सिटिजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस (CJP) ने 10 अक्टूबर, 2025 को, YouTube को एक शिकायत प्रस्तुत की जिसमें उन्होंने @AjeetBharti चैनल पर दो वीडियो की ओर ध्यान दिलाया, जो उनके अनुसार भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई के खिलाफ नफरत भरे, जातिवादी और हिंसक हमलों से भरे हुए हैं। CJP ने इस प्लेटफॉर्म से आग्रह किया कि ये वीडियो हटा दिए जाएं, चैनल को निलंबित किया जाए और ऐसे कंटेंट के लिए जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए जो एंटी-दलित विचारधारा और हानिकारक प्रचार को बढ़ावा देता है।
बदनाम करने की एक सुनियोजित मुहिम: CJP
अपनी शिकायत में CJP ने आरोप लगाया है कि भारत के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं CJI गवई के खिलाफ एक “जातिवाद पर आधारित सुनियोजित बदनाम करने की मुहिम, हिंसक उत्तेजना और आपराधिक धमकी” चलाई जा रही है। CJP का कहना है कि अजीत भारती के चैनल द्वारा अपलोड किया गया कंटेंट केवल नफरत भरी भाषा नहीं है, बल्कि “डिजिटल हिंसा है, जिसका उद्देश्य संवैधानिक प्राधिकरण को जातिगत अपमान और स्पष्ट धमकियों के माध्यम से नीचा दिखाना है।”
सीजेपी हेट स्पीच के उदाहरणों को खोजने और प्रकाश में लाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि इन विषैले विचारों का प्रचार करने वाले कट्टरपंथियों को बेनकाब किया जा सके और उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जा सके। हेट स्पीच के खिलाफ हमारे अभियान के बारे में अधिक जानने के लिए, कृपया सदस्य बनें। हमारी पहल का समर्थन करने के लिए, कृपया अभी दान करें!
शिकायत में आगे कहा गया है: “यह केवल गाली-गलौज नहीं है, बल्कि भारत के सर्वोच्च न्यायिक अधिकारी की गरिमा और व्यक्तिगत सुरक्षा पर एक प्रत्यक्ष और सुनियोजित हमला है और परिणामस्वरूप, भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरे का संकेत है।”
तथ्यात्मक पृष्ठभूमि: दस्तावेज तैयार किया गया नफरत का पैटर्न
शिकायत में यह उजागर किया गया कि इन वीडियो के बनाने वाले अजीत भारती ऐसे व्यक्ति हैं जिनके बारे में पहले भी नफरत और विभाजनकारी बयान फैलाने के मामले दर्ज हैं। उनकी व्यापक सोशल मीडिया गतिविधियां पहले से ही भारतीय कानून प्रवर्तन द्वारा इसी तरह के अपराधों के लिए सक्रिय निगरानी और जांच में हैं। शिकायत के अनुसार, विवादित सामग्री का आपराधिक स्वरूप CJP की व्याख्या का विषय नहीं है, बल्कि यह प्रत्यक्ष पुलिस कार्रवाई द्वारा प्रमाणित है। 8 अक्टूबर, 2025 को पंजाब की पुलिस ने आधिकारिक रूप से अजीत भारती के खिलाफ दर्जनों प्राथमिकी (FIRs) दर्ज की हैं। इन आपराधिक कार्यवाहियों के आधिकारिक आधार उनके द्वारा सोशल मीडिया पर किए गए “जातिवादी” और “उकसाने वाले” बयान हैं, जो भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई को निशाना बनाते हैं।
अधिकांश आरोपी पंजाब के बाहर के हैं और उन पर एससी/एसटी (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम की गैर-जमानती धाराओं के तहत, साथ ही अन्य संबंधित कानूनों के तहत आरोप लगाए गए हैं।
