असम में NRC दावा – आपत्ति प्रक्रिया में शामिल होने वाले एक भारतीय असमी मुस्लिम परिवार पर सुनवाई केंद्र के बाहर कुछ लोगों द्वारा क्रूरतापूर्वक हमला किया गया। इतना ही नहीं, पीड़ित परिवार की महिलाओं तक को नहीं बक्शा गया। घटना स्थल पर मौजूद पुलिस कर्मियों ने जब कथित तौर पर कोई कार्रवाई नहीं की, तब CJP के सदस्य ने तेजी दिखाते हुए परिवार के समर्थन में कदम उठाया और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ हस्तक्षेप की।
मध्य असम के मोरीगांव जिले के कपिली डेवलपमेंट ब्लॉक के NRC सुनवाई केंद्र के बहार यह घटना 29 मई को हुई थी। बारीगांव के मोकिबुर रहमान पर कथित रूप से कुछ लोगों ने क्रूरतापूर्वक हमला किया। इस हमले में उनके सिर पर गहरी चोट आ गई है। फिलहाल रहमान का इलाज स्थानीय अस्पताल में चल रहा है। लेकिन इस घटना को लेकर सबसे अधिक हैरानी की बात यह है कि मौके पर मौजूद पुलिस और सुरक्षाकर्मी कथित तौर पर मूक-दर्शक बने रहे, मानो घटना के दौरान वे पूर्ण रूप से निष्क्रिय हो गए थे।
NRC ड्राफ्ट में 40 लाख लोगों को शामिल नहीं किया गया था, जिनमें से अधिकतर लोग सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों से हैं। गुजरात में कानूनी सहायता प्रदान करने के अपने पुराने अनुभवों से प्रेरित होकर CJP ने अब NRCपीड़ितों की मदद के लिए कदम उठाया है। CJP परिणाम उन्मुख वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की टीम के साथ यह सुनिश्चित करेगी कि बुरी तरह प्रभावित जिलों में से 18 जिलों के पीड़ितों को अपना दावा दाखिल करते समय उचित अवसर प्राप्त हो सके। CJP के इस प्रयास में आपके योगदान से कानूनी टीम की लागत, यात्रा, प्रलेखीकरण और तकनीकी खर्चों का भुकतान किया जाएगा। कृप्या पीड़ितों की मदद के लिए यहाँ योगदान करें।
हमसे से बातचीत करते हुए रहमान की बहन रीमा सुल्तान ने बताया कि उनके साथ भी बदमशों ने मारपीट की। रीमा ने कहा कि “हमें 29 मई को बारपुजिया के कपिलि विकास खंड में NRC सुनवाई के लिए बुलाया गया था। हम प्रक्रिया स्थल पर समय से पहले पहुँच गए थे। जब हम अपने वाहन से बाहर उतरे तब उस इलाके का एक बदमाश मेरे पास आया और मुझसे नागरिकता के अपने सभी दस्तावेज दिखाने को कहने लगा। चूंकि उस व्यक्ति का NRC अधिकारियों से कोई लेना देना नहीं था इसलिए मैंने अपने दस्तावेज उस अंजान शक्स को दिखाने से मना कर दिया। इस पर उस बदमाश ने जबरन मुझसे मेरे दस्तावेज छीनने की कोशिश की। इतना ही नहीं उसके साथी ने मेरा गला दबाया और मेरे सीने पर भी बदतमीज़ी से आघात किया।“
परिवार पर हुए हमले के विषय में रीमा सुल्तान ने कहा कि “जब मेरे भाई मोकिबुर रहमान और परिवार के अन्य सदस्य मुझे उन बदमाशों से बचाने के लिए आए, तो बदमशों ने हम सभी पर हथियारों से हमला किया। एक बदमाश ने तो मोकिबुर के सिर पर दो बार हथौड़े से वार किया, जिससे उसके सिर पर गहरी चोट आ गई और वह खून से लथपथ हो गया।” लेकिन बदमशों की क्रूरता यहीं नहीं खत्म हुई। रीमा ने बताया कि बदमाशों ने उनके दूसरे भाई रहमत अली, बहन एलिजा बेगम और भतीजे मंसूर अली पर भी हमला किया। वह सभी रो-रो कर मदद के लिए गुहार लगा रहे थे। लेकिन उन्हें बचाने के लिए मौजूद पुलिस और सुरक्षाकर्मी सहित कोई भी आगे नहीं आया। उलटा मौके पर जुटी भीड़ ने मुसलमानों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां करनी शुरू कर दी। इसके साथ ही उन्हें वहीं खत्म करने की धमकी भी दी गई।
