गया था, तो सरकार ने उन्हें भारत से बहार जाने से रोकने की पूरी कोशिश की. सौभाग्य से, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी यात्रा के दौरान तीस्ता जी को गिरफ्तार होने और उत्पीड़न से संरक्षण प्रदान किया. यह संरक्षण 30 मई, 2018 तक के लिये है. तीस्ता और आनंद ने १७ मई को अहमदाबाद की सत्र अदालत के समक्ष अग्रिम ज़मानत की अर्जी दी. मामले की सुनवाई की अगली तारिख २१ मई को राखी गई.

गुजरात दंगों से संबंधित मामलों में सीजेपी की भूमिका का एक संक्षिप्त इतिहास

2002 से, सीजेपी ने गुजरात नरसंहार से संबंधित 68 मामलों के साथ जूझती रही है, जिसके परिणामस्वरूप शक्तिशाली अपराधियों को दण्डित किया जा सका. लगभग 170 को सज़ा मिली, जिसमे से 120 से अधिक अपराधियों को आजीवन कारावास दिया गया. सीजेपी सुधारवादी सजा का समर्थन करती है, न कि प्रतिवादी न्याय की और इसलिए हमने किसी भी मामले में अभियुक्तों के लिए मौत की सजा नहीं मांगी. गुजरात में हमारी जीत का सारांश यहां प्रस्तुत है -:

बेस्ट बेकरी केस: 2006- 9 लोगों को दोषी करार किया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी. 2012- प्रत्येक पीड़ित के लिए उच्च न्यायालय के आदेश के परिणाम स्वरुप 3 लाख रुपये का मुआवजा भी दिया गया.

सरदारपुरा केस: 2011- निचली अदालत द्वारा 31 लोगों ने दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा दी गयी. उच्च न्यायालय ने 17 की सजा को बरकरार रखा.

ओड केस 1: 2011- कुल 23 लोगों को दोषी ठहराया गया. 18 लोगों को आजीवन कारावास की सजा दी गई, 5 अन्य लोगों को जेल में 7 साल की सजा सुनाई गई. 2018- उच्च न्यायालय ने 19 लोगों की सजा को बरकरार रखा जिसमे 14 लोगों की आजीवन कारावास की सज़ा बरक़रार है.

ओड केस 2: 2011- 9 लोगों को दोषी पाया गया.

गुलबर्ग केस: 24 को दोषी, 36 को निर्दोष पाया गया. अदालत ने साजिश के नज़रिए से देखने से मना कर दिया और हत्या के बजाय केवल मामूली अपराधों के साथ दोषियों को अभियुक्त करार दिया. सीजेपी इस फैसले को चुनौती देने में उत्तरजीवियों की सहायता कर रही है.

ज़किया जाफ़री केस: पहली बार राजनेताओं, प्रशासकों और शीर्ष पुलिस अधिकारियों समेत कई शक्तिशाली लोगों के नाम  खुली अदालत में लिए गए और हिंसा को नियंत्रित करने में उनकी विफलता के साक्ष्य प्रस्तुत किये गये.

नरोडा पटिया: 2012- माया कोडनानी को दोषी ठहराया गया और जेल में 28 साल की सजा सुनाई गई, बाबू बजरंगी ने भी दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा दी गयी. यौनिक हिंसा के पीड़ितों को मुआवजे के रूप में 5 लाख रुपये दिए गए. 2018- उच्च न्यायालय ने कोडनानी को बरी कर दिया, लेकिन बजरंगी की सजा को बरकरार रखा.

यह लड़ाई अभी भी अदालतों में जारी हैं, क्योंकि अभियुक्त फ़ैसले को चुनौती दे रहे हैं और हम इसका कानूनी तौर पर विरोध कर रहे हैं. साथ ही कई मामलों में जिन्हें निर्दोष पाया गया है या काम सजा दी गयी है, उन फैसलों को हमने कानूनी चुनौती दी है. यह एक लंबी जंग है. जैसा कि आपने देखा होगा कि प्रत्येक मामले में निचली अदालत और उच्च न्यायालय के निर्णयों के बीच आमतौर पर पांच वर्ष की अवधि होती है. इसके अलावा, हम सर्वोच्च न्यायालय में आरोपियों को छोड़े जाने के खिलाफ अपील करेंगे.

न्याय के लिए सीजेपी की अडिग वचनबद्धता

प्रशासन के द्वारा किया जाने वाला उत्पीड़न हमें न्याय की ओर बढ़ने से रोक नहीं सकता! आखिरकार, हम समझते हैं कि अदालतों में हमारी सफलता ने सत्ता के ठेकेदारों की नीव हिला दी है और वो अपनी पूर्ण शक्ति के साथ प्रतिशोध लेने के लिए आतुर है… क्योंकि वे जानते हैं कि हमारी दृढ़ता और वचनबद्धता उन्हें उनके आखरी अंजाम तक ले जाएगी.

 

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