खोज प्रकल्प के अंतर्गत कई महत्वपूर्ण सत्र में से एक अत्यंत महतवपूर्ण सत्र धर्म भी है, किशोर मन में धर्म की क्या छवि है और इस छवि में कही कोई ऐसे तत्व जो समाज में ईर्ष्या, द्वेष भेदभाव का कारण तो नहीं बन रहे है यह जानने के लिए अथवा इसमें सुधार करने के इस सत्र को खोज प्रकल्प का हिस्सा बनाया गया.
धार्मिक आधार पर मौजूद ऊच नीच को ख़तम करने का एक सुगम सरल उपाय खोज प्रकल्प स्कूली शिक्षा में देने की कोशिश कर रहा है.
खोज शिक्षा के क्षेत्र में एक अनूठी पहल है जो बच्चों को विविधता, शांति और सद्भाव को समझने का अवसर देती है। हम छात्रों को ज्ञान और निर्णय लेने के प्रति उनके दृष्टिकोण में आलोचनात्मक होना सिखाते हैं। हम बच्चों को उनके पाठ्यक्रम की संकीर्ण सीमाओं से परे जाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, और कक्षा के भीतर सीखने और साझा करने के खुले वातावरण को बढ़ावा देते हैं। हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुखद बनाने के लिए हम बहुलवाद और समावेशी होने पर ज़ोर देते हैं। इसीलिए इसके लिए लड़ा जाना जरुरी है। खोज को भारत भर में सभी वर्गों के छात्रों तक ले जाने में मदद करने के लिए अभी डोनेट करें। आपका सहयोग ख़ोज प्रोग्राम को अधिक से अधिक बच्चों और स्कूलों तक पहुँचने में मदद करेगा.
जानिए कैसे इस सत्र को करते समय बच्चो ने मुखर तरीके से अपने मन की बात कही.
क्लास 6th और 7th के ज़्यादातर बच्चो ने लिखा है कि वो ऐसा धर्म बनाना चाहते है जिसमे लड़का लड़की मे, जाति और धर्म मे भेदभाव नहीं होगा । गरीब अमीर और काले गोरे का भेद भाव नहीं होगा ।
क्लास 6th की सहाबी रहमान, रूबी बानो और नेहा आफ़रीन ने लिखा है कि वो एक ऐसा धर्म बनाना चाहती है जिसमे सब लोग मिलजुल कर रहे और कोई लड़का -लड़की या जाति धर्म का भेदभाव ना करे।
इन्हे होली बहुत पसंद है और ये अपने मज़हब मे होली त्योहार को लाना चाहती है। वो आगे लिखती है कि लोग कहते है कि हिन्दू अपना त्योहार होली मनाए और मुस्लिम अपना ईद । लेकिन इन्हे सब त्योहार अच्छा लगता है इसलिए इनके धर्म मे सब त्योहार मनाने की छूट होगी । हमे सब त्योहार मनाने का हक है ऐसा इनका कहना है ।
रेहान क्लास 6th के है और इनका मज़हब ऐसा होगा जो नफ़रत करना नहीं सिखायगा । दूसरे धर्मो से लड़ाई झगड़ा करना नहीं सिखाएगा । आगे लिखते है कि लड़ाई करके कुछ हासिल नहीं होगा बस बरबादी होगी ।
निसबा परवीन क्लास 7th की लिखती है कि धर्म एक ही होना चाहिए । ना मुस्लिम और ना ही हिन्दू , सब एक ही धर्म को मानने वाले होने चाहिए। अल्लाह और भगवान एक है मगर इनको मानने वाले एक नहीं है। मुसलमान कुरान पढ़ते है और हिन्दू गीता, मुसलमान नमाज़ पढ़ते है और हिन्दू पूजा करते
है पर ये सब एक धर्म के रूप मे भी देखा जा सकता है ऐसा इनका कहना है
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