यूट्यूब प्लेटफ़ॉर्म पर होस्ट किए गए ये वीडियो अलग-अलग घटनाएं नहीं हैं, बल्कि यह नफरत फैलाने वाले एक व्यक्ति द्वारा संचालित व्यापक, दर्ज किए गए अभियान का हिस्सा हैं, जिनकी गतिविधियां पहले ही कई राज्य एजेंसियों -जैसे पंजाब और नोएडा पुलिस-द्वारा गंभीर कानूनी कार्रवाई के दायरे में हैं। नफरत फैलाने वाले भाषण का यह स्थापित प्रोफाइल केंटेंट की गंभीरता को और बढ़ाता है और इसे तुरंत हटाने की जरूरत की तत्परता को और बढ़ा देता है।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की घटना- अदालत की कार्यवाही के दौरान
6 अक्टूबर, 2025 को उस समय तनाव बढ़ गया, जब वकील राकेश किशोर ने सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकते हुए चिल्लाया, “सनातन का अपमान नहीं सहेंगे।” बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने तुरंत किशोर को निलंबित कर दिया और उनकी हरकत को “प्रथम दृष्टया अदालत की गरिमा के अनुरूप नहीं” बताया।
नाराजगी के बावजूद, शिकायत में बताया गया है कि अजीत भारती ने इस आक्रामकता को और बढ़ावा दिया। यह घटना उनके 29 सितंबर के पहले प्रसारण के सिर्फ एक सप्ताह बाद हुई, जिसमें उनके पैनल ने पहले ही मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ खुले तौर पर हिंसा के आह्वान का हवाला दिया था।
अजीत भारती द्वारा हटाया गया पोस्ट
CJP द्वारा वीडियो का विस्तृत कानूनी परीक्षण
अपनी शिकायत में, CJP ने इस पॉडकास्ट की ट्रांसक्रिप्ट का बहुत सावधानीपूर्वक परीक्षण किया, जो 29 सितंबर, 2025 और 6 अक्टूबर, 2025 को अजीत भारती के यूट्यूब चैनल [@ajeetbharti] पर प्रीमियर हुई थी और इसके प्रासंगिक टाइमस्टैम्प और संदर्भ को उजागर किया, जिससे चैनल के खिलाफ तत्काल कार्रवाई के स्पष्ट आधार बनते हैं।
पहला वीडियो, “S2E2: CJI Gavai Vs Sleeping Hindus | Sonam Wangchuk A Deep State Project | Kaushlesh, Anupam, Ajeet,” 29 सितंबर, 2025 को अपलोड किया गया था।
लगभग एक सप्ताह बाद, 6 अक्टूबर को, भारती ने “Shoe Attack on CJI Gavai: Leftist Baying for Ajeet Bharti Blood | Ajeet Bharti LIVE” का लाइवस्ट्रीम किया।
इन वीडियो को “नफरत फैलाने वाली श्रंखला, जो आखिरकार मार-पीट और लोगों को डराने-धमकाने” वाला कहा गया है।
उकसावे की टाइमलाइन:
- 29 सितंबर, 2025 – भारती के पॉडकास्ट में CJI के खिलाफ स्पष्ट हिंसा की अपील की गई: “एक हिंदू वकील को गवई जी का सिर पकड़कर दीवार से मारना चाहिए।”
- 6 अक्टूबर, 2025 – एक सप्ताह बाद, एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में CJI पर शारीरिक हमला किया, जिससे शिकायत के अनुसार यह साबित होता है कि “यूट्यूब की निष्क्रियता ने भाषण को हमले में बदल दिया।”
शिकायत बताती है कि ये सब एक पुरानी प्रवृत्ति के हिस्से हैं जहां इंसान को नीचा बताकर प्रचार किया जाता है और फिर दलितों और आदिवासियों के खिलाफ हिंसा होती है। शिकायत चेतावनी देती है, “ये नफरत भरी बातें अकेली घटना नहीं हैं; ये भारत के लंबे जाति-दमन, सामाजिक बहिष्कार और ऐसी ही दंगों की परंपरा से जुड़ी हैं, जहां दलितों को नीचा दिखाकर उनको निशाना बनाया जाता रहा है।”
