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“चाहे मंदिर बने, चाहे मस्जिद बने, हमको कोई मतलब नहीं है!”

राम जन्म भूमी – बाबरी मस्जिद विवाद में जिस ज़मीन की बात होती है, वहां “सीता की रसोई” नमक एक स्थल है| पर आज के अयोध्या शहर में गृहणियां किस प्रकार आर्थिक परिस्थितियों से जूंह रहीं हैं इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है| आइये जानते हैं की आज की सीता की रसोई में क्या पक रहा है? यह आवाज़ है लक्ष्मी की, जिसके परिवार की ज़मीन विवाद के पश्चात सरकार ने अधिग्रहित कर ली थी| ये बतातीं हैं की महंगाई के इस ज़माने में कैसे मंदिर-मस्जिद का मुद्दा इनके लिए कोई माइने नहीं रखता| उन्हें तोह बस किसी तरह अपने बच्चओं को अच्छी शिक्षा देनी है और अपनी रसोई का चूल्हा जलना है|