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हेट वॉच- धर्म संसद में हुए नफ़रतपूर्ण भाषणों के ख़िलाफ़ CJP ने दर्ज कराई शिकायत

बीते जुलाई महीने की 22 तारीख़ को हरियाणा में एक धार्मिक सभा का आयोजन हुआ जिसे धर्म संसद कहा गया. इस सभा में ऐसे बहुतेरों को मंच मिला जो भारतीय समाज के सुद्रिण ताने-बाने को तोड़ने की, लोगों को समुदायों में बाँट देने की, उत्पात, हिंसा और नफ़रत फैलाने की बात करते हैं. CJP ने इस ओर ध्यान दिया. हाशिए पर जीवन जी रहे अल्प्संखयक समुदाय, ऐसे लोगों की आँखों में खटकते ही हैं, इस सभा में भी यही देखने को मिला. भारत में हिन्दू संस्कृति की रक्षा के नाम पर अल्पसंख्यकों के लिए परिवार नियोजन पर सख्ती बरतने सहित कई विवादास्पत मुद्दों पर यहां चर्चा की गई जैसे कि हिन्दुओं पर खतरा, और भारत में इस्लाम.

 

सीजेपी ने हरियाणा के डीजीपी बी एस संधू के समक्ष इस आयोजन की शिकायत दर्ज कराई है. प्रसिद्ध डॉक्युमेंट्री फ़िल्म निर्माता आनंद पटवर्धन, वैज्ञानिक व CPI-M के सदस्य वरिष्ठ ट्रेड यूनियनिस्ट डॉ. विवेक मोंटेरो सहित कई विशिष्ट नागरिकों ने शिकायत पत्र में अपना समर्थन दर्ज कराया है. हमने अपनी शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भी भेजी है.

अपनी शिकायत में हमने ये उल्लेख किया है कि इस सभा में कई वक्ताओं द्वारा दिए गए बयान कानून का उल्लंघन करते हैं. उदाहरण के लिए, अखिल भारतीय संत परिषद के राष्ट्रीय संयोजक नरसिम्हानंद सरस्वती जी महाराज, और सभा के संयोजक जगद्गुरु शंकरचार्य स्वामी नरेन्द्रनंद सरस्वती जी महाराज ने लगातार इस्लाम को देश और दुनिया में नफ़रत फैलाने वाले धर्म के रूप में संदर्भित किया. एक अन्य उदाहरण में स्वामी नरेंद्रनंद ने कहा कि यदि मुस्लिम आबादी नियंत्रित नहीं हुई, तो यह मानवता के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगी, क्योंकि वे गृहयुद्ध में देश पर नियंत्रण रखेंगे और सत्ता हासिल कर लेंगे, भारत की परमाणु शक्ति को अपने नियंत्रण में लेकर वे पूरी दुनिया में विनाश फैलाएंगे. इसके अलावा,नरसिम्हानंद सरस्वती ने कहा कि मदरसे भारत में आतंक फैलाने वाले केंद्र हैं और दुनिया भर में आतंक व दहशत का कारण भी यही हैं.

CJP हमेशा से नफरत फैलाने वाले लोगों और संगठनों पर निगरानी रखने तथा उनके द्वारा फैलाई नफरत के प्रति जागरूकता बनाने के लिए प्रतिबद्ध रहा है और आगे भी रहेगा. भड़काऊ भाषणों के खिलाफ कदम आगे  बढ़ाएं और उनके खिलाफ FIR दर्ज करें. हमारे नफरत के खिलाफ चल रहे अभियान का समर्थन करने के लिए अपना योगदान दें!

जैसा कि सीजेपी ने अपनी शिकायत में उल्लेख किया था कि ये बयान “मुस्लिम समुदाय और भारत के लोगों के लिए अत्यधिक आक्रामक, अपमानजनक और बिलकुल निराधार थे” और “सीधे तौर से मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को आहत करने और समाज का सामंजस्य बिगाड़ने के लिए कहे गए थे” जो भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 ए और धरा 505 के अंतर्गत आते हैं.

इसके अलावा, बैठक में दो अज्ञात महिलाओं ने नफ़रत से भरी टिप्पणी भी दी. विशेष रूप से, एक महिला ने कहा कि इस्लाम कोई धर्म है ही नहीं, अपितु शक्ति हासिल करने के लिए छेड़ा गया एक “राजनीतिक आंदोलन” है मुसलमानों का एकमात्र उद्देश्य हिंदुओं को नष्ट करना है. दूसरी महिला ने हिंदुओं से मुसलमानों की हमलावर सेना के बारे में कुछ करने के लिए कहा जो एक दिन हिन्दुओं को नष्ट कर देगी. उन्होंने देश में यूपीएससी परीक्षाओं के लिए चुने गए मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या का उल्लेख करते हुए सभा में मौजूद शंकपूर्ण लोगों से ये सवाल किया कि क्या वे उन मुस्लिमों पर अपनी सुरक्षा के लिए और उनकी प्रशासनिक क्षमता के लिए भरोसा कर सकते हैं.

