26 अगस्त 2022 को वाराणसी में एक मार्च निकाला गया इसमें गुजरात की गैंगरेप उत्तरजीवी बिलकिस बानो के लिए न्याय की मांग की गयी। उन्होंने बिलकिस बानो के साथ बलात्कार और उसकी ढाई साल की बेटी सहित उनके परिवार के 14 सदस्यों की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए ग्यारह लोगों की सजा में छूट के हालिया अनुदान का विरोध किया।
विरोध मार्च में प्रमुख रुप से रंजू, नन्दलाल मास्टर, वल्लभ पांडेय, जागृति राही, मुनीज़ा रफीक खान, शबनम, दीक्षा, कुंदन,एकता, रवि, शिवांगी, फादर आनन्द, इंदु, नीति भाई, महेंद्र, सानिया, रैनी, विजेता ,प्रतीक, अर्चना, सुरेंद्र, सूबेदार, निर्भय, निति रिषभ, मुकेश झंझरवाला, धनञ्जय,पीयूष, चंदन, रामजनम, फजूल रहमान अंसारी, कैसर जहां, अनूप श्रमिक, हर्षित, शांतनु एवं प्रेरणा कला मंच के साथियों सहित छात्र युवा महिलाएं और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल रहे।
सीजेपी का ग्रासरूट फेलोशिप प्रोग्राम एक अनूठी पहल है जिसका लक्ष्य उन समुदायों के युवाओं को आवाज और मंच देना है जिनके साथ हम मिलकर काम करते हैं। इनमें वर्तमान में प्रवासी श्रमिक, दलित, आदिवासी और वन कर्मचारी शामिल हैं। सीजेपी फेलो अपने पसंद और अपने आसपास के सबसे करीबी मुद्दों पर रिपोर्ट करते हैं, और हर दिन प्रभावशाली बदलाव कर रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि इसका विस्तार करने के लिए जातियों, विविध लिंगों, मुस्लिम कारीगरों, सफाई कर्मचारियों और हाथ से मैला ढोने वालों को शामिल किया जाएगा। हमारा मकसद भारत के विशाल परिदृश्य को प्रतिबद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ जोड़ना है, जो अपने दिल में संवैधानिक मूल्यों को लेकर चलें जिस भारत का सपना हमारे देश के संस्थापकों ने देखा था। CJP ग्रासरूट फेलो जैसी पहल बढ़ाने के लिए कृपया अभी दान करें
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की संयुक्त कार्रवाई समिति (Joint Action Committee) के बैनर तले युवा और स्वंयसेवी संस्थाओं से जुड़े लोगों ने इसमें बड़ी तादाद में शिरकत कि। इस मौके पर सभा हुई और लोगों ने जनगीत के जरिए अपना विरोध दर्ज किया। शुक्रवार को वाराणसी के सारनाथ स्थित म्यूजियम से विरोध मार्च निकाला गया, जो सारनाथ स्टेशन चौराहे होते हुए म्यूजियम पर आकर समाप्त हुआ। इस मौके पर प्रेरणा कला मंच और ज्वाइंट एक्शन कमेटी बीएचयू से जुड़े लोगों ने विरोध मार्च के साथ–साथ ही सभा का आयोजन भी किया। जनगीत के जरिए लोगों को जागरूक करने का काम किया।
बिलकिस बानो के दोषियों की समयपूर्व रिहाई का फैसला वापस लेने की मांग के साथ स्वयंसेवी संस्थाओं के सदस्यों ने बिलकिस बानो मामले में सरकार की भूमिका पर भी सवाल सवाल उठाए। उहोंने कहा कि सांप्रदायिक नफरत देश के लिए गंभीर चुनौती बन गई है। ये भी कहा कि कतिपय लोग, विभिन्न संगठनों का इस्तेमाल भारत के लोगों की सेवा करने के बजाय अपने सांप्रदायिक एजेंडे को स्थापित करने और फैलाने के लिए क्रतिब्ध हैं। सभा मे शामिल सभी लोगो ने एक स्वर में कहा कि हम भारत के लोग सांप्रदायिक नफरत, हिंसा और जनविरोधी नीतियों की राजनीति को खारिज करते हैं। वक्ताओं ने कहा कि हम बिलकीस बानो के लिए न्याय चाहते हैं। और सभी 11 अपराधियों की समयपूर्व रिहाई का फैसला वापस लेने की मांग करते हैं।
यहां दखल संगठन से आईं मैथिली ने कहा, “रेप पीड़िता बिलकिस बानो के बलात्कार के दोषियों की जिस तरह से रिहाई हुई है और उनका महिमा मंडन किया जा रहा है उससे सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का मजाक उड़ रहा है। हम मांग कर रहे हैं कि ऐसे मामलों के दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए व बानो के दोषियों को भी वापस जेल भेजा जाए।”
दखल संगठन की तरफ से ही हस्ताक्षर अभियान में शामिल हुईं बीएचयू की रिसर्च स्कॉलर मजेंडा सिंह ने कहा, “एक तरफ तो प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस पर महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं वहीं दूसरी तरफ बिलकिस के बलात्कारियों को रिहा कर दिया जाता है, यह कहां का न्याय है, हमारी मांग है कि बिलकिस के दोषियों को अविलंब जेल भेजा जाए।” यहां उपस्थित अन्य महिलाओं ने भी इन्हीं बातों को दोहराया व बिलकिस के दोषियों को कड़ी सजा की मांग की। साथ ही तीस्ता सीतलवाड़, आर वी श्रीकुमार, संजीव भट्ट , की जल्द से जल्द रिहाई की मांग भी की।
फ़ज़लुर रहमान अंसारी से मिलें
एक बुनकर और सामाजिक कार्यकर्ता फजलुर रहमान अंसारी उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। वर्षों से, वह बुनकरों के समुदाय से संबंधित मुद्दों को उठाते रहे हैं। उन्होंने नागरिकों और कुशल शिल्पकारों के रूप में अपने मानवाधिकारों की मांग करने में समुदाय का नेतृत्व किया है जो इस क्षेत्र की हस्तशिल्प और विरासत को जीवित रखते हैं।
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