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मध्य प्रदेश में दो आदिवासी युवकों का उत्पीड़न

मध्य प्रदेश में इस महीने की शुरूआत में दो ऐसे हिंसक मामले सामने आए हैं जब राज्य में एक नाबालिग़ बच्चे के बलात्कार और हत्या के बाद आदिवासी पुरूषों के ख़िलाफ़ हिंसक घटनाए हुई हैं. हालांकि उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया है लेकिन सरकार द्वारा इसपर किसी ठोस कारवाई का कोई आश्वासन नहीं दिया गया है जिससे कि इन मुद्दों को टटोला जा सके.

नेशनल क्राईम रिकार्ड्स ब्यूरो (NCRB) ने अगस्त 2022 में इन मामलों पर आंकड़े साफ़ करते हुए बताया कि पिछले सालों के मुक़ाबले 2021 में आदिवासी समुदायों के ख़िलाफ़ अपराध में क़रीब 6.4% का इज़ाफ़ा हुआ है जो कि आदिवासी समुदायों के अब तक के रिकार्ड में सबसे अधिक है. यह आंकड़ा स्पष्ट करता है कि आदिवासियों के ख़िलाफ़ हिंसा कोई अपवाद नहीं बल्कि सामान्य है जिसे सरकारी कार्रवाई की सख़्त ज़रूरत है. इस प्रसंग में मध्य प्रदेश में हिंसक हमलों की इन दो घटनाओं को देखना बेहद ज़रूरी है जिससे इन मसअलों को संजीदगी से संबोधित करके व्यवस्थित रूप से हल किया जा सके.

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बारहबरियारी, छिंदवाड़ा ज़िला

मध्य प्रदेश के एक सुदूर कोने में छिंदवाड़ा ज़िले में सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया गया जिसके बाद गांववालों ने एक आदिवासी पुरूष को सार्वजनिक रूप से मारा और प्रताड़ित किया. भीड़ का रवैय्या पूरी तरह से बर्बर था. उन्होंने युवक के चेहरे और सीने पर पेशाब फेंका और उसके सिर और चेहरे पर मारा. इसके बाद उन्होंने उसे गांव में जूते-चप्पलों की माला पहनाकर परेड भी करवाया. ये ख़तरनाक घटना वीडियो में रिकार्ड की गई थी जिसके बाद रविवार को ये वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म्स पर शेयर किया गया.

ये घटना 4 सितंबर की है जब ये युवा पुरूष अपने ससुराल में रक्षाबंधन मनाकर अपने घर लौट रहा था. गांव वापस आने पर उसे बर्बरता से अपमानित और प्रताड़ित किया गया. ग्रामवासियों का मानना था कि इलाक़े में कथित चोरी की घटनाओं के पीछे ये ही ज़िम्मेदार है जिसने समुदाय की महिलाओं और बच्चों के कपड़े चुराए गए हैं. इस घटना से एक दिन पहले, ग्रामवासियों ने इसके घर का दौरा करके घेराबंदी की. उन्होंने परिवार से उनके पुत्र के बारे में पूछ-ताछ भी की.

प्रताड़ित व्यक्ति के पिता इस निर्मम हिंसक घटना के इकलौते गवाह हैं. उन्होंने और गांव के कुछ नेताओं ने ये हिंसा रोकने की कोशिश ज़रूर की लेकिन भीड़ ने अपनी संगीन कारवाई जारी रखी और अंत में प्रताड़ित व्यक्ति को लोकल पुलिस को सौंप दिया.

ये प्रताड़ित व्यक्ति शादीशुदा है, इसकी दो पुत्रियां हैं और वो परिवार में अपने बड़े भाई के साथ 6 एकड़ ज़मीन पर रहते हैं जिससे उनका गुज़ारा होता है. इस घटना ने सिर्फ़ शारीरिक चोट ही नहीं दी हैं बल्कि प्रताड़ित व्यक्ति को लेकर रवैय्ये और उन हालातों के बारे में भी सवाल खड़ा किया है जिसमें भीड़जनित हिंसा की संभावना पनपती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक़ अभी तक सिर्फ़ एक अपराधी को पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किया गया है.