उकसावे की चिंगारी
पहले वीडियो में एक व्यक्ति कहता है: “अगर कहीं गवई जी किसी से टकरा गए… एक हिंदू वकील को गवई जी का सिर पकड़कर दीवार से ऐसे मार देना चाहिए कि दो टुकड़े हो जाए।”
शिकायत इसे “प्रत्यक्ष हमला करने के लिए आह्वान” कहती है – यह एक तरह का उकसावा है। इससे कुछ ही पहले, एक अन्य व्यक्ति ने तंज कसा: “गवई के चेहरे पर थूकने का आईपीसी में क्या दंड है? हिंदू ऐसा भी नहीं कर सकते।”
शिकायत में यह भी कहा गया है कि इस तरह के बयान “एक कार्यरत मुख्य न्यायाधीश को सार्वजनिक रूप से अपमानित करना सामान्य बनाते हैं और नकल करने वाले व्यवहार को प्रोत्साहित करते हैं।” बाद में, एक पैनलिस्ट कहता है: “गवई में मैंने जो अंतर्निहित हीनता देखी है… आप सबसे ऊंचे पद तक पहुंच गए और फिर भी यह है।”
शिकायत में यह पंक्ति “जाति मनोविज्ञान को हथियार बनाकर दलित की उपलब्धियों को नीचा दिखाती है” और इसे एससी/एसटी (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 1989 की धारा 3(1)(r) और 3(1)(s) के तहत अपराध के रूप में माना गया है।
“वह (CJI) सुबह नील पीता है,”-CJI के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी
शिकायत में तर्क दिया गया है कि 6 अक्टूबर की लाइवस्ट्रीम ने कानून और शिष्टाचार की सभी सीमाओं को पार कर दिया। इसमें भारती तंज कसते हैं कि “न्यायाधीश अपनी पद की गरिमा नहीं समझते और ‘नील’ पीकर कोर्ट पहुंचते हैं और आदेश देने के बजाय ‘अंबेडकर नील वचनामृत’ बांटते हैं।”
यहां, “नील” (नीला)-जो दलित और अंबेडकरी पहचान का प्रतीक है-को अपमानजनक अर्थ में बदल दिया गया। कुछ ही मिनटों में, भारती ने इसे और भी भड़काऊ जातिवादी में बदल दिया: “उन्होंने झुग्गी के तपते सूरज में मृत गाय की चमड़ी सुखाई, उसे गटर की कालीचट से रगड़ा और कचरा उठाते समय ‘L’ और ‘V’ के टुकड़े जोड़कर लुईस वुइटन जूते बना लिए।”
शिकायत में इन पंक्तियों को “नफरती, अमानवीय और छुआछूत की भाषा का जानबूझकर बढ़ाने वाला” बताया गया है। शिकायत में कहा गया है कि इस तरह के बयान केवल न्यायाधीश गवई का अपमान नहीं करते, बल्कि पूरे दलित समुदाय का अपमान करते हैं और गरिमा के प्रतीकों को “गंदगी और दासत्व की भाषा” में बदल देते हैं।
शिकायत में यह भी कहा गया है कि इस कंटेंट को प्रसारित और तैयार करके यूट्यूब ने “एससी/एसटी अधिनियम की धारा 3(1)(r) और 3(1)(s) के तहत अपराध के रूप में माने जाने योग्य कंटेंट को होस्ट किया, उससे लाभ उठाया और एल्गोरिदमिक रूप से बढ़ावा दिया।”
डिजिटल नफरत से वास्तविक हिंसा तक
कुछ दिन बाद, जब एक वकील ने CJI पर जूता फेंका, भारती की लाइवस्ट्रीम ने इस हमले को तमाशा बना दिया। 6 अक्टूबर के दूसरे वीडियो में उन्होंने कहा, “अगर न्यायाधीश ऐसे हिंदू- विरोधी बयान देना जारी रखते हैं, तो जो आज कोर्ट में हुआ वह कल सड़कों पर भी हो सकता है।”
शिकायत में यह भी कहा गया है कि इस तरह की डिजिटल नफरत सिर्फ व्यक्तिगत हमला नहीं है, बल्कि यह पूरे न्यायिक तंत्र और दलित प्रतिनिधित्व पर असर डालने का प्रयास है। ऐसे प्रसारण न केवल हिंसा को बढ़ावा देते हैं, बल्कि समाज में असहमति और भय का माहौल भी पैदा करते हैं, जिससे लोकतांत्रिक संस्थाओं और न्याय की गरिमा पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