बता दें कि CJP के प्रेरक फारूक अहमद को NRC सुनवाई केंद्र पर कुछ बदमशों द्वारा एक परिवार पर हमला करने की खबर मिली थी। जिसके बाद फारूक अहमद ने फुर्ती दिखाते हुए एक ओर CJP के NRC सहायता केंद्र को संदेश भेजा। वहीं दूसरी ओर अपनी जान जोखिम में डालते हुए घटना स्थल पर एम्बुलेंस बुलाकर घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया। मौके पर पहुंचे CJP के प्रेरक फारूक अहमद से मिली मदद पर रीमा सुल्तान ने कहा कि “CJP के एक सदस्य ने उच्च अधिकारियों से बात की और मेरे भाई को अस्पताल में भर्ती भी कराया। उन्होंने इतनी समस्याओं के बाद भी सुनवाई पूरी करने में हमारी मदद की।“
CJP के अपनी कार्रवाई इतने में ही खत्म नहीं की। CJP की राज्य टीम ने प्रशासन द्वारा NRC की सुनवाई के लिए केंद्र में जाने वाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई सख्त कदम उठाए। CJP टीम के कोऑर्डिनेटर ज़म्सेर अली ने NRC के स्टेट कोऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला को इस मामले की रिपोर्ट भेजी। साथ ही ज़मसेर अली ने असम सरकार के डीजीपी डॉक्टर कुला सैकिया से और मोरीगांव जिले के पुलिस अधीक्षक से भी इस विषय पर बात की।
गौरतलब है कि लगभग 500 स्थानीय गुंडों ने मौके पर इकट्ठा होकर सुनवाई के लिए आए लोगों को खुलेआम धमकी दी थी। इसलिए मोकिबुर रहमान पर हुए हमले को गंभीरता से लेते हुए CJP असम की टीम ने NRC प्राधिकरण से आग्रह किया है कि उस असुरक्षित स्थान पर आगे की सुनवाई का आयोजन न किया जाए। रीमा सुल्तान ने भी पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि “बदमाशों ने पुलिस पर हमलावरों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करने के लिए भी दबाव डाला। और मौके पर मौजूद कुछ पुलिसकर्मी भी उपद्रवियों को प्रोत्साहित कर रहे थे।“
फिलहाल असम की वर्तमान स्थिति का सबसे दुखद सच यह है कि अब वहां मुस्लिम समुदाय के लोगों का अपमान करना और उन पर हमला करना आम हो चुका है। मुस्लिम समुदाय के लोग अकसर इस तरह के भेदभाव, उत्पीड़न और जुल्मों का सामना करते हैं। विशेष रूप से कथित पूर्व-बंगाल मूल के लोग जिन पर बांग्लादेशी होने का आरोप लगाया गया है। हालांकि, यह संभवत: पहली बार है, जब असम में एक भारतीय मुस्लिम परिवार पर इस प्रकार का क्रूर हमला किया गया है। असम में NRC पीड़ितों की मदद के लिए CJP सदैव तत्पर है। पर अब देखना यह है कि हजारों मासूमों की गुहार को आखिर प्रशासन कब तक अनसुना करता रहेगा?
अनुवाद सौजन्य – साक्षी मिश्रा
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