12 जनवरी 2019 की शाम मुम्बई के सीएसटी इलाके में ‘नफ़रत के ख़िलाफ़ हम सभी की आवाज़’ इस नाम से एक कार्यक्रम का आयोजन इया गया. कार्यक्रम का उद्देश्य इस विषय पर चर्चा करना था कि भारत का धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग इस कदर असुरक्षित क्यों है कि वो कभी देश की राजधानी के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से ग़ायब कर दिया जाता है, या कभी चलती ट्रेन में भीड़ के सामने मार दिया जाता है, और बरसों बाद भी इंसाफ़ की कोई सूरत नज़र नहीं आती. कार्यक्रम में शामिल सामजिक कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड़ ने कहा कि मोदी सरकार जेएनयू जैसे, देश के सभी शिक्षण संस्थानों को तबाह करने पर तुली है. उन्होंने कहा कि देश का मीडिया असल मुद्दों को नहीं, सिर्फ़ प्रधानमन्त्री के भाषणों को दिखाने में लगा रहता है. उन्होंने मीडिया से विनती की कि वो अपना ज़मीर न खोए और दलित, अल्पसंख्यक, मानव अधिकार की ख़बरें लोगों तक पहुचाए. उन्होंने कहा कि फ़ातिमा और सायरा जैसे लोगों के साथ हम हमेशा खड़े रहेंगे. ये भी कहा कि मोहल्लों, स्कूल, कॉलेज, शिक्षक, वकील आदि के साथ काम करते हुए सत्ता की साज़िश समझने की ज़रुरत है.