पूर्वांचल में Khoj– आने वाले कल की नींव का निर्माण

CJP का खोज प्रोग्राम पिछले कई महीनों तक काफ़ी गहमागहमी से भरा रहा. इसमें युवाओं के बीच सामाजिक  सद्भाव को बढ़ावा देने की कोशिश की जाती है जिससे हाशिए पर रह रहे तबक़ों तक पहुंचा जा सके.


साल के पहले 6 महीनों में खोज और उसके विभिन्न कैंपेन्स ने युवा आबादी के विचार, समुदायों और शैक्षणिक पद्धति ने भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी इलाक़े में काफ़ी तरक़्की की है.

CJP ने Khoj प्रोग्राम की शुरूआत 3 दशक पहले की थी. खोज ने जनता में बढ़ती सांप्रदायिकता और विभाजन पर लगाम लगाने के लिए ज़रूरी क्षेत्रों में दख़ल दिया. शांति के पैग़ाम के साथ संविधान और उसके आदर्शों से लैस खोज की टीम महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के इलाक़ों में काम कर रही है.

ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में CJP की खोज मुहिम ने ज्ञान, शांति, समग्रता का नज़रिया अपनाकर शैक्षणिक और सामाजिक धरातल पर संवैधानिक मूल्यों को मज़बूत किया है. प्राथमिक रूप से खोज एक ऐसा प्रोग्राम है जो औपचारिक शिक्षा की कमी को पूरा करता है. खोज ने माध्यमिक स्कूलों और ऊपरी कक्षाओं के बच्चों के लिए स्कूलों के साथ पार्टनरशिप करके शैक्षणिक कार्यक्रमों के ज़रिए अनेक बड़े बदलाव किए है.

शैक्षणिक कार्यक्रमों में खोज ने इन स्कूलों में मौजूद बुनियादी सुविधाओं की पहुंच की भी पड़ताल की है. खोज ने इन स्कूलों की चुनौतियों का सामना करके बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी मुश्किलें सुलझाने की कोशिश की है. अनेक स्कूलों में इसने लाइब्रेरी भी क़ायम की है.

उत्तर प्रदेश में खोज का सफ़र तेज़ी से फैलती नफ़रत के सामने एकता स्थापित करने की कोशिश है. शिक्षा, संवैधानिक मूल्य, संस्कृति, सामुदायिक भागीदारी के ज़रिए खोज सिर्फ़ युवा दिमाग़ों को आकार देता है वरन एक सद्भाव से भरे समाज की तरफ़ आगे बढ़ने के लिए सामाजिक तानेबाने बुनने की कोशिश भी करता है.


2023 के शुरूआत के महीनों में खोज ने उत्तर प्रदेश में सिर्फ़ विद्यार्थियों के मानसिक विकास के लिए काम किया है बल्कि समुदायों को भी आपस में जोड़ा है और शिक्षा को सामाजिक बदलाव का ज़रिया बनाने की कोशिश की है.

खोज ने एक शांतिपूर्ण समाज और विशलेषणात्मक विचार शैली को विकसित करने के लिए वुमेन् एंड डेवलपमेंट स्टडीज़, नई दिल्ली की चेयरपर्सन प्रोफ़ेसर वासंती रमन और स्वतंत्र पत्रकार मिक्को ज़ेनगर के सहयोग से कार्यक्रमों की एक श्रृंखला तैयार की है. ये कार्यक्रम सद्भाव विकसित करने और समाज के समझने के लिए अध्यापकों और विद्यार्थियों की महत्वपूर्ण भूमिका को चिन्हित करते हैं.

ड्रीम इंडिया स्कूल के टीचर्स के साथ संवाद ने एक शांतिपूर्ण समाज की स्थापना में टीचर्स के रोल को पहचानने में ख़ास भूमिका अदा की है. प्रोफ़ेसर रमन ने बच्चों का दिमाग़ पढ़ने और समझने के लिए अनेक प्रभावशाली टीचिंग मेथड्स को भी पेश किया. टीचर्स ने इस प्रक्रिया में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया और अध्यापन से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल उठाने के साथ ही बड़ी चुनौतियों को भी चिन्हित किया. इस दौरान स्टूडेंट्स में सीखने के प्रति रूचि घटने के मुद्दे पर भी बातचीत की गई. रमन ने एक सरल मगर ज़रूरी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि

अपने विद्यार्थियों को जानें, उन्हें सुनें, उन्हें प्यार से समझाएं!’

