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शिबमंदिर की खीर में है मज़हबी एकता का स्वाद

कोलकत्ता के मुदर पथेरिया मुसलमान होने के बावजूद खूटी पूजा को एकता के जश्न के तौर पर देखते हैं. ‘द टेलीग्राफ़ इंड़िया’ ने एक रिपोर्ट में उनके इस जज़्बे की कहानी पेश करते हुए बताया है कि वह पिछले 9 सालों से इस त्योहार पर भक्तों के लिए प्रसाद का इंतज़ाम कर रहे हैं.  

दक्षिण कोलकत्ता के शिबमंदिर सरबोजनिन में मुदर पथेरिया खूटी पूजा पर धार्मिक भाईचारे की मिसाल गढ़ रहे हैं. मज़हब से मुसलमान और पेशे से लेखक मुदर ने सबसे पहले इस उत्सव में मिठाई के इंतज़ाम के लिए फंड में योगदान देने की इच्छा जताई थी लेकिन फिर उन्हें इससे संतुष्टि नहीं मिली और उन्होंने तय किया कि वो अपने घर पर ही मंदिर के प्रसाद के लिए खीर बनवाएंगें. रिपोर्ट के मुताबिक़ वह 2014 से ही पूजा के लिए प्रसाद का इंतज़ाम कर रहे हैं जिसे वो टोपी और कुर्ते में अपनी पारंपरिक वेश भूषा के साथ इलाक़े के लोगों में बांटते हैं. इस साल उन्होंने इस ख़ास लज़ीज़ खीर के साथ पारा (क़ुरआन का पाठ) पूरा होने की ख़ुशी और पूजा दोनों का जश्न एक साथ मनाया.

नफ़रत, हिंसा और निराशा के समय में आपसी मेलजोल की सदियों पुरानी विरासत को संजोना बेहद ज़रूरी है. मज़हबी एकता और सद्भाव भारतीय संविधान और धर्मनिरपेक्षता की नींव हैं. भाईचारे की इन नायाब कहानियों के ज़रिए हम नफ़रत के दौर में संघर्ष के हौसले और उम्मीद को ज़िन्दा रखना चाहते है. हमारी #EverydayHarmony मुहिम देश के हर हिस्से से एकता की ख़ूबसूरत कहानियों को सहेजने की कोशिश है. ये कहानियां बताती हैं कि कैसे बिना भेदभाव मेलजोल के साथ रहना, मिलबांटकर खाना, घर और कारोबार हर जगह एकदूसरे की परवाह करना हिंदुस्तानी तहज़ीब की सीख है. ये उदाहरण साबित करते हैं कि सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनल्स के भड़काऊ सियासी हथकंड़ों के बावजूद भारतीयों ने प्रेम और एकता को चुना है. आईए! हम साथ मिलकर भारत के रोज़मर्रा के जीवन की इन कहानियों के गवाह बनें और हिंदुस्तान की साझी तहज़ीब और धर्म निरपेक्ष मूल्यों की हिफ़ाज़त करें! नफ़रत और पूर्वाग्रह से लड़ने के सफ़र में हमारे साथी बनें! डोनेट करें

खूटी पूजा के साथ हर साथ बंगाल में दुर्गापूजा के पांडाल और उत्सव की तैयारी शुरू की जाती है. इस पर्व से निजी और आत्मीय ढंग से जुड़ने की उनकी ख़्वाहिश के कारण इस  पहल को बस्ती में ख़ूब सराहा जा रहा है. वो कहते हैं कि खूटी पूजा के लिए आपसी साथ किसी परंपरा में आस्था से ज़्यादा महत्व रखता है – ‘इस बात से फ़र्क़ नहीं पड़ता कि मेरा मूर्तिपूजा या इस परंपरा में विश्वास है या नहीं, मैं उस एकता में यक़ीन रखता हूं जिसका आह्वान खूटी पूजा में किया जाता है.’

उनसे प्रेरित होकर इलाक़े के अनेक मुसलमान भी अब इस नेक पहल में अपनी भूमिका निभा रहे हैं. वो कहते हैं कि ‘मुझे महसूस होता है कि एकता का पैग़ाम बुलंद और स्पष्ट होना चाहिए.’ इसी हौसले के चलते उनके दोस्त ज़ीशान मलिक ने भी इस नेक काज में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है. इसके अलावा मुदुर की पत्नी शालिनी शुरूआत से ही इस सफ़र में उनकी विश्वसनीय साथी रही हैं. उनके योगदान पर शिवमंदिर के जनरल सेक्रेटरी पार्थ घोष कहते हैं कि- ‘मुदुर पथेरिया का प्रेम हमारे लिए ख़ास अहमियत रखता है.’

यहां तक कि कोरोना के दौर में तमाम सुरक्षा निर्देशों के चलते भीड़ कम होने के बाद भी जनता में पर्व की उमंग बरक़रार थी. हर मज़हब की बराबर हिस्सेदारी के साथ अब खूटी पूजा हिंदुस्तानी एकता और सद्भाव का उत्सव भी है. फ़ेसबुक पर खूटी पूजा पर मुदुर की पोस्ट का जनता ने दिल खोलकर स्वागत किया है. हर बार जब खीर की मिठास में प्यार की मिठास मिलती है तो हिंदुस्तानी एकता की एक नई कहानी बनती है.

Image Source- Telegraph India

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