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भाजपा नेता, MP और चुनावी प्रत्याशी ने वोट के बदले दिया पैसे का प्रस्ताव, CJP ने चुनाव आयोग में लगाई गुहार

6 अक्टूबर को सिटीज़न्स फ़ॉर जस्टिस एंड पीस (CJP) ने इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया  (ECI) के साथ मध्य प्रदेश स्टेट इलेक्शन कमीशन में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सीनियर लीडर कैलाश विजयवर्गीय के ख़िलाफ़ शिकायत दायर की है. विजयवर्गीय इंदौर स्टेट एसेंबली की कंस्टीट्यूएंसी नं 1 में चुनावी प्रत्याशी हैं. 5 अक्टूबर को  ‘X’ (पहले ट्विटर) पर एक वीडियो तेज़ी से वायरल हुआ था जिसमें विजयवर्गीय इंदौर में एक भाषण दे रहे हैं और पोलिंग बूथ के चेयरमैन को विरोधी कांग्रेस पार्टी को एक भी वोट न देने के बदले 51,000 रूपए ऑफ़र कर रहे हैं.

इस दर्ज शिकायत में CJP ने इंदौर के वार्ड नंबर-5 के बाहर दिए भाषण की प्रति पेश की है. इस वीडियो में विजयवर्गीय ने बयान दिया कि-

‘अपना सारा आशीर्वाद भारतीय जनता पार्टी को दें जिससे कि कांग्रेस को इस वार्ड से एक भी वोट न मिले. मैंने ये घोषणा करवा दी है कि जिस भी बूथ से कांग्रेस को एक भी वोट नहीं मिलेगा वहां पोलिंग बूथ के चेयरमैन को 51,000 रूपए दिए जाएंगे. आप सभी को कोशिश करनी चाहिए कि इस बूथ से कांग्रेस को एक भी वोट न मिले क्योंकि कांग्रेस ने यहां कोई काम नहीं किया है.’

इस शिकायत में विजयवर्गीय पर ‘करप्ट प्रैक्टिस’ का आरोप दायर करते हुए पीपल एक्ट, 1951 के सेक्शन 123 के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है. इस शिकायत के अनुसार –

‘विजयवर्गीय के इन शब्दों के आंकलन के ज़रिए ये कहा जा सकता है कि इसमें बूथ-चेयरमैन को पैसे की लालच देकर आम जनता के वोटों को खरीदने का इरादा तय है.’

इस शिकायत में ऐसी अनेक घटनाओं का ज़िक्र किया गया है जिसमें विजयवर्गीय द्वारा साफ़ तौर पर अल्पसंख्यक विरोधी और महिलाविरोधी भाषण दिए गए हैं. इस तरह के अल्पसंख्यक विरोधी और महिला विरोधी बयानों के चलते विजयवर्गीय एक रिपीट अफेंडर के तौर पर शुमार होते रहे है जो कि धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और लोकतांत्रिक देश के मूल्यों के ख़िलाफ़ लगातार बयानबाज़ियां करते रहे हैं.

गंभीर आरोपों के बदले विजयवर्गीय के ख़िलाफ़ कड़ी कारवाई की मांग करते हुए CJP ने आयोग से  BJP के राज्य और राष्ट्रीय पार्टी इन चीफ़ के ख़िलाफ़ भी कठोर कारवाई के लिए भी नोटिस जारी किया है. किसी पार्टी के निर्वाचित सदस्य चुनाव में हिस्सा लेने वाले हर दल पर ये ज़िम्मेदारी डालते हैं कि चुनावों को भारतीय संविधान की प्रस्तावना और मौलिक अधिकार (अध्याय-3) के तहत दर्ज किया जा सके. इस नोटिस में विजयवर्गीय को सार्वजनिक माफ़ानामा जारी करने का भी प्रस्ताव रखा गया है.

ये समझना बेहद ज़रूरी है जिस दिन CJP ने ये शिकायत दर्ज की, उसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने भी एक PIL (Public Interest Litigation) की सुनवाई में चुनाव से पहले वोटर्स को आकर्षित करने के लिए वादे करने और मुफ़्त उपहार के ख़िलाफ़ फ़ैसला दिया है. इस याचिका में कहा गया था कि ये टैक्सपेयर्स के पैसे बहाने जैसा है जिसका प्रभाव घूस देने जैसा ही होता है. इस शिकायत में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को भी दर्ज किया गया है. इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा राजनीतिक दलों को जारी विस्तृत गाईडलाइन्स का उल्लेख भी किया गया है. इसके अतिरिक्त इस याचिका में ये भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार को भी ऐसा ही नोटिस जारी किया है. चुनाव आयोग में दर्ज शिकायत में भी इसका ज़िक्र शामिल है.

पूरी शिकायत यहां पढ़ी जा सकती है-

 

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