पुलिस कार्रवाई, प्लेटफॉर्म की चुप्पी
CJP का आरोप है कि भले ही भारती के खिलाफ कई FIR और कानूनी समन जारी किए गए हों, यूट्यूब ने खुद कोई कार्रवाई नहीं की।
शिकायत में लिखा है, “इन वीडियो को होस्ट करते रहने से, यूट्यूब उस व्यक्ति के कंटेंट के वायरल होने में मदद कर रहा है, जिस पर जाति आधारित अपराधों के लिए जांच चल रही है।”
शिकायत में यूट्यूब पर “डबल स्टैंडर्ड” अपनाने का आरोप भी लगाया गया है – पश्चिमी संदर्भों में नफरत भरी सामग्री पर तुरंत कार्रवाई करता है, लेकिन जब लक्ष्य भारत में दलित मुख्य न्यायाधीश हो, तब निष्क्रिय रहता है। सूचना प्रौद्योगिकी (इंटरमीडियरी दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया नैतिकता संहिता) नियम, 2021 के तहत, मध्यस्थों को नोटिस मिलने पर अवैध सामग्री हटाना अनिवार्य है और शिकायत के अनुसार, यूट्यूब ने इस दायित्व को नजरअंदाज किया है।
कानूनी और नैतिक उल्लंघन
शिकायत में कहा गया है कि कई भारतीय कानूनों का उल्लंघन हुआ है—जैसे BNS, 2023 की धाराएँ 109, 117, 152 और 342, एससी/एसटी अधिनियम, और सुप्रीम कोर्ट के ऐसे फैसले जो मानते हैं कि नफ़रत भरी बातें अक्सर हिंसा की शुरुआत होती हैं।
शिकायत चेतावनी देती है कि कार्रवाई में विफलता “भारत के संविधान में समानता के वादे और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करती है।”
शिकायत में कहा गया है, “भारत के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ अपमानजनक और उकसाने वाली सामग्री का लगातार प्रसारण केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं है, बल्कि यह भारत के संवैधानिक लोकतंत्र-स्वतंत्र न्यायपालिका-की नींव पर सीधा और घातक हमला है।”
वैश्विक मानक, स्थानीय चुप्पी
CJI ने यूट्यूब को उसके अंतरराष्ट्रीय दायित्वों की याद दिलाई, जैसे कि यूएन गाइडिंग प्रिंसिपल्स ऑन बिजनेस एंड ह्यूमन राइट्स और यूरोपीय संघ का डिजिटल सर्विसेज़ एक्ट जो नफरत और उकसावे वाली सामग्री को तुरंत हटाने की मांग करते हैं।
शिकायत में कहा गया, “यूट्यूब यूरोप में एक मानक अपनाकर भारत में दूसरा मानक नहीं अपना सकता। कॉर्पोरेट सेल्फ रेगुलेन वहीं समाप्त नहीं होना चाहिए जहां मुनाफा शुरू होता है।”
सीजेपी की यूट्यूब से चार-सूत्रीय प्रार्थना
सीजेपी की शिकायत यूट्यूब से चार-सूत्रीय प्रार्थना के साथ समाप्त होती है, जिसमें कहा गया है कि अनुपालन में विफलता को कथित अपराधों में मिलीभगत माना जाएगा। शिकायत में भड़काऊ वीडियो को तुरंत हटाने और आगे नफरत फैलाने से रोकने के लिए @AjeetBharti चैनल को स्थायी रूप से निलंबित करने की मांग की गई है; इसके अलावा, सीजेपी ने प्लेटफॉर्म की मॉडरेशन विफलताओं की आंतरिक जांच और शिकायत में दर्ज गंभीर कानूनी और नैतिक उल्लंघनों को दूर करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए 72 घंटों के भीतर अनुपालन प्रतिक्रिया देने का आह्वान किया है।
पूरी शिकायत यहां पढ़ी जा सकती है:
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