नागरिकता प्रमाणित करने की लड़ाई उन सभी लोगों के लिए एक दुस्वप्न की तरह है जो डिटेंशन कैंप में जीवन के कुछ दिन गुज़ार चुके हैं. असम के धूपगुरी गांव के हरिमोहन वर्मन हालांकि अब डिटेंशन कैंप की सलाखों से आज़ाद हैं लेकिन उन अफ़सोसनाक दिनों की परछाई अब भी उन्हें सिहरन से भर देती है.
CJP ने जब इस बार उनके घर का दौरा किया तो हरिमोहन ने सवाल किया कि – ‘ये साप्ताहिक दौरों का सिलसिला कब तक जारी रहेगा?’
इसपर CJP ने उन्हें आश्वासन दिया कि असम टीम उन्हें मुश्किल से उबारने और बोझ से राहत दिलाने के लिए लगातार साथ रहेगी. प्रतिक्रिया ज़ाहिर करते हुए हरिमोहन बर्मन ने कहा कि डिटेंशन कैंप से रिहा होने के बाद भी उन्हें हर हफ़्ते पुलिस स्टेशन में पेशी लगानी होती है जिसका आर्थिक भार उठाने के लिए वह फ़िलहाल सक्षम नहीं हैं.
हफ्ते दर हफ्ते, हर एक दिन, हमारी संस्था सिटिज़न्स फॉर पीस एण्ड जस्टिस (CJP) की असम टीम जिसमें सामुदायिक वॉलेन्टियर, जिला स्तर के वॉलेन्टियर संगठनकर्ता एवं वकील शामिल हैं, राज्य में नागरिकता से उपजे मानवीय संकट से त्रस्त सैंकड़ों व्यक्तियों व परिवारों को कानूनी सलाह, काउंसिलिंग एवं मुकदमे लड़ने को वकील मुहैया करा रही है। हमारे जमीनी स्तर पर किए काम ने यह सुनिश्चित किया है कि 12,00,000 लोगों ने NRC (2017-2019) की सूची में शामिल होने के लिए फॉर्म भरे व पिछले एक साल में ही हमने 52 लोगों को असम के कुख्यात बंदी शिविरों से छुड़वाया है। हमारी साहसी टीम हर महीने 72-96 परिवारों को कानूनी सलाह की मदद पहुंचा रही है। हमारी जिला स्तर की लीगल टीम महीने दर महीने 25 विदेशी ट्राइब्यूनल मुकदमों पर काम कर रही है। जमीन से जुटाए गए ये आँकड़े ही CJP को गुवाहाटी हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट जैसी संवैधानिक अदालतों में इन लोगों की ओर से हस्तक्षेप करने में सहायता करते हैं। यह कार्य हमारे उद्देश्य में विश्वास रखने वाले आप जैसे नागरिकों की सहायता से ही संभव है। हमारा नारा है- सबके लिए बराबर अधिकार। #HelpCJPHelpAssam. हमें अपना सहियोग दें।
हरिमोहन जैसे अनेक लोग हैं जिनके लिए नागरिकता की परीक्षा का कोई आख़िरी पड़ाव नहीं है. CJP के प्रयासों से 2021 में छूटने के बाद भी हरिमोहन आज तक हर हफ़्ते कोर्ट में हाजिरी लगाने के लिए मजबूर हैं. हालांकि आज उन्हें CJP का साथ हासिल है लेकिन फिर भी इस चुनौती ने उन्हें आर्थिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक रूप से बदहाल ही किया है.
CJP की असम टीम में DVM (District Volunteer Motivator) अबुल कलाम आज़ाद ने हाल ही में हरिमोहन वर्मन के घर का दौरा करके मामले के पेचीदा हिस्सों पर बात की है जिससे उन्हें सहयोग देकर इंसाफ़ मुहैय्या कराया जा सके. संवाद के दौरान आज़ाद ने उनकी चिंताओं का संज्ञान लिया और निर्णय मिलने तक हर क़दम उनका साथ देने का वादा भी किया.
2022 की गर्मियों के दौरान हरिमोहन वर्मन के घर के दौरे पर CJP टीम
2021 में डिटेंशन कैंप से रिहाई के बाद CJP लगातार उनके मामले का जायजा ले रही है. अक्टूबर, 2022 में उनके घर का दौरा करने के दौरान DVM अबुल कलाम आज़ाद ने हरिमोहन की पत्नी से भी मुलाक़ात की थी. उस समय हरिमोहन गहरे बुख़ार और सिरदर्द से पीड़ित होने के कारण चलने-फिरने से माज़ूर थे जबकि उनकी पत्नी काजलगांव अस्पताल में इलाज का इंतज़ाम कर रही थीं.
जबकि फ़रवरी 2023 में आज़ाद ने पाया कि हरिमोहन की सेहत सुधर गई है और सरकारी योजना के तहत उन्हें एक मकान भी आवंटित हुआ है हालांकि आधार कार्ड के अभाव में वो अभी अपनी दावेदारी सामने नहीं रख पाए थे. इस दौरे में आज़ाद ने एक क़दम आगे बढ़ते हुए ‘ग्रामीण बाल विकास समिति’ का नंबर भी हासिल कर लिया जिससे उनके मामले पर बातचीत के ज़रिए बेहतर समाधान निकाला जा सके.
CJP पूरी तरह सतर्क है कि डिटेंशन कैंप से आज़ाद होने के बाद भी व्यवस्था का शिकंजा क़ायम रहता है इसलिए रिहाई की लड़ाई के बाद भी उनका संज्ञान लेना बराबर अहमियत रखता है. आर्थिक बोझ कम करने में मदद करके क़ानूनी लड़ाई आसान करने से लेकर मनोवैज्ञानिक सहयोग और FT में केस की पैरवी के लिए वकील मुहैय्या कराने तक CJP ने हर पग नागरिकता से दरकिनार लोगों का साथ दिया है. दिमाग़ी उथल-पुथल, चिंता, दुख, हताशा और क्रोध को टटोलने की कड़ी में मनोवैज्ञिनक मदद ने संघर्ष को एक मानवीय पहलू भी दिया है. क्योंकि आम तौर पर नागरिकता का संकट लोगों को कठिन अनिश्चितता के अंधेरे में धकेल देता है.
इसी बीच इंसाफ़ तक आम जन की पहुंच को आसान बनाने के लिए CJP नागरिकता के क़ानूनी पहलू पर सतर्कता के लिए वर्कशॉप भी आयोजित करती रही है. CJP ने NRC और नागरिकता संशोधन अधिनियम से प्रभावित लाखों लोगों की मदद की है. इन वर्कशॉप्स और ऑनलाइन मीटिंग्स के दौरान CJP ने अभ्यार्थियों को जीत और संघर्ष की कहानियों के ज़रिए लगातार सहयोग प्रदान किया है.
हरिमोहन वर्मन के साथ आख़िरी मुलाक़ात के दौरान CJP की ओर से DVM ने उन्हें CJP के कामों से अवगत कराया और ट्रॉयल के दौरान लगातार मदद का वादा किया.
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