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NRC दावा-आपत्ति प्रक्रिया: हटाए गए 5 दस्तावेज़ों पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

उच्चतम न्यायालय जो राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) में दावों और आपत्तियों को शामिल करने से सम्बंधित मामले को सुन रहा है, ने अब NRC राज्य समन्वयक को केंद्र की नई मानक संचालन प्रक्रियाओं और मोडेलिटी  से बाहर किए गए पांच दस्तावेज़ों पर अपना विचार प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. उन्हें 15 दिनों के भीतर इन पांच दस्तावेज़ों के लिए व्यवहार्यता रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा गया है.

 

इस बीच अदालत ने निर्देश दिया है कि दावों और आपत्तियों को दर्ज करने की प्रक्रिया 25 सितंबर से फिर से शुरू कर, इसे अगले 60 दिनों तक जरी रखा जाए.

NRC के अंतिम मसौदे से मिलियन से ज़्यादा लोगों को बाहर कर दिया गया है. उनमें से ज़्यादातर सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों से संबंधित हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं. उनमें कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. गुजरात में कानूनी सहायता प्रदान करने के अपने पिछले अनुभव के आधार पर अब सीजेपी वकीलों और स्वयंसेवकों की बहु-पक्षीय टीम के साथ यहां भी ज़रूरी कदम उठाएगा, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि इन लोगों को 15 सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िलों में दावा दायर करते समय उचित एवं पर्याप्त अवसर मिल सकें. आपका योगदान कानूनी टीमयात्रादस्तावेज़ीकरण और तकनीकी ख़र्चों की लागत को वहन करने में मदद कर सकता है. सहायतार्थ दान कीजिए!

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने कहा “हम शेष 5 दस्तावेज़ों को बंद या अमान्य नहीं कर रहे हैं, हम कह रहे हैं कि इस चरण में दावा-आपत्ति 10 दस्तावेज़ों के आधार पर की जाएगी” NRC राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला के अपने विचार प्रस्तुत किए जाने तक बाकी पांच अन्य दस्तावेज़ों को जारी रखा जाएगा.

पिछली सुनवाई के दौरान हजेला ने दावों और आपत्तियों की वैधता की जांच के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं और मॉडलों के एक हिस्से के रूप में दस्तावेज़ों की एक सूची प्रस्तुत की थी. उन्होंने स्वीकार्य 15 दस्तावेज़ों की संख्या को घटाकर 10 कर दिया था. हटाए गए दस्तावेजों को कुछ सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों के रूप में देखा गया था. वे इस प्रकार हैं:

1 NRC दस्तावेज़ 1951 (लेगेसी डोक्युमेंट)

२ 1971 तक की मतदाता सूची (लेगेसी डोक्युमेंट)

३ नागरिकता प्रमाणपत्र (लेगेसी डोक्युमेंट)

४ शरणार्थी प्रमाणपत्र (लेगेसी डोक्युमेंट)

५ 24 मार्च 1971 की मध्यरात्रि के बाद से जारी किए गए कार्ड, जिसमें आधिकारिक मुहर और सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर हों. (सहायक दस्तावेज)

 

अदालत ने असम छात्र संघ (AASU) और अखिल असम मुस्लिम छात्र संघ (AAMSU) सहित विभिन्न हितधारकों की राय मांगी. इन्होने इस मामले में अपने विचार दर्ज किए थे.

NRC राज्य समन्वयक को अब एक मुहरबंद लिफ़ाफ़े में अदालत के समक्ष व्यवहार्यता रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया गया है. ये भी निर्देश है कि रिपोर्ट केवल अदालत में प्रस्तुत की जाए, इसका ख़ुलासा किसी अन्य न्यायिक या विधायी प्राधिकारी को न किया जाए. फ़िलहाल मामला 23 अक्टूबर तक स्थगित कर दिया गया है.

पूरा आदेशपत्र यहां पढ़ा जा सकता है

अनुवाद सौजन्य – अनुज श्रीवास्तव

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