कभी पावरलूम कारोबार मुनाफे का सौदा था। लोग इससे जुड़ रहे थे, लेकिन अब महंगाई की मार और बिजली संकट से पावरलूम का कारोबार चौपट हो रहा है। पीढ़ियों से हुनरमंद हाथों से लिबास बुनने वाले बुनकर अब संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं।
इस बेतहाशा मंहगाई के दौर में बुनकर समाज जैसे-तैसे अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा है।
एक तरफ गिरस्ता उनकी मज़दूरी नही बढ़ा रहा है तो दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश सरकार उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार कर रही है।
सीजेपी का ग्रासरूट फेलोशिप प्रोग्राम एक अनूठी पहल है जिसका लक्ष्य उन समुदायों के युवाओं को आवाज और मंच देना है जिनके साथ हम मिलकर काम करते हैं। इनमें वर्तमान में प्रवासी श्रमिक, दलित, आदिवासी और वन कर्मचारी शामिल हैं। सीजेपी फेलो अपने पसंद और अपने आसपास के सबसे करीबी मुद्दों पर रिपोर्ट करते हैं, और हर दिन प्रभावशाली बदलाव कर रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि इसका विस्तार करने के लिए जातियों, विविध लिंगों, मुस्लिम कारीगरों, सफाई कर्मचारियों और हाथ से मैला ढोने वालों को शामिल किया जाएगा। हमारा मकसद भारत के विशाल परिदृश्य को प्रतिबद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ जोड़ना है, जो अपने दिल में संवैधानिक मूल्यों को लेकर चलें जिस भारत का सपना हमारे देश के संस्थापकों ने देखा था। CJP ग्रासरूट फेलो जैसी पहल बढ़ाने के लिए कृपया अभी दान करें।
अभी हाल ही में 31 दिसंबर, 2022 को संज्ञान में आया कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेंशन लिमिटेड लखनऊ द्वारा समस्त विद्युत निगम के प्रबंधक निदेशकों को पत्र के माध्यम से कहा गया है कि पावरलूम बुनकरों की विद्युत बिलिंग वर्तमान में लागू टैरिफ के अनुसार की जा रही है साथ ही ये भी कहा है कि अपने अधीनस्थ अधिकारियों को स्पष्ट कर दें कि पावरलूम बुनकरों से वर्तमान टैरिफ के अनुसार ही राजस्व की वसूली की जाए।
जब से इस पत्र के बारे में बुनकरों को जानकारी हुई है तब से उनमें डर का माहौल बना हुआ है। इस सम्बंध में बुनकर साझा मंच के सदस्य अब्दुल मतीन अंसारी से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि बुनकरों द्वारा लगातार फ्लैट रेट बिजली की मांग को लेकर आंदोलन चलाया जा रहा था और किसानों की तर्ज पर बुनकरों को भी फिक्स रेट पर बिजली की मांग की जा रही थी। 14 जून 2006 को उत्तर प्रदेश की मुलायम सिंह सरकार ने बुनकरों की इस मांग को मान लिया था और शासनादेश द्वारा बुनकरों को फ्लैट रेट पर विद्युत आपूर्ति की योजना लागू कर दी गई थी और बकायदा विधानसभा व विधान परिषद से पास कराकर इसके लिए महामहिम राज्यपाल की स्वीकृति ली गयी थी।
2006 को जारी हुई इस अधिसूचना के अनुसार 0.5 हार्स पावर के लिए 65 रूपए प्रति लूम, 1 हार्स पावर के लिए 130 रूपए और ग्रामीण क्षेत्र के लिए क्रमशः 0.5 हार्स पावर के लिए 37.50 रूपए प्रति लूम एवं 1 हार्स पावर के लिए 75 रूपए प्रति लूम प्रति माह लेने का प्रावधान किया गया था। अतिरिक्त मशीनों पर शहरी क्षेत्र में 130 रूपए और ग्रामीण क्षेत्र में 75 रूपए प्रति माह लेने का प्रावधान था। इस आदेश की बिन्दु संख्या 10 के अनुसार इस व्यवस्था के अनुपालन के लिए एक पासबुक की व्यवस्था की गयी थी जिसमें पासबुक द्वारा भुगतान की राशि का प्रावधान किया गया था और इस आदेश में कहा गया था कि इसके अतिरिक्त कोई बिल नहीं लिया जायेगा। लेकिन दिसंबर 2019 में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार और उनकी कैबिनेट ने 2006 के उस शासनादेश को रद्द कर दिया और नया शासनादेश लागू किया कि अब पावरलूम बुनकरों को फ्लैट रेट की बजाय हर महीने बिजली यूनिट की एक निश्चित संख्या तक बिल में छूट दी जाएगी। प्रत्येक छोटे पावरलूम (0.5 हॉर्स पावर तक) को अब 120 यूनिट और बड़े पावरलूम (एक हॉर्स पावर तक) को 240 यूनिट प्रतिमाह की सीमा तक 3.5 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मूल्य में छूट दी जाएगी।
इसके विरोध में उत्तर प्रदेश के बुनकरों ने एक बड़ा आंदोलन चलाया और लगातार एक महीने तक ये आंदोलन चला जिसके दबाव में आकर सरकार ने 2019 के शासनादेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी और बुनकरों से आंदोलन वापस लेने की अपील की और कहा कि बुनकर प्रतिनिधियों के साथ वार्ता करके और उनको विश्वास में लेकर ही कोई नई गाइडलाइन जारी की जाएगी और विद्युत विभाग को आदेश किया कि जब तक कोई नई गाइडलाइन नही जारी की जाती तब तक पुराने शासनादेश के अनुसार ही विद्युत देय की वसूली बुनकरों से की जाए लेकिन 2 साल हो गए और कई दौर में बुनकर प्रतिनिधियों के साथ सचिव स्तर के अधिकारियों के साथ वार्ता होने के बाद भी कोई नई गाइडलाइन सरकार द्वारा जारी नहीं की गई। अब उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेंशन लिमिटेड द्वारा जो आदेश जारी किया गया है उससे बुनकरों में सरकार के खिलाफ़ काफ़ी नाराज़गी है और उन्होंने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि अगर सरकार अपने वादे से मुकरती है तो हम बुनकर समाज के लोग फिर से बड़ा आंदोलन करने को तैयार हैं।
फ़ज़लुर रहमान अंसारी से मिलें
एक बुनकर और सामाजिक कार्यकर्ता फजलुर रहमान अंसारी उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं. वर्षों से, वह बुनकरों के समुदाय से संबंधित मुद्दों को उठाते रहे हैं. उन्होंने नागरिकों और कुशल शिल्पकारों के रूप में अपने मानवाधिकारों की मांग करने में समुदाय का नेतृत्व किया है जो इस क्षेत्र की हस्तशिल्प और विरासत को जीवित रखते हैं.
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