गुन्नौर, पन्ना ज़िला

इसके अलावा इस केस में आदिवासी लोगों के ख़िलाफ़ उत्पीड़न की एक और घटना भी हुई है. एक आदिवासी युवक जो एक अंतर्राज्यीय बस सर्विस में बतौर सफ़ाईकर्मी तैनात किया गया था भी एक ख़तरनाक घटना का शिकार हुआ है. सूचना के अनुसार जबरन उसके कपड़े उतारकर उसे यात्रियों द्वारा पीटा गया. ज़ुल्म की ये इबारत मध्य प्रदेश के पन्ना ज़िले की है जिसमें बस कंडक्टर भी शामिल था.

द वीक के मुताबिक़, पन्ना ज़िले के पुलिस सुप्रीटेंडेंट साई कृष्णा थोटा ने कहा कि इस घटना पर नॉनबेलेबल सेक्शन्स लागू किए जा सकते हैं. इसके अलावा पहले संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया है.

द वीक से बात करते हुए, गुन्नौर में पुलिस उप-विभागीय अधिकारी (एसडीओपी) एडविन कैर ने पुष्टि की कि सात व्यक्तियों के खिलाफ मारपीट और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया है. घटना के दौरान हमलावरों ने बस के शीशे और खिड़कियां तोड़ दीं। मुख्य संदिग्ध साजुल सिंह परमार को हिरासत में ले लिया गया है और बाकी दोषियों की तलाश जारी है.

ये ख़तरनाक घटना 4 सितंबर, 2023 को सोमवार के शुरूआती घंटो में हुई थी. इस फ़ुटेज में बस कंडक्टर उमेश तिवारी और 2 अन्य आरोपियों को रिंकु कोल के कपड़े उतारते और शारिरिक चोट पहुंचाते देखा जा सकता है.

कांग्रेस के MP ने ट्विटर पर इस घटना का CCTV फ़ुटेज जारी किया है.

स्रोतों के मुताबिक़ संजुल सिंह परमार ने भारूच, गुजरात से लेकर शंकरगढ़, गुन्नौर, पन्ना तक के लिए एक बस-यात्रा का टिकट ख़रीदा था. ये बस सर्विस एक पन्ना की प्राईवेट एजेंसी द्वारा प्रदान की जा रही थी.

मामला पेचीदा तब हुअ जब परमार ने कथित तौर पर एक अलग सीट की मांग की और कंडक्टर तिवारी ने इससे इंकार कर दिया. फिर ये वाद-विवाद एक तीखी बहस में बदल गया.

सोमवार को 3 बजे के क़रीब शंकरगढ़ पहुंचने के बाद परमार ने मामले से जुड़े लोगों को बुलाया और कथित तौर पर उनपर शराब ख़रीदने का दबाव बनाया. आग्रह से इंकार करने पर तिवारी को शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया. 2 यात्री जिन्होंने इसमें दख़ल देने की कोशिश की उन्हें भी निर्मम रूप से पीटा गया जबकि ड्राइवर को बस बचाने के प्रयासों के एवज़ धमकी भी दी गई.

इस घटना पर मध्य प्रदेश कांग्रेस ने फ़ौरी प्रतिक्रिया दी जिसका CCTV फ़ुटेज सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म्स पर शेयर किया गया जिसमें आदिवासी युवा पर इस क्रूर हमले की कड़ी आलोचना की गई.

MP कांग्रेस के ट्विटर पेज पर रिंकु कोल का एक बयान भी जारी किया गया है जिसमें वह कह रहे हैं कि जबरन उनके कपड़े उतारकर उनका उत्पीड़न किया गया है. उन्होंने इस बयान में ये भी कहा कि उन्होंने आरोपी यात्री से कोई बहस नहीं की थी.

 

MP के कांग्रेस चीफ़ और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी इस घटना की कड़ी आलोचना की है और राज्य में आदिवासी समुदाय के ख़िलाफ अत्याचारों की एक लंबी सूची जारी की है. उन्होंने ये भी सवाल उठाया है कि सरकार आदिवासी समुदाय पर हिंसा की इन घटनाओं पर कोई कारवाई नहीं कर रही है और उनसे फ़ौरन और निर्णायक कार्रवाई की गुज़ारिश की.

 

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