इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोनभद्र की दो आदिवासी महिलाओं को अवैध हिरासत में रखने के बारे में राज्य सरकार से नौ जुलाई तक जानकारी मांगी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति पी के एस बघेल एवं न्यायमूर्ति राजीव जोशी की खंडपीठ ने लड़कियों की तरफ से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर अधिवक्ता एसएफए नकवी को सुनकर दिया है। मामले के तथ्यों के अनुसार आदिवासी महिलाएं सोकलू गोंड व किस्मतिया गोंड वन विभाग के मन्त्री से मिलकर त्रिवेणी एक्सप्रेस से आ रही थीं। आठ जून 2018 को उन्हें चोपन रेलवे स्टेशन से सोनभद्र पुलिस पकड़कर ले गई। उसके बाद से उनका पता नहीं चल रहा है। पुलिस भी कुछ नहीं बता रही है।
अधिवक्ता एसएफ़ए नकवी का कहना है कि ऑल इंडिया फारेस्ट वर्किंग पीपुल्स की उपाध्यक्षा तीस्ता शीतलवाड़ व सचिव अंशुमान सिंह ने पुलिस की अवैध निरुद्धि से दोनों आदिवासी महिलाओं को मुक्त कराने की याचिका दाखिल की है।
इनका कहना है कि भू माफियाओं के इशारे पर महिलाओं को पुलिस ने गिरफ्तार किया है और पूछने पर कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि आदिवासियों का जंगल में परम्परागत निवास का अधिकार है उन्हें इस अधिकार से जबरन वंचित किया जा रहा है। याचिका पर अगली सुनवाई नौ जुलाई को होगी।
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