उत्तर प्रदेश किसान सभा के बैनर तले १५ मार्च को लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में विशाल ‘किसान प्रतिरोध रैली’ का आयोजन किया गया, जिसमें राज्य के कोने-कोने से आये हजारों किसानों ने ‘आत्महत्या नहीं संघर्ष करेंगे’ की हुंकार भरी। किसानों ने संकल्प लिया कि वे गांव-गांव, तहसीलों, जिला मुख्यालयों और विधान सभा तक चरणबद्व मार्च करेंगे तथा अपने हक की लड़ाई लड़ेंगे।
रैली के मुख्य वक्ता महाराष्ट्र में किसानों लांग मार्च के नायक व अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष अशोक ढवले नें कहा, “आज बैंकों का सबसे बड़ा कर्ज कोर्पोरेट लिये बैठें है और उसका ब्याज भी सरकार माफ कर दे रही है। जिसका खमियाजा किसानों को कर्जे में डूबकर आत्महत्या करके चुकाना पड़ रहा है।” उन्होंने किसानों से एकजुट होकर अपने हक की लड़ाई को तेज करने का आह्वान किया।
किसानों की मुख्या मांगें इस प्रकार हैं-:
१) किसानों के ऊपर सरकारी, सहकारी तथा अन्य तरह के कर्ज के माफ किये जाएं
२) सरकार द्वारा ब्याज मुक्त कर्ज की व्यवस्था भी शुरू की जाए
३) आवारा पशुओं से फसलों का बचाव किया जाए
४) बर्बाद फसलों के लिए मुआवजा दिया जाए
५) पशुओं की खरीद-फरोख्त पर से पाबंदी हटाइ जाए
६) किसानों व गरीबों को 5000 रूपये मासिक पेंशन के साथ इलाज और शिक्षा को फ्री किया जाए
७) बिजली की दरें काम की जाएं और बिजली क्षेत्र में निजीकरण को समाप्त किया जाए
८) खेती में ठेकाकरण और कार्पोरेटीकरण को रोका जाए
९) बिगड़ती कानून व्यवस्था को सुधार जाए
१०) महिलाओं, दलितों व अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न को रोका जाए
किसान सभा के केन्द्रीय महामंत्री हन्नान मोल्ला ने कहा, “हमारा किसान मेहनतकश है और वह पथरीली जमीन से भी सोना उगा सकता है। बस जरूरी है कि उसे उसकी लागत मूल्य का वाजिब दाम मुहैया कराया जाये। यह तभी संभव हो पायेगा, जब सरकार देश में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करेगी।” परन्तु पिछले लोकसभा चुनाव में छाती ठोंक कर इसे लागू करने का दंभ भरने वाले नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद आज तक इससे मुंह मोड़ने का कार्य कर रहे हैं।
रैली में अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन की उपाध्यक्ष व पूर्व सांसद सुभाषिनी अली भी मौजूद थीं। उन्होंने कहा, “प्रदेश सरकार की कर्जमाफी जैसी लुभावनी बातें हवा-हवाई थी। जमीनी स्तर पर किसी किसान के 10 रूपये माफ किये गए तो किसी के 40, जबकि दावे करोड़ों के हुए हैं। यह सरकार केवल जुमलेबाजी कर रही है।”
रैली में किसानों ने मिल कर तय किया है की वे आने वाले महीनों में अपना सत्याग्रह जारी रखेंगे और यदि सरकार की ओर से किसानों की पीड़ा कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया, तो वे बड़े पैमाने पर आन्दोलन और विधान सभा तक पद यात्रा भी करेंगे।
*** Feature Image by Artist Chittoprasad
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