आरफा खानम उन चंद पत्रकारों में से एक हैं जो खुल कर हिंदुत्ववादी राजनीती का विरोध करतीं है, जो मोदीराज में भी सच्ची पत्रकारिता पर विश्वास रखतीं है। इसके फ़लस्वरूप उन्हें organized trolling का निशाना बनाया जाता है। एक अल्पसंख्यक समुदाय की महिला होने की वजह से भी हर कदम पर उन्हें कई कठिनाओं का सामना करना पढ़ रहा है. मुंबई में आयोजित Netizens for Democracy में आमंत्रित आरफा जी से Citizens for Justice and Peace की यह ख़ास बातचीत।