यह एक 62 वर्षीय महिला शांतिबाला रे की कहानी है, जो नेत्रहीन है और लगभग चार वर्षों से असम के डिटेंशन कैंप में बंद थी।
CJP ने उन्हें डिटेंशन कैंप से सफलतापूर्वक रिहा करवाया, लेकिन इसके बावजूद वह अपनी विकलांगता और गरीबी के कारण अपने दैनिक जीवन में संघर्ष कर रही थी और इसलिए CJP उनकी मदद करने फिर से पहुंची।
जानिए हम कैसे असम में नागरिकता के सवालों से जूझते लोगों की मदद करते है।
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