असम में CJP की मानवतावादी मुहिम ने शारीरीक रूप से अपंग 49 वर्षीय ताजुद्दीन अली की मदद की है, जिसके परिणाम में 2 साल की लंबी क़ानूनी लड़ाई के बाद आख़िरकार उन्हें भारतीय नागरिक घोषित कर दिया गया है. CJP ने इस लड़ाई में वंचित तबक़ों और बेकसूर लोगों को संकट की घड़ी में राज्यविहीन होने से बचाया है.
ताजुद्दीन अली जन्म से भारतीय नागरिक हैं और 1974 में उनका जन्म क़ासिम अली और सुरजिया बीबी के घर एक गांव में हुआ था जो इस समय बोंगईगांव ज़िले के मानिकपुर में भांदारा पुलिस स्टेशन एरिया में शुमार होता है. 1977 में उनके पिता का देहांत हो गया था जबकि उनकी माता अभी तक जीवित हैं. 2002 में ताजुद्दीन ने साहरा बानो से विवाह कर लिया और अब उनके चार बच्चे हैं.
हफ्ते दर हफ्ते, हर एक दिन, हमारी संस्था सिटिज़न्स फॉर पीस एण्ड जस्टिस (CJP) की असम टीम जिसमें सामुदायिक वॉलेन्टियर, जिला स्तर के वॉलेन्टियर संगठनकर्ता एवं वकील शामिल हैं, राज्य में नागरिकता से उपजे मानवीय संकट से त्रस्त सैंकड़ों व्यक्तियों व परिवारों को कानूनी सलाह, काउंसिलिंग एवं मुकदमे लड़ने को वकील मुहैया करा रही है। हमारे जमीनी स्तर पर किए काम ने यह सुनिश्चित किया है कि 12,00,000 लोगों ने NRC (2017-2019) की सूची में शामिल होने के लिए फॉर्म भरे व पिछले एक साल में ही हमने 52 लोगों को असम के कुख्यात बंदी शिविरों से छुड़वाया है। हमारी साहसी टीम हर महीने 72-96 परिवारों को कानूनी सलाह की मदद पहुंचा रही है। हमारी जिला स्तर की लीगल टीम महीने दर महीने 25 विदेशी ट्राइब्यूनल मुकदमों पर काम कर रही है। जमीन से जुटाए गए ये आँकड़े ही CJP को गुवाहाटी हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट जैसी संवैधानिक अदालतों में इन लोगों की ओर से हस्तक्षेप करने में सहायता करते हैं। यह कार्य हमारे उद्देश्य में विश्वास रखने वाले आप जैसे नागरिकों की सहायता से ही संभव है। हमारा नारा है- सबके लिए बराबर अधिकार। #HelpCJPHelpAssam. हमें अपना सहियोग दें।
1983 में मानस नदी में बाढ़ आने के कारण उनके जीवन ने नया मोड़ लिया. इस दौरान असम में ग़रीबी से जूझते अनेक लोगों की तरह ताजुद्दीन का परिवार भी विस्थापित होकर भांदारा से सालाबिला स्थानांतरित हो गया था. वो आज भी अपने परिवार के सदस्यों के साथ सालाबिला में रह रहे हैं.
सबसे पहले असम बॉर्डर पुलिस ने ताजुद्दीन अली को ‘संदिग्ध विदेशी’ का नोटिस जारी करके आरोप लगाया कि वो 25 मार्च, 1971 के बाद बंग्लादेश से भारत में दाख़िल हुए हैं.
इस मामले में अधिकारियों का रवैया देखना काफ़ी दिलचस्प है क्योंकि पुलिस ने न तो ताजुद्दीन के घर का दौरा किया न ही उनसे या किसी गवाह का बयान लिया. बिना किसी आधार और ज़रूरी जांच प्रक्रिया के जांच-रिपोर्ट जारी कर दी गई. यहां तक कि उन्हें विदेशी नागरिक साबित करने के लिए पासपोर्ट या दूसरे ज़रूरी काग़ज़ात को भी जमा या ज़ब्त नहीं किया गया. यह भी ग़ौरतलब है कि ताजुद्दीन के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई काफ़ी देर से शुरू की गई. ये केस सन् 2000 में दर्ज किया गया था जबकि उन्हें दो दशकों के बाद 2021 में नोटिस भेजा गया.
ताजुद्दीन ने हक़ की इस लड़ाई की व्यक्तिगत तौर पर बड़ी क़ीमत चुकाई है. वो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के साथ क़रीब 60% अपंग हैं. उन्हें 7 लोगों के अपने परिवार के पालन के लिए रोज़ाना संघर्ष करना पड़ता है. स्थानीय बाज़ार में पान की एक छोटी सी दुकान उनकी आय का अकेला स्त्रोत थी जो कि ख़राब सेहत के चलते बंद हो गई और अब वो अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए भीख मांगने को मजबूर हैं.
इन सभी चुनौतियों के बाद भी ताजुद्दीन हक़ पाने के लिए अडिग हैं. इस लड़ाई में CJP के क़ानूनी सहयोग से उन्होंने सारे ज़रूरी काग़ज़ात दुरूस्त करके 21 सितंबर, 2023 को जीत दर्ज कर ली है. CJP की असम टीम के इंचार्ज नंदा घोष ने और लीगल टीम के सदस्य एडवोकेट देवन अब्दुर्रहीम ने उन्हें निर्णय की कॉपी सौंपी है जिसमें उन्हें भारतीय नागरिक घोषित किया गया था.
गंभीर शारीरिक और आर्थिक चुनौतियों के बावजूद ताजुद्दीन अली ने आख़िर नागरिकता संघर्ष में राहत की सांस ली है. CJP से बात करते हुए काफ़ी भावुक होकर उन्होंने कहा-
‘मैं शारिरीक रूप से बीमार हूं, यहां ग़रीबी है, दुख है, फिर इस ख़बर (संदिग्ध विदेशी घोषित हो जाने ने) ने मुझे बुरी तरह तोड़ दिया था. लेकिन अब अपनी नागरिकता की पुष्टि होने के बाद मैं निराशा से मुक्त महसूस कर रहा हूं.’
उन्होंने CJP की लीगल टीम के सहयोग के लिए कहा कि – ‘अनेक मुश्किलों के बावजूद आख़िर मुझे इस मामले में तो शांति मिल गई है. मेरी मदद करने के लिए बहुत शुक्रिया.’
ताजुद्दीन का मामला वंचित तबक़ों के ऐसे असंख्य लोगों की चुनौतियों का उदाहरण है जो अपना वजूद साबित करने के लिए क़ानूनी लड़ाईयों से जूझ रहे हैं. उनकी ये जीत असम के दुखद नागरिकता संकट के क़हर में CJP के मानवतावादी प्रयासों का सबूत भी है.
और पढ़ें-
दलित महिला ‘संदिग्ध नागरिक’ घोषित, CJP ने की मदद
For the marginalised in Assam, all odds are stacked against them
97-year Old Abandoned by Lawyer, CJP Steps in to Help
Resolute and Determined: CJP Assam makes headway through 2023