सीजेपी ने समझाया कि ये और दूसरे वो बयान जिनका उल्लेख शिकायत पत्र में किया गया है वे कानून का उल्लंघन करते हैं और आईपीसी की कई धाराओं के तहत आपराधिक श्रेणी में आते हैं. हमने पाया कि सभा में दिए गए ये बयान “सांप्रदायिक अस्थिरता का वातावरण पैदा करते हैं और देश की शांति व सद्भावना के लिए ख़तरा भी बन सकते हैं.” इस सभा की शिकायत करना इसलिए भी ज़रूरी लगता है क्योंकि यहां कही गई ये सारी बातें किसी सामान्य व्यक्ति के द्वारा नहीं वरन सामाजिक लीडरों और गुरुओं के द्वारा कही गई हैं जो सीधे तौर पर उनके अनुयाइयों (फॉलोअर्स) को हिंसा के लिए प्रेरित कर रही हैं.

सीजेपी ने इस बात का ख़ास उल्लेख किया है कि “भारत के उच्च न्यायलय ने स्पष्ट घोषणा करते हुए ये बात कही है कि धर्मनिरपेक्षता हमारे संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है. इस आधार पर नरसिम्हानंद सरस्वती जी महाराज, जगद्गुरु शंकरचार्य स्वामी नरेंद्रनंद सरस्वती जी महाराज और वीडियो में दिख रही दोनों अज्ञात महिलाओं ने जो भाषण सभा के मंच पर दिया वो हमारे संविधान की बुनियादी और बेहद ख़ूबसूरत संरचना पर सीधा हमला है.”

सीजेपी की ये मांग है कि हरियाणा के डीजीपी के समक्ष जो शिकायत पत्र हमने प्रस्तुत किया है उसे एफआईआर के रूप में दर्ज किया जाए जिससे मामले की न्यायिक जांच हो सके और नरसिम्हानंद सरस्वती जी महाराज, जगद्गुरु शंकरचार्य स्वामी नरेन्द्रनंद सरस्वती जी महाराज तथा विडियो में दिख रही दोनों अज्ञात महिलाओं की गिरफ़्तारी व अन्य आवश्यक कार्यवाही जल्द से जल्द की जाए.

डीजीपी, हरियाणा को दिया गया हमारा पूरा पत्र यहां पढ़ा जा सकता है.

सीजेपी ने जून में गाज़ियाबाद में आयोजित धर्म संसद के बारे में उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओम प्रकाश सिंह को भी लिखा है, जिसमें आचार्य जितेन्द्र जी महाराज ने मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ हिंसा को उकसाने वाला घृणास्पद भाषण दिया था. कुछ अन्य वरिष्ठ नागरिकों ने भी हमारे शिकायत पत्र पर सह-हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. वासंती देवी, एक पूर्व वाईस चांसलर, वरिष्ठ कलाकार व सामाजिक कार्यकर्ता विवान सुंदरम तथा सहमत के संस्थापक सदस्य शामिल हैं. हमने अपनी शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भी भेजी है.

अपने भाषण में आचार्य जितेन्द्र जी महाराज ने हिन्दू धर्म के दुश्मनों का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए हिन्दू धर्म के दुश्मनों को नष्ट करना ही होगा. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मौलवियों ने इस्लाम का एक ऐसा तगड़ा नेटवर्क बना लिया है जिससे वे किसी भी हिन्दू को दो मिनट में मार सकते हैं. फिर उन्होंने कहा कि इस नेटवर्क से लड़ने के लिए हिन्दुओं को अपना ख़ुद का एक नेटवर्क बनाना होगा जो मुसलमानों के नेटवर्क से 10 गुना बड़ा हो और गुरूजी (ये गुरूजी अज्ञात हैं) ने इस दिशा में कार्य प्रारंभ कर दिया है. गौर करने वाली बात है कि जितेन्द्र जी महाराज मंच से ये दावा करते दिखे कि उन्होंने दुश्मनों से लड़ने के लिए 1000 ख़तरनाक हिन्दू लड़ाकू योद्धाओं की एक टीम पहले ही तैयार कर ली है. उन्होंने राजनीति से जुड़े नेताओं को चुनौती के लहज़े में ये बात कही के नेताओं के झूठे वादों पर अब विश्वास नहीं किया जाएगा और यदि नेताओं ने उनके ख़िलाफ़ कोई कदम उठाया तो एक नहीं बल्कि 10-10 गोलियां उनके सर में दाग दी जाएंगी.

अपनी शिकायत में CJP ने ये उल्लेख किया है कि जितेंद्र जी महाराज द्वारा दिए गए ये तथा दूसरे अन्य बयान उन्हें आईपीसी की धारा 153 ए, 153 बी, 503 और 505 के तहत दोषी बनाते हैं. हम चाहते हैं कि हमारे शिकायत पत्र को एफआईआर के रूप में माना जाए जिससे इस मामले में जांच व आचार्य जितेन्द्र जी महाराज के ख़िलाफ़ कड़े कदम तुरन्त उठाए जा सकें.

डीजीपी, उत्तर प्रदेश को लिखा गया हमारा पूरा पत्र यहां पढ़ा जा सकता है.

 

अनुवाद सौजन्य अनुज श्रीवास्तव.

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