जबकि इस दौरान प्रोफ़ेसर वासंती रमन ने यूनाइटेड पब्लिक स्कूल में खोज के विद्यार्थियों के साथ बातचीत की.  इस संवाद में क्लास 5 से 8 तक के बच्चों ने हिस्सा लिया जिसमें उन्होंने खोज के साथ अपने अनुभवों को साझा किया. ऐसे 2 विद्यार्थियों रेहान और और इरम ने लाइक एंड डिस्लाइक सेशन के लिए पसंद का इज़हार किया जबकि अन्य ने फ़ैमिली हिस्ट्री मॉड्यूल के लिए अपना प्रेम ज़ाहिर किया जिससे उन्हें अपनी पृष्ठभूमि पर रचनात्मक ढंग से चर्चा करने का मौक़ा मिला.

प्रोफ़ेसर रमन ने कहा कि ये प्रक्रिया वादविवाद आधारित है और उन्हें प्रोग्राम के भागीदार के रूप में अनुभव साझा करने को कहा जिससे खोज के स्टूडेंट्स, टीचर्स और अभिवावकों को अपनी सामने रख सकने के लिए एक ज़रूरी प्लेटफ़ार्म मिला.

खोज के मॉड्यूल्स, ट्रिप, अनुभव और ख़ास तौर से वाराणसी की मैपिंग को लेकर विद्यार्थियों का उत्साह देखने लायक़ था. एक विद्यार्थी मून ने कहा कि– ‘मैं बनारस में रहता हूं, लेकिन खोज की क्लास के पहले मुझे इस बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं थी.’

क़रीब 2 घंटे के इस संवाद से सिर्फ़ उनकी समझ बढ़ी बल्कि उन्होंने तमिल में भी कुछ वाक्य सीखे. इसके अलावा  CJP ने  खोज के संकल्प के ज़रिए सीखने को प्रैक्टिकल और मज़ेदार बनाने के लिए स्टूडेंट्स को इबादत की अलगअलग जगहों का दौरा कराया जिसका उन्होंने गर्मजोशी से स्वागत किया. इसके ज़रिए खोज ने स्टूडेंट्स को अपने प्रतिबंधित दायरे फांदकर सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय बनाया जिससे कि वो अपने अनुभव साझा कर सकें और संवाद में हिस्सा ले सकें.

खोज संवैधानिक मूल्यों पर आधारित है और इसने इन मूल्यों की हर मुमकिन तरीक़े से हिफ़ाज़त की है. खोज बच्चों के पूरे विकास में यक़ीन रखता है जिसका अर्थ है ताकि वो शारीरिक और मानसिक रूप से हर तरह से सीखने को तैयार रह सकें. वाराणसी में खोज ने इस साल भी चक दे कोनिया के नाम से इंटरस्कूल स्पोर्ट्स कांप्टिशन का आयोजन किया था, जो कि 2 जनवरी, 2023 को शुरू किया गया था. अनेक स्कूलों से खोज के विद्यार्थियों ने पूरे जोशोख़रोश से इसमें हिस्सा लिया. खोज और सहभागी स्कूलों ने विजेताओं के बीच टीशर्ट्स और सार्टिफ़िकेट्स भी बांटे.

भारत के राजनीतिक माहौल में प्रेम और सद्भाव की अहमियत समझते हुए टीम ने प्रोफ़ेसर वासंती रमन और मिक्को ज़ेनगर के साथ अन्य प्रोग्राम्स की एक सीरीज़ जारी की. इसमें CJP के हेट हटाओ देश बचाओ कार्यक्रम के तहत बुनकरों से भी महत्वपूर्ण सवाल किए गए.  लेक्चर्स और संविधान, इतिहास और महिला मुद्दों पर खुली बातचीत की गई.

CJP ने जलालीपुरा के बुनकरों के साथ भी मीटिंग की और अल्पसंख्यक तबक़े की चुनौतियों का संज्ञान लिया. कौशल से संपन्न इन बुनकरों ने खोज के साथ अपने विचार साझा किए. इसके अलावा खोज ने इस वर्ष महिला स्टूडेंट्स के लिए स्पोर्ट से जुड़े आयोजन भी किए और 3 अलग स्कूलों के बीच एक साझा वार्षिक कार्यक्रम का आयोजन किया. खोज ने स्टूडेंट्स को सावित्री बाई फुले के जीवन पर एक नाटक का भी आयोजन किया जहां बच्चों ने सावित्री बाई फुले और फ़ातिमा शेख़ का किरदार निभाया और इन विषयों पर कविताएं पढ़ीं. इस अवसर पर स्टूडेंट्स ने महात्मा गांधी, बी. आर. अम्बेडकर, जवाहरलाल नेहरू, सरदार बल्लभ भाई पटेल, भगत सिंह और अन्य किरदारों को निभाया.

अनेक शैक्षिक और सांस्कृतिक आयोजनों के ज़रिए खोज संवैधानिक मूल्यों पर काम करने को तत्पर है. मिसाल के तौर पर महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर बच्चों ने उनके सिद्धांतों पर संवाद किया. खोज ने अस्सी घाट पर शहादत दिवस के दिन के आयोजनों में भी सक्रियता से हिस्सा लिया जिसमें कविता पाठ और पोस्टर प्रदर्शनी भी आयोजित की गई.

ये ग़ौर करने की बात है कि खोज की पहुंच शिक्षा के दायरो फांदकर समुदाय की बुनावट में भी ख़ास भूमिका अदा करती है. उदाहरण के तौर पर इंटरस्पोर्ट कांप्टीशन के दौरान अनेक स्कूलों के फ़ाउंडर हर्ष नाथ यादव ने खोज की गवाही और लक्ष्य पर बात करते हुए अन्य स्कूलों के लिए खोज की क्लासेज़ को एक्सटेंड करने का दावतनामा क़बूल किया जिससे कि खोज के संघर्षों को दुनिया के सामने लाया जा सके.

इसी तरह अप्रैल, 2023 में हर्ष पब्लिक स्कूल में खोज के एक आयोजन के दौरान बच्चों ने एक रैली में हिस्सा लिया जिसमेंहिंदू मुस्लिम सिख ईसाई,  हम सब मिलकर करें पढ़ाईके नारे के साथ एकता की बात की मांग की गई.

हर्ष पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल उपेन्द्र यादव भी इस मौक़े पर मौजूद रहे और उन्होंने टीम के साथ अहम संवाद में खोज के सकारात्मक प्रभावों पर बातचीत की. प्रिंसीपल यादव ने कहा कि उन्होंने खोज के आने के बाद बच्चों में सकारात्मक बदलाव देखा है. उन्होंने कहा कि

कोई भी इस बदलाव को देख सकता है. युवा मस्तिष्कों में खोज के सेशन्स को लेकर ये उत्साह क्लासरूम के रोज़ाना के माहौल से बिल्कुल अलग है.’

प्रिंसिपल ने खोज के सेशन्स के बाद सुबह की प्रार्थना में बदलावों को भी इंगित किया. अब स्टूडेंट्स इन  सभाओं में हाथ बांधकर खड़े होते हैं. इसके अलावा हिंदू और मुसलमान बच्चे जिन्होंने अपने समुदायों में दोस्त बनाए हैं अब दोनों समुदाय के लोगों से दोस्ती रखने लगे हैं. इस स्कूल में खोज के तजरबे ने सांप्रदायिकता के दायरों को तोड़ दिया है. बच्चों के बीच विविध समुदाय के लोगों से दोस्ती से सकारात्मक बदलाव आया है जिससे खोज के ज़रिए युवा बच्चों के जीवन पर बेहद अच्छा प्रभाव पड़ा है.

इस तरह खोज टीम के ज़रिए प्रक्रिया और सीख से भरा ये साल अभी जारी है जिसने इस वर्ष को बड़े और मज़बूत बदलावों के लिए तैयार किया है.

और पढ़ें

KHOJ – A one-of-its kind, secular learning program for tomorrow’s citizens

KHOJ: Maps and Personal Histories 

First Humanity, Then Religion | KHOJ students in Mumbai | CJP

Khoj: Discover a New Approach to Education | CJP

Related

Khoj Program Celebrates Independence Day in Varanasi

Khoj Program Celebrates Independence Day in Varanasi

CJP’s Journey of Equality and Justice Watch how the students of CJP’s Khoj program in Varanasi celebrated Independence Day with heartfelt cultural performances that echoed the spirit of love, brotherhood, and freedom. For 30 years, the Khoj program has been nurturing...